दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र ने आयोजित किया युवा कवि सम्मेलन
*कविता और शेरों के माध्यम से ‘मंच’ के युवा कवियों ने दी शानदार अभिव्यक्ति*
देहरादून, 2 अक्टूबर। दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र की ओर से आज प्रातः संस्थान के सभागार में गाँधी जयंती के अवसर पर युवा कवियों के ओज पूर्ण स्वर के साथ गाँधी जी को याद किया गया. इसमें तकरीबन 30 कवियों उभरते युवा कवियों ने *मंच* संस्था के माध्यम से हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू,गढ़वाली, रंवाल्टी में मौलिक कविताओं का पाठ किया. इस कवि सम्मेलन की अध्यक्षता सुपरिचित वरिष्ठ गीतकार असीम शुक्ल ने की।
उल्लेखनीय है की देहरादून में युवाओं द्वारा *मंच* नाम से एक कार्यक्रम शुरू किया गया है जिसमे कविताओं, शेरों, ग़ज़लों तथा नज़्मों क़े माध्यम से अपनी अभिव्यक्ति को रखने की आज़ादी दी जाती है,
इस कार्यक्रम की ख़ास बात यह रही की इसमें सिर्फ युवा ही नहीं अपितु लेखन क्षेत्र से जुड़े अन्य व्यक्ति भी उपस्थित रहे.
मंच संस्था का लक्ष्य न केवल लेखन को आगे लेकर जाना है, परन्तु परस्पर मातृभाषा हिंदी एवं भारत की दूसरी बड़ी भाषा उर्दू को भी आगे बढ़ाना है..
*मंच* संस्था की आधारशिला युवा रचनाकार कुलदीप सिंह धरवाल तथा मीर ज़ीशान द्वारा रखी गयी थी, जो की अब स्वयं में एक सक्षम नाम बन चुका है.आज गांधी जयंती क़े उपलक्ष्य में दून पुस्तकालय एवं शोध संस्थान के तत्वाधान में यहां के सभागार में इस मंच में शामिल युवा रचनाकारों ने अपनि अभिव्यक्ति की प्रस्तुति दी वहीँ कई श्रोता गणों ने इन्हें देर तलक धैर्य पूर्वक सुना.
इस कविता पाठ में कवियों के रूप में अंकुर, मानसी, निहाल, शाह, अमन रतूड़ी, मिस. अंशुल, इस्तीखर अहमद, नवल पुंडीर, प्रखर पंत, रूमीत विश्वकर्मा, संदीप डबराल, सौरभ, तान्या साहनी, सृष्टि, वृंदा, प्रदीप नायक, विवेक सेमल्टी, अजय सिरसवाल, वैरागी, गौरव सारथी अविरल मांझी, विजयपाल कलूड़ा, कौशल वशिष्ठ सहित कई युवाओं ने अपनी भूमिका का निर्वहन किया.
मंच क़े संस्थापक कुलदीप सिंह ने कहा शब्दों पर किसी का कोई बंधन नहीं होता, और आप अपने विचार रखने में स्वछंद होते हैँ, यहाँ जहाँ ना पहुंचे रवि, वहां पहुंचे कवि वाली बातें यथार्थ सिद्ध होती है..
_’…चोट हो प्रहार हो, केसरी दहाड़ हो,बाँण ऐसे छोड़ो जिनसे, चीख हों पुकार हो, मस्तकों पे तेज़ ऐसा, लोग खुद नमन करें…,’_
मीर जीशान क़े उर्दू में लिखें गये कलाम ने जो कि तीसरे जेंडर पर था वाकई में सबको सोचने पर मज़बूर कर दिया.
कार्यक्रम के प्रारम्भ में गांधीवादी विचारक बिजू नेगी ने बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के शिलान्यास के मौके पर 4 फरवरी 1916 का गांधी जी द्वारा दिया गया ऐ तिहासिक भाषण का अंश टिप्पणी के रूप में पढ़कर सुनाया. इससे पूर्व दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र के प्रोग्राम एसोसिएट चंद्रशेखर तिवारी ने सभागार में उपस्थित लोगों और अध्यक्ष असीम शुक्ल का स्वागत किया। इस अवसर पर निकोलस हॉफलैंड ने भी अपने विचार रखे.
कार्यक्रम में सुंदर बिष्ट, देवेंद्र कुमार कांडपाल, राजीव गुप्ता, मदन सिंह, राकेश कुमार, सहित अनेक लेखक, साहित्यकार, विचारक और दून पुस्तकालय के युवा पाठक उपस्थित रहे