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देहरादून में गढ़वाली, हिमाचल में हिमाचली–मोदी जी अब बोले – हिमाचल की धरती नेमेरे जीवन को दिशा देने में अहम भूमिका निभाई

हिमाचल प्रदेश में विभिन्न विकास परियोजनाओं के शुभारंभ के अवसर पर प्रधानमंत्री के संबोधन का मूल पाठ

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हिमाचल के राज्यपाल श्री राजेंद्र आर्लेकर जी, लोकप्रिय और ऊर्जावान मुख्यमंत्री श्री जयराम ठाकुर जी, पूर्व मुख्यमंत्री धुमल जी, केंद्र में मंत्रिपरिषद के मेरे सहयोगी अनुराग जी, संसद में मेरे साथी श्री सुरेश कश्यप जी, श्री किशन कपूर जी, बहन इंदु गोस्वामी जी, और हिमाचल के कोने-कोने से यहां पधारे मेरे प्यारे भाइयों और बहनों !

इस मिहिन्ने काशी विश्वनाथा रे दर्शन करने बाद… आज इस छोटी काशी मंझ, बाबा भूतनाथरा, पंच-वक्त्रारा, महामृत्युन्जयरा आशीर्वाद लैणे रा मौका मिल्या। देवभूमि रे, सभी देवी-देवतयां जो मेरा नमन।

साथियों,

हिमाचल से मेरा हमेशा से एक भावनात्मक रिश्ता रहा है। हिमाचल की धरती ने, हिमालय के उत्तुंग शिखरों ने मेरे जीवन को दिशा देने में अहम भूमिका निभाई है। और आज मैं जब आपके बीच आया हूं, और मैं जब भी मंडी आता हूं तो मंडी री सेपू बड़ी, कचौरी और बदाणे रे मिट्ठा की याद आ ही जाती है।

साथियों,

आज डबल इंजन की सरकार के भी 4 साल पूरे हुए हैं। सेवा और सिद्धि के इन 4 सालों के लिए हिमाचल की जनता जर्नादन को बहुत बहुत बधाई देता हूं।  और इतनी बड़ी तादाद में और ऐसी कड़ाके की ठंड में हम सबको आर्शीवाद देने के लिए आना। इसका मतलब ये है कि इन 4 साल में हिमाचल को तेज गति से आगे बढ़ते हुए आपने देखा है। जयराम जी और उनकी परिश्रमी टीम ने हिमाचल वासियों के सपनों को पूरा करने के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी है। इन 4 वर्षों में 2 साल हमने मजबूती से कोरोना से भी लड़ाई लड़ी है और विकास के कार्यों को भी रुकने नहीं दिया। बीते 4 सालों में हिमाचल को पहला एम्स मिला। हमीरपुर, मंडी, चंबा और सिरमौर में 4 नए मेडिकल कॉलेज स्वीकृत किए गए। हिमाचल की कनेक्टिविटी को सशक्त करने के लिए अनेक प्रयास भी जारी हैं।

भाइयों और बहनों,

आज यहां मंच पर आने से पहले मैं हिमाचल प्रदेश के औद्योगिक विकास से जुड़े कार्यक्रम में, इंवेस्टर्स मीट में शामिल हुआ। और यहां जो प्रदर्शनी लगी है। उसे देखकर भी मन अभिभूत हो गया। इसमें हिमाचल में हज़ारों करोड़ रुपए के निवेश का, युवाओं के लिए अनेक नए रोज़गार का मार्ग बना है। अभी यहां थोड़ी देर पहले 11 हज़ार करोड़ रुपए की लागत वाले 4 बड़े हाइड्रो-इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट्स का शिलान्यास या फिर लोकार्पण भी किया गया है। इनसे हिमाचल की आय बढ़ेगी और रोज़गार के हज़ारों अवसर भी बनेंगे। सावड़ा कुड्डु प्रोजेक्ट हो, लूहरी प्रोजेक्ट हो, धौलासिद्ध प्रोजेक्ट हो या रेणुका जी प्रोजेक्ट, ये सभी हिमाचल की आकांक्षा और देश की आवश्यकता की पूर्ति, दोनों के माध्यम से होने वाली है। सावड़ा कुड्डु बांध तो पियानो की आकृति वाला एशिया का पहला ऐसा बांध है। यहां पैदा हुई बिजली से हिमाचल को हर वर्ष लगभग सवा सौ करोड़ रुपए की आय होगी।

