प्रख्यात चित्रकार ज्ञानेन्द्र की कला प्रेमियों को एक खूबसूरत सौगात: खोली कलादीर्घा ‘‘प्रज्ञान’’

देहरादून 30 मई( उहि)। कला, साहित्य, संगीत और शिक्षा के केन्द्र रही उत्तराखण्ड की राजधानी देहरादून के कला प्रेमियों के लिये खुशखबरी यह कि प्रख्यात चित्रकार, मूर्तिकार, साहित्यकार एवं गायक ज्ञानेन्द्र कुमार की कला दीर्घा (आर्ट गैलरी) ’’प्रज्ञान’’ खुल गयी है, जो कि दर्शकों को गुदगुदायेगी, अल्हादित करेगी और तूलिका से निकली टेढ़ीमेढ़ी परछाइयां चिन्तन के लिये विवश कर सुप्त पड़े ज्ञान चक्क्षुओं को खोलेंगी।
इस कला दीर्घा में भगवान शंकर के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक केदारनाथ का 15 फुट लम्बा चित्र भी है जिसमें इस धाम के अतीत, वर्तमान और भविष्य का चित्रण किया गया है। उल्लेखनीय बात तो यह है कि चित्रकला के इस खजाने का लोकार्पण किसी मंत्री, बडे़ नौकरशाह, धनपति या सेलिब्रेटी नहीं बल्कि एक साधारण सी घरेलू कामकाजी महिला द्वारा किया गया।

इस गैलरी में मंत्र मुग्ध करने वाली चित्र एवं मूर्तियों की प्रदर्शनी में प्रारम्भ में वातावरण का दबाव, पूर्व की ओर, कयास, चेष्टा, आलिंगन, अनकों चित्र मूर्तियां, स्कैच, रेखाचित्र प्रदर्शित किये गये हैं, रंगो के साथ घुमती रेखाएं अपना अलग ही प्रभाव छोड़ती है। दर्शकों को मंत्रमुग्ध करने वाले चित्रों में भटकती आत्मा, दुआ, आत्म विश्वास, उलझन, आस्था आदि मे रंगो का संयोजन आपनी अलग ही छटा बिखेरते हैं। कलादीर्घा भविष्य में उत्तराखण्ड की एक पहचान बनने में भी सफल होगी, जैसा कि केदारनाथ आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापना, 2013 की त्रासदी एवं पुर्ननिर्माण को परिलक्षित करती 15 फीट लम्बी स्क्रोल पेन्टिंग में भी उजागर होता है जो कलाकार द्वारा पुर्ननिर्माण से पूर्व ही चित्रित कर ली थी।

कला-प्रेमियों, छात्रों, कलाकारों एवं कला मर्मज्ञों के अनुरोध पर क्रियान्वित ‘‘प्रज्ञान’’ कलादीर्घा का, नारी के प्रति उनकी अपार श्रद्धा एवं सम्मान की प्रतीक मेहनतकश महिला के हाथों रिबन कटवा कर शुभारम्भ किया गया।
कलाकार के चित्रों का प्रस्तुतिकरण अपने आप में प्रभावशाली बन पड़ा है। कलाकार द्वारा शान्ति निकेतन की पारम्परिक कला को वैसा ही वातावरण देने का प्रयास किया गया है जो प्रशंसनीय है जैसा कि दर्शकों की बातों से भी परिलक्षित होता है। शान्ति निकेतन में बनाये चित्रों में परम्परागत चित्रों से लेकर आधुनिक अमूर्त चित्रकला की सफल यात्रा इस कलादीर्घा ‘‘प्रज्ञान’’ में स्पष्ट नजर आती है।

