तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के फैकल्टी ऑफ एजुकेशन में क्रियात्मक कौशल पर अतिथि व्याख्यान
जॉब के अनुसार स्वयं में कौशल विकसित करें स्टुडेंट्सः प्रो. मंजुला
–प्रो. श्याम सुंदर भाटिया
तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी की एसोसिएट डीन प्रो. मंजुला जैन ने आउटसाइडर लुकिंग इनसाइडर की अवधारणा पर प्रकाश डालते हुए कहा, हमें पहले जॉब्स की तलाश नहीं करनी चाहिए बल्कि पहले नौकरी की प्रकृति के अनुसार स्वयं में कौशल विकसित करने चाहिए। इससे जॉब खोजने में कोई भी बाधा नहीं होगी। वह तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी में फैकल्टी ऑफ एजुकेशन की ओर से क्रियात्मक कौशल पर आयोजित अतिथि व्याख्यान में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहीं थीं। प्रो. जैन ने डिग्रियों के पाठ्यक्रम में इन स्किल्स की दक्षता संबंधित गतिविधियों को लागू करने पर जोर देते हुए कहा, स्किल्स में दक्ष होने के लिए शिक्षार्थी अपनी रूचि के प्रोफाइल चुन सकते हैं, अर्थात वे शिक्षक या अकादमिक प्रशासक बनना चाहते हैं या वे छात्र जो उच्च अध्ययन करना चाहते हैं। इन स्किल्स में दक्षता के समय सीखने वाले का आकलन और मूल्यांकन पैटर्न आवधिक होना चाहिए। इस आकलन को तीन स्तरों में वर्गीकृत किया जाता है।
पहला- जागरूकता, दूसरा- निर्देशित प्रतिक्रिया और तीसरा- स्वतंत्र रूप से प्रदर्शन करने वाले। इससे पूर्व फैकल्टी ऑफ एजुकेशन की प्राचार्या प्रो. रश्मि मेहरोत्रा ने मुख्य अतिथि प्रो. जैन का स्वागत करते हुए क्रियात्मक कौशल का संक्षिप्त संप्रत्यय भी दिया। अतिथि व्याख्यान में शिक्षा महाविद्यालयों के प्राचार्यों- डॉ. विनोद जैन, डॉ. रत्नेश जैन, डॉ. अशोक लखेडा, क्रियात्मक कौशल समन्वयक श्रीमती नाहिदा बी, डॉ. शैफाली जैन, डॉ. मुक्ता गुप्ता, श्री राहुल, श्री विनय, मिस शाजिया आदि की गरिमामयी मौजूदगी रही। इस मौके पर बीएड, बीईएलएड, बीएससी-बीड, बीए-बीएड आदि प्रोग्राम्स के स्टुडेंट्स भी उपस्थित रहे।