साथियों,

श्री रेणुकाजी हमारी आस्था का अहम केंद्र है। भगवान परशुराम और उनकी मां रेणुका जी के स्नेह की प्रतीक इस भूमि से आज देश के विकास के लिए भी एक धारा निकली है। गिरी नदी पर बन रही श्री रेणुकाजी बांध परियोजना जब पूरी हो जाएगी तो एक बड़े क्षेत्र को इससे सीधा लाभ होगा। इस प्रोजेक्ट से जो भी आय होगी उसका भी एक बड़ा हिस्सा यहीं के विकास पर खर्च होगा।

The Prime Minister, Shri Narendra Modi addressing at the inauguration and foundation stone laying ceremony of multiple projects, in Mandi, Himachal Pradesh on December 27, 2021.

साथियों,

देश के नागरिकों का जीवन आसान बनाना, Ease of Living, हमारी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। और इसमें बिजली की बहुत बड़ी भूमिका है। बिजली पढ़ने के लिए, बिजली घर के काम निपटाने के लिए, बिजली उद्योगों के लिए और इतना ही नहीं अब तो  बिजली मोबाइल चार्ज करने के लिए, उसके बिना कोई रह ही नहीं सकता। आप जानते हैं हमारी सरकार का ease of living मॉडल, पर्यावरण के प्रति सचेत है और पर्यावरण की रक्षा करने में भी मदद कर रहा है। आज यहां जो हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट्स का शिलान्यास और लोकार्पण हुआ है, वो भी climate friendly New India की तरफ देश का एक मजबूत कदम है। आज पूरा विश्व भारत की इस बात की प्रशंसा कर रहा है कि हमारा देश किस तरह पर्यावरण को बचाते हुए विकास को गति दे रहा है। सोलर पावर से लेकर हाइड्रो पावर तक, पवन ऊर्जा से लेकर ग्रीन हाइड्रोजन तक, हमारा देश renewable energy के हर संसाधन को पूरी तरह से इस्तेमाल करने के लिए निरंतर काम कर रहा है। मकसद यही है कि देश के नागरिकों की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के साथ, पर्यावरण की भी रक्षा हो। और भारत अपने लक्ष्यों को किस तरह प्राप्त कर रहा है, इसका एक उदाहरण देश की बढ़ती installed electricity capacity भी है।

साथियों,

भारत ने 2016 में ये लक्ष्य रखा था कि वो साल 2030 तक, अपनी installed electricity capacity का 40 प्रतिशत, non-fossil energy sources से पूरा करेगा। आज हर भारतीय को इसका गर्व होगा कि भारत ने अपना ये लक्ष्य, इस साल नवंबर में ही प्राप्त कर लिया है। यानि जो लक्ष्य 2030 का था, भारत ने वो 2021 में ही हासिल कर लिया है। ये है आज भारत के काम करने की रफ्तार, हमारे काम करने की रफ्तार।

