क्षेत्रीय समाचार

साम्प्रदायिक तनाव के चलते ऐतिहासिक गौचर मेले के आयोजन को लेकर प्रशासन की पेशानी पर पड़े बल

 

-गौचर से दिग्पाल गुसांईं-
मंगलवार को दो समुदायों के बीच हुए विवाद ने आगामी 14 नवंबर से आयोजित होने वाले प्रदेश स्तरीय सात दिवसीय गौचर मेले के आयोजन को लेकर मेला प्रशासन की पेशानी पर बल पड़ता नजर आने लगा है।

भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिन 14 नवंबर से जनपद चमोली के विशाल गौचर मैदान में आयोजित होने वाले प्रदेश स्तरीय सात दिवसीय गौचर मेले की तैयारियों में प्रशासन जुटा ही था कि मंगलवार को दुकान के आगे स्कूटी खड़ी करने को लेकर दो समुदायों के लोगों के बीच हुई मारपीट ने क्षेत्र के माहौल को तनावपूर्ण बना दिया है। मंगलवार को गौचर क्षेत्र के आसपास व कर्णप्रयाग इलाके से बड़ी संख्या में जुटे लोगों ने जिस प्रकार से समुदाय विशेष के लोगों के खिलाफ जमकर जहर उगला,उनकी दुकानों को निशाना बनाया इस स्थिति को देखते हुए परगना मजिस्ट्रेट को गौचर व कर्णप्रयाग में शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए धारा 163 लगानी पड़ी।

मेला प्रशासन ने आगामी 24 अक्टूबर को मेले के दौरान खेल तमाशे, पांडाल, दुकानों के निर्माण के लिए निविदा भी आमंत्रित की हुई है। इस निविदा को पाने के लिए भी बाहरी समुदाय विशेष के लोग बड़ी संख्या में जुटते हैं। यही नहीं मेले में दौरान दुकानें, फड़ फेरी लगाने वाले समुदाय विशेष के लोगों की साठ प्रतिशत से अधिक की भागीदारी होती है।

लेकिन इस बार जैसे ही मेला  प्रशासन मेले की तैयारियों में जुट ही रहा था कि मंगलवार को गौचर में हुए दो समुदायों के झगड़े ने मेला प्रशासन को परेशानी में डाल दिया है। मेला आयोजन के लिए तीन बैठकें आयोजित की जाती हैं अभी तक दो ही बैठक आयोजित हो पाई हैं।

गौचर में  बबाल के बाद 10 नवंबर तक क्षेत्र में धारा 163 लगा दी गई है। इस तरह से बाहरी समुदाय विशेष के लोगों की भागीदारी सुनिश्चित हो पाएगी यह भी यक्ष प्रश्न बना हुआ है।

व्यापार संघ अध्यक्ष राकेश लिंगवाल का कहना है कि भले ही प्रशासन स्थिति को नियंत्रण में बता रहा हो लेकिन जिस प्रकार से गौचर ही नहीं बल्कि जनपद के अन्य जगहों पर भी समुदाय विशेष के लोगों द्वारा लगातार गलत कार्यों को अंजाम दिया जा रहा है उससे दूसरे समुदाय के लोगों में भारी गुस्सा भी देखने को मिल रहा है।

प्रशासन से खुली छूट मिलने से विश्व हिन्दू परिषद् के लोग भी इस विवाद को साम्प्रदायिक रंग दे रहे हैं। जिन लोगों  को कानून की जानकारी नहीं है या जो जानबूझ कर एक समुदाय के लोगों को दूसरे के खिलाफ भड़का रहे हैं  वेमेले में समुदाय विशेष के लोगों को भागीदार न बनाने पर जोर दे रहे हैं। कानून के अनुसार न तो धर्म के आधार पर व्यवसाय से किसी भारतीय नागरिक को वंचित करना संविधान के अनुच्छेद 16 का उल्लंघन है। धर्म के आधार पर अगर प्रशासन ने गौचर मेले में दुकाने आबंटित की तो अदालत में जवाब देना भारी पड़ जायेगा। अगर किसी पंजीकृत संगठन ने धर्म के आधार पर किसी को दुकान के लिए जगह आबंटित न करने की मांग पर जोर दिया तो वह संगठन ही गैरकानूनी घोषित हों सकता है।

इस तरह से इस बार मेले में जहां फीकापन रहने के आसार अभी से दिखने लगे हैं वहीं मेले को निर्विघ्न संपन्न कराना भी प्रशासन के सामने एक चुनौती भी बन सकता है।

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