मंगल ग्रह के पास एकाकी तरंगों का पहला साक्ष्य इस ग्रह में आयन हानि के पीछे के रहस्य को उजागर कर सकता है

Our Earth is a giant magnet, and its magnetic field protects us from high-speed charged particles that are continuously emitted from the Sun in the form of solar wind. Unlike Earth, the planet Mars do not have any intrinsic magnetic field. This allows the high-speed solar wind to interact directly with the Mars atmosphere, like an obstacle in flow. It has been suggested that even in a weak and thin magnetosphere like that of Mars, one can observe frequent occurrences of solitary waves. However, despite several missions to Mars, the presence of solitary waves in the Martian magnetosphere has never been reported earlier. Scientists have reported the first evidence of the presence of solitary waves or distinct electric field fluctuations in the Martian magnetosphere. The study of these waves is crucial as they directly control particle energization, plasma loss, transport, etc., through wave-particle interactions.
-Uttarakhand Himalaya-
वैज्ञानिकों ने मंगल ग्रह के चुम्बकीय क्षेत्र (मैग्नेटोस्फीयर) में एकाकी तरंगों अथवा विशिष्ट विद्युत क्षेत्र के उतार-चढ़ाव की उपस्थिति के पहले साक्ष्य की सूचना दी है। इन तरंगों का अध्ययन महत्वपूर्ण है क्योंकि ऐसे तरंग-कण परस्पर क्रियाओं के माध्यम से सीधे कण ऊर्जा, प्लाज्मा हानि, परिवहन आदि को नियंत्रित करते हैं।
हमारी पृथ्वी एक विशाल चुंबक है और इसका चुंबकीय क्षेत्र हमें उन उच्च गति वाले आवेशित कणों से बचाता है जो सौर पवन के रूप में सूर्य से लगातार उत्सर्जित होते रहते हैं। वहीं पृथ्वी के विपरीत मंगल ग्रह का कोई आंतरिक चुंबकीय क्षेत्र नहीं है। यह उच्च गति वाली सौर पवनों को प्रवाह में बाधा की तरह मंगल के वातावरण के साथ सीधे संपर्क करने की अनुमति देता है। ऐसा सुझाव दिया गया है कि मंगल की तरह एक दुर्बल और झीने मैग्नेटोस्फीयर में भी एकाकी तरंगों के उत्सर्जन की लगातार घटनाओं को देखा जा सकता है। हालांकि मंगल पर कई अभियानों (मिशनों) के बावजूद, मंगल ग्रह के मैग्नेटोस्फीयर में एकाकी तरंगों (सोलिटरी वेव्स) की उपस्थिति इससे पहले कभी नहीं बताई गई है।
पहली बार, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के एक स्वायत्त संस्थान, भारतीय भू-चुंबकत्व संस्थान (इंडियन इंस्टिटयूट ऑफ़ जिओमैगनेटिस्म–आईआईजी) की एक शोध टीम ने उच्च- छायांकन (हाई रिज़ॉल्यूशन) की सहायता से मंगल ग्रह के चुम्बकीय क्षेत्र (मार्सियन मैग्नेटोस्फीयर) में एकाकी तरंगों की पहचान और उनकी उपस्थिति की जानकारी दी है। नासा (एनएएसए) के मंगल वायुमंडल और वाष्पशील विकास (मार्स एटमोस्फियर एंड वोलेटाइल इवोल्यूशन- एमएवीईएन) अंतरिक्ष यान (https://pds-ppi.igpp.ucla.edu) पर लैंगम्यूर प्रोब एंड वेव इंस्ट्रूमेंट द्वारा विद्युत क्षेत्र डेटा अभिलेखित किया गया है। यहां मैग्नेटोस्फीयर दुर्बल लेकिन अत्यधिक गतिशील है और मंगल ग्रह के वातावरण के साथ सौर पवनों (सोलर विंड्स) के सीधे संपर्क के कारण बनता है।
एकाकी तरंगें विशिष्ट विद्युत क्षेत्र में एकध्रुवीय अथवा द्विध्रुवीय उतार-चढ़ाव (मोनोपोलर ऑर बाईपोलर फ्ल्क्चुएशंस) हैं जो निरंतर आयाम-चरण संबंधों का पालन करती हैं। प्रसार के दौरान इनका आकार और आकृति कम प्रभावित होती हैI इन स्पंदनों (पल्सेज) का परिमाण और अवधि क्रमशः 1-25 मिलीवोल्ट/मीटर और 0.2-1.7 मिलीसेकंड पाई जाती है। मंगल ग्रह के चारों ओर 1000-3500 किमी की ऊंचाई पर प्रातः और दोपहर-शाम के क्षेत्रों में ये स्पंदन प्रमुख रूप से देखे जाते हैं। भोर और सांझ समय में ऐसी एकाकी तरंगों की प्रभावी उपस्थिति अभी भी एक रहस्य है और इसमें आगे की जाँच की आवश्यकता है। अनुरूपण (सिमुलेशन) के माध्यम से यह पाया गया कि इन संरचनाओं का स्थानिक विस्तार बहुत छोटा (30-330 मीटर) है। चूंकि इन तरंगों को प्लाज्मा ऊर्जाकरण और पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र में इसके परिवहन के लिए उत्तरदायी माना जाता है, इसलिए टीम मंगल ग्रह के चुम्बकीय क्षेत्र में कण गतिकी (पार्टिकल डायनेमिक्स) में उनकी भूमिका और क्या ऐसी तरंगें मंगल ग्रह पर वायुमंडलीय आयनों की क्षति में कोई भूमिका निभाती हैं या नहीं, की खोजकर कर रही है।
प्रकाशन लिंक: डीओआई 10.3847/1538-4357/एसी7बी8बी