साथियों,

पहाड़ों को प्लास्टिक की वजह से जो नुकसान हो रहा है, हमारी सरकार उसे लेकर भी सतर्क है। सिंगल यूज प्लास्टिक के खिलाफ देशव्यापी अभियान के साथ ही हमारी सरकार, प्लास्टिक Waste मैनेजमेंट पर भी काम कर रही है। प्लास्टिक कचरे को री-सायकिल करके आज उसका इस्तेमाल सड़क बनाने में हो रहा है। आज आपसे बात करते हुए मैं हिमाचल आने वाले, देश के कोने कोने से लोग यहां आते हैं। हिमाचल आने वाले  सभी पर्यटकों से भी एक आग्रह करना चाहता हूं। हिमाचल को स्वच्छ रखने में, प्लास्टिक और अन्य कचरे से मुक्त रखने में पर्यटकों का भी दायित्व बहुत बड़ा है। इधर उधर फैला प्लास्टिक, नदियों में जाता प्लास्टिक, हिमाचल को जो नुकसान पहुंचा रहा है, उसे रोकने के लिए हमें मिलकर प्रयास करना होगा।

साथियों,

देवभूमि हिमाचल को प्रकृति से जो वरदान मिला हुआ है, हमें उसे संरक्षित करना ही होगा। यहां टूरिज्म के साथ ही औद्योगिक विकास की भी अपार संभावना हैं। हमारी सरकार इस दिशा में भी लगातार काम कर रही है। हमारा जोर विशेष तौर पर Food Industry, Farming और Pharma पर है। और यहां फंड तो है ही है। टूरिज्म का फंड हिमाचल से बढ़कर कहां मिलेगा। हिमाचल की फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्रीज में विस्तार की बहुत क्षमता है। इसलिए हमारी सरकार मेगा फूड पार्क से लेकर कोल्ड स्टोरेज इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत कर रही है। फार्मिंग में, नैचुरल फार्मिंग को, प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए भी डबल इंजन की सरकार निरंतर काम कर रही है। आज प्राकृतिक खेती से हुई उपज की दुनिया भर में मांग बढ़ रही है। केमिकल मुक्त कृषि उत्पाद आज विशेष आकर्षण का केंद्र बन रहे हैं। मुझे खुशी है कि हिमाचल इसमें भी अच्छा काम कर रहा है, राज्य में अनेक बायो-विलेज बनाए गए हैं। और मैं आज विशेष रूप से हिमाचल के किसानों को हृदय से अभिनंदन करना चाहता हूं कि उन्होंने प्राकृतिक खेती का रास्ता चुना है। मुझे बताया गया करीब – करीब डेढ़ लाख से ज्यादा किसान इतने छोटे से राज्य में और बहुत ही कम समय में केमिकल मुक्त प्राकृतिक खेती के रास्ते पर चल पड़े हैं। और मैं आज अभी प्रदर्शनी में प्राकृतिक खेती के उत्पाद देख रहा था। उसकी साईज भी इतनी लुभावनी थी, उसके रंग रूप इतने लुभावने थे। मुझे बहुत खुशी हुई, मैं हिमाचल को, हिमाचल के किसानों को इस बात के लिए हृदय से अभिनंदन करता हूं और देश भर के किसानों को आग्रह करता हूं कि हिमाचल ने जो रास्ता चुना है यह रास्ता उत्तम किसानी का एक उत्तम मार्ग है। आज जब पैक्ड फूड का चलन बढ़ रहा है तो हिमाचल, इसमें बहुत बड़ी भूमिका निभा सकता है।

साथियों,

हिमाचल प्रदेश, देश के सबसे महत्वपूर्ण फार्मा Hub में से एक है। भारत को आज pharmacy of the world कहा जाता है तो इसके पीछे हिमाचल की बहुत बड़ी ताकत है। कोरोना वैश्विक महामारी के दौरान हिमाचल प्रदेश ने ना सिर्फ दूसरे राज्यों, बल्कि दूसरे देशों की भी मदद की है। फार्मा इंडस्ट्री के साथ ही हमारी सरकार आयुष इंडस्ट्री- नैचुरल मेडिसिन से जुड़े उद्यमियों को भी बढ़ावा दे रही है।

