खामोश दिल, अचानक मौत: 45 से कम उम्र के युवाओं में बढ़ता खतरा

By- Jyoti Rawat–
दिल का दौरा अब बुज़ुर्गों की बीमारी नहीं रह गया है। देश की सबसे प्रतिष्ठित चिकित्सा संस्था एम्स (AIIMS) के एक ताज़ा अध्ययन ने यह चिंताजनक सच उजागर किया है कि अचानक होने वाली मौतों (Sudden Deaths) का बड़ा हिस्सा अब 45 वर्ष से कम उम्र के युवाओं में हो रहा है। इनमें से कई लोग देखने में पूरी तरह स्वस्थ थे, जो घर पर, यात्रा के दौरान या नींद में अचानक गिर पड़े और उन्हें संभलने का मौका तक नहीं मिला।
यह अध्ययन भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) की एक परियोजना के तहत किया गया और इसे Indian Journal of Medical Research में प्रकाशित किया गया है। मई 2023 से अप्रैल 2024 के बीच एम्स, नई दिल्ली के पैथोलॉजी और फॉरेंसिक मेडिसिन विभाग में कुल 2,214 शव परीक्षण (ऑटोप्सी) का विश्लेषण किया गया। इनमें से 180 मामलों—यानी 8.1 प्रतिशत—को अचानक मौत की श्रेणी में रखा गया।
युवाओं में अचानक मौत का बढ़ता अनुपात
अध्ययन के अनुसार, अचानक मौत के कुल मामलों में से 57 प्रतिशत मौतें 18 से 45 वर्ष के युवाओं में हुईं। इन मृतकों की औसत उम्र 33.6 वर्ष पाई गई। सबसे चौंकाने वाला तथ्य यह रहा कि इन मामलों में पुरुषों का अनुपात बेहद अधिक था—हर एक महिला के मुकाबले 4.5 पुरुषों की मौत दर्ज की गई।
दिल की बीमारी सबसे बड़ा कारण
युवाओं में अचानक मौत का सबसे बड़ा कारण हृदय रोग निकला। अध्ययन में पाया गया कि 42.6 प्रतिशत मामलों में मौत की वजह दिल से जुड़ी बीमारी थी। इनमें से अधिकांश मामलों में गंभीर कोरोनरी आर्टरी डिज़ीज़ (धमनियों में गंभीर रुकावट) पाई गई, जबकि मृतकों को पहले किसी तरह की हृदय बीमारी का पता नहीं था। इसका मतलब साफ है कि दिल की बीमारी कई बार बिना लक्षण के अंदर-ही-अंदर बढ़ती रहती है।
इसके अलावा,
21.3 प्रतिशत मौतें श्वसन तंत्र (Respiratory causes) से जुड़ी रहीं, जैसे निमोनिया, टीबी और दम घुटना।
21.3 प्रतिशत मामले ऐसे थे जिनमें पूरी ऑटोप्सी और जांच के बावजूद मौत का कारण स्पष्ट नहीं हो सका। इन्हें “नेगेटिव ऑटोप्सी” कहा गया।
शेष मामलों में जठरांत्र (पेट), मस्तिष्क और मूत्र-जननांग तंत्र से जुड़े कारण सामने आए।
अनजानी दिल की बीमारियाँ और जेनेटिक खतरा
अध्ययन में यह भी सामने आया कि जिन मामलों में मौत का कारण स्पष्ट नहीं हो सका, उनमें संभवतः दिल की इलेक्ट्रिकल या आनुवंशिक (जेनेटिक) गड़बड़ियाँ जिम्मेदार हो सकती हैं, जिन्हें सामान्य जांच या ऑटोप्सी से पकड़ना मुश्किल होता है। विशेषज्ञों ने ऐसे मामलों में जेनेटिक टेस्टिंग और पारिवारिक स्क्रीनिंग की ज़रूरत पर ज़ोर दिया है।
कब और कहाँ हुईं ज़्यादातर मौतें
- अचानक मौतों का पैटर्न भी बेहद अहम संकेत देता है।
- 55 प्रतिशत लोगों की मौत घर पर हुई।
- 40 प्रतिशत मौतें रात या तड़के सुबह के समय दर्ज की गईं।
- सबसे ज़्यादा मौतें सप्ताह के मध्य (बुधवार–गुरुवार) को हुईं।
- ये घटनाएँ साल के सभी मौसमों में लगभग समान रूप से दर्ज की गईं।
परिजनों के अनुसार, मौत से पहले सबसे आम लक्षण अचानक बेहोशी था, इसके बाद सीने में दर्द और सांस लेने में तकलीफ़ की शिकायतें सामने आईं।
लाइफस्टाइल बनी सबसे बड़ी दुश्मन
- अध्ययन में युवाओं की जीवनशैली को सबसे बड़ा जोखिम कारक बताया गया है।
- अचानक मरने वाले युवाओं में 57 प्रतिशत धूम्रपान करते थे।
- 52 प्रतिशत युवाओं में शराब सेवन की आदत पाई गई।
- दिलचस्प बात यह है कि युवाओं में डायबिटीज़ और हाई ब्लड प्रेशर अपेक्षाकृत कम पाए गए, जबकि यही बीमारियाँ बुज़ुर्गों में अधिक आम रहीं।
- कोविड और वैक्सीनेशन से कोई सीधा संबंध नहीं
अध्ययन में यह भी स्पष्ट किया गया कि कोविड संक्रमण या कोविड वैक्सीनेशन और अचानक दिल से होने वाली मौतों के बीच कोई ठोस संबंध नहीं पाया गया। सभी आयु वर्गों में वैक्सीनेशन की दर अधिक थी, लेकिन इससे अचानक मौतों में वृद्धि का कोई प्रमाण नहीं मिला।
विशेषज्ञों की चेतावनी
एम्स के फॉरेंसिक मेडिसिन विभाग के डॉ. सुधीर गुप्ता के अनुसार, यह अध्ययन युवाओं में प्रीमैच्योर कोरोनरी आर्टरी डिज़ीज़ के खतरनाक बढ़ाव की ओर इशारा करता है। वहीं, पीएसआरआई हार्ट इंस्टीट्यूट के चेयरमैन डॉ. के.के. तलवार का कहना है कि युवाओं में अचानक मौतें अक्सर छुपी हुई बीमारियों से जुड़ी होती हैं, इसलिए समय रहते पहचान बेहद ज़रूरी है।
“स्वस्थ दिखना” हमेशा “स्वस्थ होना” नहीं होता
यह अध्ययन एक कड़ी चेतावनी है कि “स्वस्थ दिखना” हमेशा “स्वस्थ होना” नहीं होता। युवाओं में बढ़ती अचानक मौतें बताती हैं कि अनियमित जीवनशैली, धूम्रपान-शराब, तनाव और समय पर स्वास्थ्य जांच न कराना जानलेवा साबित हो सकता है। विशेषज्ञों का साफ संदेश है—नियमित हृदय जांच, तंबाकू और शराब से दूरी, और परिवार में हृदय रोग का इतिहास हो तो अतिरिक्त सतर्कता ही इस खामोश खतरे से बचाव का रास्ता है।
