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तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी में इंटरनेशनल डे फॉर एलिमिनेशन ऑफ वायलेंस अगेन्स्ट वुमन पर हुआ गेस्ट गेक्चर

अब महिलाओं के प्रति बदला समाज का नजरिया: प्रो. दीक्षित

 

ख़ास बातें : 

  • असली सुरक्षा तो व्यवहार और समाज में परिवर्तन संभव: मुख्य वक्ता
  • महिलाएं कभी न करें आत्मसम्मान के साथ समझौताः प्रो. मंजुला जैन
  • पुरूष भी होते हैं महिलाओं के समान कॉपरेटिवः डॉ. ज्योतिपुरी

मुरादाबाद, 28 नवंबर ( भाटिया ।   तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के कॉलेज ऑफ लॉ एंड लीगल स्टडीज़ के डीन प्रो. हरबंश दीक्षित ने एलिमिनेशन ऑफ वायलेंस अगेन्स्ट वुमन पर बोलते हुए कहा, कानून केवल हमें सुरक्षा की संभावना प्रदान करता है। असली सुरक्षा तो व्यवहार और समाज में परिवर्तन से मिलती है। महिलाओं को विशेष सुरक्षा और कानूनों की जरूरत इसलिए रही, क्योंकि समाज में कहीं न कहीं इनकी उपेक्षा की गई। कानून और सुरक्षा उन लोगों के लिए अति आवश्यक हैं, जो आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक और ऐतिहासिक रूप से समाज की मुख्य धारा से पीछे रह गए हैं। उन्होंने उम्मीद जताई, पहले के मुकाबले अब महिलाओं के प्रति पुरूषों और समाज की सोच बदली है। प्रो. हरबंश टीएमयू के आउटरीच एंड एक्सटेंशन एक्टिविटीज सेल की ओर से इंटरनेशनल डे फॉर एलिमिनेशन ऑफ वायलेंस अगेन्स्ट वुमन पर आयोजित गेस्ट गेक्चर में बतौर मुख्य वक्ता बोल रहे थे। इससे पूर्व गेस्ट लेक्चर में मुख्य वक्ता प्रो.दीक्षित और अतिथियों को बुके देकर सम्मानित किया गया। संचालन आउटरीच एंड एक्सटेंशन एक्टिविटीज सेल के ज्वाइंट डायरेक्टर डॉ. अमित शर्मा ने किया।

प्रो. हरबंश ने कहा, जहां पर महिलाएं दूसरों पर निर्भर हैं, वहां हिंसा की संभावना अधिक होती है। अतः महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना होगा। उन्होंने घरेलू हिंसा उन्मूलन कानून के बारे में विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा, हमें कभी भी अपने अधिकारों का दुरूपयोग नहीं करना चाहिए। यदि हम अपने अधिकारों का दुरूपयोग करते हैं तो वे अधिकार हमसे दूर होते चले जाते हैं। इस बात को उन्होंने राजतंत्र, जमींदारी आदि उदाहरणों के जरिए समझाया।

टीएमयू की एसोसिएट डीन प्रो. मंजुला जैन ने कहा, किसी भी प्रकार की हिंसा का जवाब देने की ताकत आत्मसम्मान से आती है। अतः महिलाओं को कभी भी अपने आत्मसम्मान के साथ समझौता नहीं करना चाहिए।उन्होंने कहा, हमें अब बराबरी का हक मिलने लगा है। इसके लिए उन्होंने अनेक उदाहरण भी दिए। प्रो. जैन ने महिलाओं से कानून का दुरूपयोग न करने को भी कहा। उन्होंने महिलाओं को बराबरी के लिए तीन चीजें- सुरक्षा, समता और बोलने की स्वतंत्रता को आवश्यक बताया।

ज्वाइंट रजिस्ट्रार एकेडमिक्स डॉ. ज्योति पुरी बोलीं, हिंसा के लिए कहीं न कहीं महिलाएं भी स्वंय जिम्मेदार है। हम एक मां के रूप में अपने बेटों को अच्छे संस्कार नहीं दे पाती हैं। जिन्हें अच्छे संस्कार मिलते हैं, वे ही अच्छे नागरिक बनते हैं। संस्कार ही हिंसा को रोक सकते हैं। डॉ. पुरी ने कहा, हमें समाज में महिलाओं के प्रति असुरक्षा को खत्म करना है। इसके लिए हमें अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा, संस्कार और संस्कृति का बोध कराना होगा। उन्होंने महिलाओं को सुझाव दिया कि हमें पुरूषों के साथ उनके माइंड के अनुसार हैंडल करना आना चाहिए। पुरूष भी उतने ही कॉपरेटिव होते हैं जितनी कि आप। बशर्ते आप पेसेंस रखें और उनके साथ कॉपरेटिव व्यवहार करें। इस अवसर पर ज्वाइंट रजिस्ट्रार एल्युमिनाई रिलेसन्स डॉ. निखिल रस्तोगी के संग-संग डेंटल, एजुकेशन, पैरामेडिकल, फिजियोथैरेपी आदि की फीमेल फैकल्टीज की गरिमामयी मौजूदगी रही।

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