साथियों,

आज देश में सरकार चलाने के दो अलग-अलग मॉडल काम कर रहे हैं। एक मॉडल है-  सबका साथ- सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास। वहीं दूसरा मॉडल है- खुद का स्वार्थ, परिवार का स्वार्थ और विकास भी खुद के परिवार का है। अगर हम हिमाचल में ही देखें तो आज पहला मॉडल, जिस मॉडल को हम लेकर के आपके पास आए वो मॉडल पूरी शक्ति से राज्य के विकास में जुटा हुआ है। इसी का परिणाम है कि हिमाचल ने अपनी पूरी वयस्क जनसंख्या को वैक्सीन देने में बाकी सबसे बाजी मार ली। यहां जो सरकार में हैं, वो राजनीतिक स्वार्थ में डूबे नहीं हैं बल्कि उन्होंने पूरा ध्यान, हिमाचल के एक एक नागरिक को वैक्सीन कैसे मिले, इसमे लगाया है। और मुझे एक बार वर्चुअली  इस काम में जुटे लोगों से बात करने का सौभाग्य मिला था। बड़ा प्रेरक, एक – एक की बात इतनी प्रेरक थी

भाइयो – बहनों

हिमाचल के लोगों के स्वास्थ्य की चिंता थी इसलिए दूर-दराज के क्षेत्रों में भी, कष्ट उठाकर के भी,  सबने वैक्सीन पहुंचाई है। ये है हमारा सेवा भाव, लोगों के प्रति दायित्व का ऐहसास है। यहां सरकार ने लोगों के विकास के लिए अनेक नई योजनाओं को लागू किया है और केंद्र सरकार की योजनाओं का भी बेहतर तरीके से विस्तार कर रही है। ये दिखाता है कि हिमाचल सरकार को लोगों की, गरीबों की कितनी चिंता है।

साथियों,

आज हमारी सरकार, बेटियों को, बेटों के समान अधिकार देने के लिए काम कर रही है। बेटा-बेटी एक समान। और इतनी बड़ी मात्रा में माताएं – बहनें आई हैं। तो उनके आर्शीवाद हमे इस काम के लिए ताकत देते हैं। बेटा – बेटी एक समान। हमने तय किया है कि बेटियों की शादी की उम्र भी वही होनी चाहिए, जिस उम्र में बेटों को शादी की इजाजत मिलती है। देखिए सबसे ज्यादा तालियां हमारी बहनें बजा रही हैं। बेटियों की शादी की उम्र 21 साल होने से, उन्हें पढ़ने के लिए पूरा समय भी मिलेगा और वो अपना करियर भी बना पाएंगी। हमारे इन सारे प्रयासों के बीच, आप एक दूसरा मॉडल भी देख रहे हैं जो सिर्फ अपना स्वार्थ देखता है, अपना वोटबैंक देखता है। जिन राज्यों में वो सरकार चला रहे हैं, उसमें प्राथमिकता गरीबों के कल्याण को नहीं बल्कि खुद के परिवार के कल्याण की ही है। मैं जरा चाहुंगा, देश के पंडितो से आग्रह करूंगा जरा उन राज्यों का वैक्सीनेशन रिकॉर्ड भी जरा देख लीजिए। उनका वैक्सीनेशन रिकॉर्ड भी इस बात का गवाह है कि उन्हें अपने राज्य के लोगों की चिंता नहीं है।