विश्व भारतीय शान्ति निकेतन से कला की शिक्षा प्राप्त ख्याति प्राप्त चित्रकार, मूर्तिकार, साहित्यकार, श्रेष्ठ गायक बहुमुखी प्रतिभा के धनी ज्ञानेन्द्र कुमार जो युवावस्था से ही महान विभूतियों के निकट उनके चहेते, उनकी प्रशंसा के पात्र रहे हैं ,जिनमे विशेषकर अटल बिहारी बाजपेयी, राष्ट्रपति डा0 शंकर दयाल शर्मा, जार्ज बुश, क्वीन एलिजाबेथ, डा0 हरिबंशराय बच्चन, बी0डी0 जत्ती, डा0 भगत शरण उपाध्याय, राजीव गांधी, इन्दिरा गांधी के नाम लिए जा सकते हैं। जैसे उनके पत्रों से भी परिलक्षित होता है। देश विदेशों मे ज्ञानेन्द्र की कला प्रदर्शनियों ने ख्याति प्राप्त की एवं सराही जाती रहीं।
भारतीय सांसकृति सम्बन्ध परिषद नई दिल्ली (ICCR) द्वारा निर्भया काण्ड के उपरान्त ज्ञानेन्द्र की कला प्रदर्शनी दर्शकों पर अपनी अलग ही छाप, अलग संदेश छोड़ने में सफल रही थी (देश के एक मात्र कलाकार) ICCR द्वारा आयोजित आपकी (भजन/गजल) संगीत संध्याऐं, दिल्ली दूर दर्शन द्वारा भजन संध्या आपको उच्च कोटि का संगीतज्ञ, गायक भी साबित करती है। विशेषकर आपका ख्यातिप्राप्त प्रिय भजन ‘‘दुखः चन्दन होता है जिसके माथे पर लगा जाता पावन होता है’जो अक्सर अटल जी, इन्दिरा जी, डा0 कर्ण सिंह, कमलेश्वर, हरिवंशराय बच्चन जैसे अनेक विभूतियों की जुबान पर चढ़ा रहता था।
ज्ञानेन्द्र ने शान्ति निकेतन के साथ-साथ इंग्लैण्ड व आस्ट्रिया से भी कला की शिक्षा प्राप्त की। आप गुरूकुल कांगड़ी महाविद्यालय के छात्र भी रहे हैं। समय-समय पर ज्ञानेन्द्र जी के साक्षात्कार दूरदर्शन, आकाशवाणी एवं अन्य चैनलों पर प्रसारित होते रहे हैं आपके प्रभात-गीत नामी-गरामी स्कूलों में आज भी Prayer में गाये जाते हैं।
इस अवसर पर जाने माने साहित्यकार, रंगकर्मी, समाज सेवी एवं समीक्षक जगदीश बाबला ने अपने उदबोधन में इस बात पर जोर दिया कि यदि सरकार अल्मोड़ा स्थित गुरूदेव नाथ टैगोर की पारिवारिक भूमि जस पर गुरूदेव शान्ति निकेतन की स्थापना करना चाहते थे को ज्ञानेन्द्र जी के अनुभव का उनकी बहुमुखी प्रतिभा का लाभ उठाकर उनके मार्गदर्शन में गुरूदेव की प्रथम इच्छा (परिकल्पना) को मूर्तरूप देकर उत्तराखण्ड में भी एक और शान्ति निकेतन की स्थापना की जा सकती है जो पर्यटन एवं शिक्षा की दृष्टि में एक श्रेष्ठ स्थल का रूप ले सकता है। जो विश्व स्तर पर आपनी अलग पहचान बनाने में सफल हो सकता है।
कलादीर्घा के शुभारम्भ पर सीमित संख्या में चुनिन्दा बुद्धिजीवियों, कलाकारों, कला प्रेतियों को ही आमंत्रित किया गया था। जिनमें अजीज हसन (ख्याति प्राप्त समाचार वाचक) वरिष्ठ अधिवक्ता ओ0पी0 सकलानी, कवि महेन्द्र प्रकाशी, उर्मिला प्रकाशी, पर्यावरणविद् जगदीश बाबला, वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक, जय सिंह रावत, डा0 पाटिल, डा0 महेश अग्रवाल, डा0 ए0वी0 वर्मा (HOD) संगीतज्ञ उत्पल सामंत, श्रीमती पुनीता नगलिया तुषार नगलियाए डा0 वृज किशोर गर्ग, दीपक कनौजिया, कल्पना बहुगुणा, जाकिर हुसैन, रवि कपूर, राजेश डोभाल, अधिवक्ता पूनम राणा, डॉ व श्रीमती महेश अग्रवाल आदि उपस्थित रहे।