टैरिफ़ के घाव पर H1B का नमक!

By- Milind Khandekar
भारत और अमेरिका के रिश्ते ठीक होते दिखाई दे रहें थे तभी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक और फ़ैसला किया है जिससे हमें नुक़सान होगा. H1 B वीजा की फ़ीस बढ़ाकर एक लाख डॉलर कर दी है यानी क़रीब 88 लाख रुपये. कंपनियाँ यह वीजा अमेरिका से बाहर के कर्मचारियों को काम पर रखने के लिए लेती थीं. अब जितनी फ़ीस हो गई हैं उतनी तो भारतीय कर्मचारियों की सैलरी होती है.
पहले समझ लेते हैं कि H1 B वीज़ा क्या है? अमेरिकी सरकार कंपनियों को ऐसे कर्मचारियों के लिए यह वीज़ा देती है जो टेक्नोलॉजी, साइंस, मेडिकल जैसे क्षेत्र में काम करते हैं. हर साल 85 हज़ार लोगों को यह वीजा मिलता है . इसकी अवधि तीन साल होती है. इन 85 हज़ार लोगों में 50 हज़ार से ज़्यादा भारतीय होते हैं. अमेरिका की सोच यह रही है कि जिन क्षेत्रों में उसका अपना टैलेंट नहीं है उसे बाहर से मँगवाया जाएँ. भारतीयों के लिए यही अमेरिका में बसने की पहली सीढ़ी है. इस पर एक्सटेंशन लेते लेते वो ग्रीन कार्ड यानी वहाँ की नागरिकता पा सकते हैं.
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस पर हथौड़ा चला दिया है. H1B वीज़ा की फ़ीस अब सीधे एक लाख डॉलर कर दी है.पहले कितनी थी इस पर अलग-अलग अनुमान है जो चार हज़ार से सात हज़ार डॉलर के बीच में है. जिनके पास पहले से वीज़ा है उन पर अभी कोई असर नहीं पड़ेगा. यह फ़ीस नए वीज़ा पर लागू होगी. ट्रंप प्रशासन का कहना है कि कंपनियाँ इसकी आड़ में बाहर से सस्ते कर्मचारियों को रखती हैं क्योंकि उनकी सैलरी अमेरिकी कर्मचारियों के मुक़ाबले कम होती है. भारतीय कर्मचारियों को सालाना 90 हज़ार डॉलर से लेकर 1.20 लाख डॉलर सालाना मिलता है यानी कंपनियों को लगभग उतना ही पैसा वीज़ा पर खर्च करना पड़ेगा. ऐसी स्थिति में कंपनियाँ इस रास्ते से लोगों को लाने से बचेंगी तो भारतीय इंजीनियर के लिए अवसर कम हो सकते हैं.
भारत की IT कंपनियों पर भी इसका असर पड़ेगा. Infosys ,Wipro, TCS जैसी कंपनियाँ इस वीज़ा का इस्तेमाल कर कर्मचारियों को अमेरिका में भेजती हैं जहां वो दूसरी कंपनियों के लिए काम करते हैं.अमेरिकी शेयर बाज़ार में भारत की कंपनियों के शेयर (ADR) शुक्रवार को इस ख़बर के बाद गिर गए हैं . ये कंपनियाँ पहले ही AI की मार झेल रही हैं अब ट्रंप ने जले पर नमक छिड़क दिया है . नमक तो खैर टैरिफ़ के घाव पर भी डाला है. कहाँ तो ट्रेड डील की आस बंध रही थी कि यह नई मुसीबत आ गई है.
