ब्लॉग

औली की सुरक्षा पर सवाल, जीएमवीएन का फरमान विवादों में

प्रकाश कपरुवाण, औली-हिमालय से –

विश्व विख्यात हिमक्रीड़ा केन्द्र औली, जहाँ वर्षभर देश-विदेश से प्रकृति प्रेमी और पर्यटक आते हैं, अब सुरक्षा विवादों में घिर गया है। सवाल यह उठ रहा है कि क्या औली की सुरक्षा खतरे में है? और यदि हाँ, तो यह खतरा किस प्रकार देश की सुरक्षा को प्रभावित कर सकता है?

दरअसल, गढ़वाल मंडल विकास निगम (जीएमवीएन) के प्रबंध निदेशक ने 18 जुलाई 2025 को जिलाधिकारी चमोली को पत्र लिखकर औली की संवेदनशीलता को लेकर गंभीर चिंता जताई है। पत्र में स्पष्ट लिखा गया है कि “यह क्षेत्र चीन सीमा से सटा हुआ है और औली में कतिपय स्थानों पर अतिक्रमण होने से इस संवेदनशील क्षेत्र की सुरक्षा पर प्रश्नचिन्ह लग रहा है, जो देश की सुरक्षा के लिए अत्यंत हानिकारक हो सकता है।”

पत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि पर्यटन विभाग के स्वामित्व वाली 230 नाली 15 मुट्ठी भूमि पर स्थानीय लोगों द्वारा जीप्सी, चौपहिया स्कूटर, जिप लाइन जैसे एडवेंचर स्पोर्ट्स चलाए जा रहे हैं। वहीं, बाहरी व्यक्तियों द्वारा अवैध रूप से अस्थायी दुकानें, ढाबे और खोखे स्थापित किए गए हैं।

यहाँ सवाल यह उठता है कि जहाँ एक ओर “स्थानीय” शब्द का प्रयोग हुआ है, वहीं दूसरी ओर इन्हीं लोगों को देश की सुरक्षा के लिए खतरा बताया गया है। जबकि 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद से ही स्थानीय नागरिकों को रक्षा की दूसरी पंक्ति माना जाता रहा है।

औली में पर्यटन ने न केवल स्वरोजगार के अवसर बढ़ाए, बल्कि सरकारों ने भी बेरोजगार युवाओं को प्रोत्साहित किया। ऐसे में अब सुरक्षा के नाम पर इन्हीं युवाओं का रोजगार छीनने का प्रयास उन्हें स्वीकार्य नहीं है। औली को अंतरराष्ट्रीय पर्यटन केन्द्र बनाने में स्थानीय काश्तकारों का बड़ा योगदान रहा है, जिन्होंने अपनी पुश्तैनी भूमि पर्यटन विकास के लिए समर्पित कर दी। लेकिन अब जीएमवीएन के पत्र ने उनके भविष्य को लेकर नई आशंका खड़ी कर दी है।

विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि अतिक्रमण की समस्या है, तो उसका समाधान प्रशासनिक स्तर पर संभव है। स्की ढलानों पर जीप्सी और स्कूटर संचालन के लिए अलग ट्रैक विकसित किए जा सकते हैं, जिससे स्की क्षेत्र सुरक्षित रहेगा और स्थानीय लोगों का रोजगार भी बचा रहेगा।

जहाँ तक औली में सुरक्षा की बात है, यहाँ न केवल आईटीबीपी के जवान तैनात हैं, बल्कि सेना भी मुस्तैदी से निगरानी करती है। ऐसे में सुरक्षा पर प्रश्नचिन्ह उठाना कई सवाल खड़े करता है।

जीएमवीएन के इस फरमान से बेरोजगार युवाओं में आक्रोश फैलना शुरू हो गया है। पहली प्रतिक्रिया के रूप में औली-जोशीमठ के पर्यटन व्यवसायियों ने एसडीएम जोशीमठ के माध्यम से डीएम चमोली को ज्ञापन सौंपा है। अब देखना यह होगा कि रोजगार और सुरक्षा के बीच खड़े इस नए विवाद पर सरकार क्या रुख अपनाती है और पर्यटन व्यवसायी आगे कौन-सी रणनीति बनाते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!