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टैरिफ़ से अमेरिका पर मंदी का ख़तरा?

-Milind Khandekar

डोनाल्ड ट्रंप को अमेरिका का राष्ट्रपति बनकर अभी 50 दिन ही हुए हैं, लेकिन इतने कम समय में उन्होंने चीजें उलट पुलट कर दी है. उनके फ़ैसलों के केंद्र में है टैरिफ़. यह एक ऐसा टैक्स है जो सरकार अपने देश में आने वाले सामान पर लगाती है. ट्रंप अमेरिका में सामान बेचने वाले हर देश पर टैरिफ़ लगाना चाहते हैं ताकि व्यापार घाटा कम किया जा सकें. टैरिफ़ टैरिफ़ उन्होंने इतना खेल लिया है कि अब अमेरिका में मंदी की आशंका जताई जा रही है. इसी कारण शेयर बाज़ार में भी गिरावट आयीं है.

ट्रंप ने टैरिफ़ लगाने का फ़ैसला अचानक नहीं लिया है. पहली टर्म में भी उन्होंने इसका इस्तेमाल किया था और दूसरे टर्म के प्रचार के दौरान बार बार कहा कि 20 जनवरी को राष्ट्रपति बनते ही टैरिफ़ लगा दूँगा. अब तक चीन, कनाडा और मैक्सिको  पर टैक्स लगा चुके हैं. सभी देशों से आने वाले स्टील , एलुमिनियम पर टैरिफ़ लगा दिया है. अगले महीने से सभी देशों पर Reciprocal टैरिफ़ लगाने जा रहे हैं यानी जो देश अमेरिका के सामान पर जितना टैरिफ़ लगाता है अमेरिका भी उस पर उतना ही टैरिफ़ लगा देगा. भारत भी इसकी चपेट में आ सकता है.

टैरिफ़ लगाने के पीछे ट्रंप की तर्क है MAGA यानी Make America Great Again. वो चाहते हैं कि दूसरे देशों की कंपनियाँ अमेरिका में ही सामान बनाएँ. इससे अमेरिका की अर्थव्यवस्था मज़बूत होगी. लोगों को रोज़गार मिलेगा. टैरिफ़ लगाकर वो सरकार की आमदनी बढ़ाना चाहते हैं. इस बढ़ी हुई आमदनी से वो लोगों को इनकम टैक्स में छूट देना चाहते हैं. हालाँकि गणित इसके पक्ष में नहीं है. अमेरिका सरकार की $100 कमाई में से $1.20 ही टैरिफ़ से आते हैं. जानकारों को संदेह है कि टैरिफ़ बढ़ाने से इतनी कमाई हो जाएगी कि इनकम टैक्स में कटौती की जा सकें .

टैरिफ़ का खेल उल्टा पड़ने लग गया है. अमेरिकी शेयर बाज़ार में गिरावट आई है.S&P 500 में 4% और NASDAQ में 8%  की गिरावट आ चुकी है. बाज़ार को चिंता है कि कहीं मंदी नहीं आ जाएँ. HSBC, Citi, Goldman Sachs ने अमेरिका में मंदी की आशंका को बढ़ा दिया है. बाज़ार की चिंता महंगाई को लेकर भी है. टैरिफ़ लगाने से दाम बढ़ेंगे, महंगाई बढ़ेगी तो फ़ेड रिज़र्व ब्याज दरों में कटौती की रफ़्तार धीमी कर सकता है. इसका असर आगे चलकर ग्रोथ पर पड़ सकता है. हालाँकि ताजा आँकड़ों  में अमेरिका में महंगाई की दर कम हुई है.

ट्रंप को शेयर बाज़ार के ऊपर नीचे जाने की चिंता रहती है. उन्हें लोकप्रियता का प्रमाण लगता रहा है, लेकिन अब वो कह रहे हैं कि संक्रमण काल है. चीन एक सदी के बारे में सोचता है हम क्वार्टर ( तिमाही) के बारे में. यही सपना बेचकर ट्रंप अपनी नीतियों को फ़िलहाल लागू कर रहे हैं, लेकिन यह उलटी पड़ी तो ख़ामियाज़ा सबको झेलना पड़ेगा.

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