साथियों,

हमारी सरकार पूरी संवेदनशीलता के साथ, सतर्कता के साथ, आपकी हर आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए निरंतर काम कर रही है। अब सरकार ने तय किया है कि 15 से 18 साल के बीच जो बच्चें हैं, बेटे – बेटियां हैं।  उनको भी 3 जनवरी, सोमवार से वैक्सीन लगाना शुरू हो जाएगा। 3 जनवरी, सोमवार से अभियान शुरू होने वाला है।  मुझे विश्वास है, हिमाचल प्रदेश, इसमें भी शानदार काम करके दिखाएगा। देश को दिशा देने का काम हिमाचल करके रहेगा। हमारे जो हेल्थ सेक्टर के लोग हैं, फ्रंटलाइन वर्कर हैं, वो पिछले दो साल से कोरोना से लड़ाई में देश की एक बहुत बड़ी ताकत बने हुए हैं। उन्हें भी 10 जनवरी से प्री-कॉशन डोज देने का काम शुरू होगा। 60 साल से ऊपर के बुजुर्ग जिन्हें पहले से गंभीर बीमारियां हैं, उन्हें भी डॉक्टरों की सलाह पर प्री-कॉशन डोज का विकल्प दिया गया है। ये सारे प्रयास, हिमाचल के लोगों को सुरक्षा कवच तो देंगे ही, यहां के लिए जरूरी टूरिज्म सेक्टर को भी बचाने में और आगे बढ़ाने में ये बहुत मदद करेंगे।

साथियों,

हर देश में अलग-अलग विचारधाराएं होती हैं, लेकिन आज हमारे देश के लोग स्पष्ट तौर पर दो विचारधाराओं को देख रहे हैं। एक विचारधारा विलंब की है और दूसरी विकास की है। विलंब की विचारधारा वालों ने पहाड़ों पर रहने वाले लोगों की कभी परवाह नहीं की। चाहे इंफ्रास्ट्रक्चर का काम हो, लोगों को बुनियादी सुविधाएं देने का काम हो, विलंब की विचारधारा वालों ने, हिमाचल के लोगों को दशकों का इंतजार करवाया। इसी वजह से अटल टनल के काम में बरसों का विलंब हुआ। रेणुका जी परियोजना में भी तीन दशकों का विलंब हुआ। उन लोगों की विलंब की विचारधारा से अलग, हमारा कमिटमेंट सिर्फ और सिर्फ विकास के लिए है। तेज गति के विकास के लिए है। हमने अटल टनल का काम पूरा करवाया। हमने चंडीगढ़ से मनाली और शिमला को जोड़ने वाली सड़क का चौड़ीकरण किया। हम सिर्फ हाईवे और रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर ही विकसित नहीं कर रहे बल्कि अनेकों जगहों पर रोपवे भी लगवा रहे हैं। हम दूर-दराज के गावों को प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना से भी जोड़ रहे हैं।

साथियों,

बीते 6-7 सालों में जिस तरह डबल इंजन की सरकार ने काम किया है, उससे हमारी बहनों के जीवन में विशेष तौर पर बहुत बदलाव आया है। पहले खाना बनाने के लिए लकड़ी के इंतजाम में हमारी बहनों का बहुत समय बीत जाता था। आज घर-घर गैस सिलेंडर पहुंचा है। शौचालय की सुविधा मिलने से भी बहनों को बहुत राहत मिली है। पानी के लिए यहां की बहनों-बेटियों को कितनी मेहनत करनी पड़ती थी, ये आपसे बेहतर और कौन जानता है। एक समय था जब पानी का कनेक्शन पाने के लिए ही कई-कई दिनों तक सरकारी दफ्तर के चक्कर लगाने पड़ते थे। आज सरकार खुद पानी का कनेक्शन देने के लिए आपके दरवाज़े पर दस्तक दे रही है। आज़ादी के 7 दशक में हिमाचल में 7 लाख परिवारों को पाइप से पानी मिला था। 7 दशक में 7 लाख परिवारों को। सिर्फ 2 साल के भीतर ही और वो भी कोरोना काल होते बावजूद भी 7 लाख से अधिक नए परिवारों को पाइप से पानी मिल चुका है। 7 दशक में 7 लाख कितने? सात दशक में कितने ? जरा उधर से भी आवाज आए कितने? 7 दशक में 7 लाख। और हमने दो साल में दिए सात लाख और नए। कितने दिए? सात लाख घरों में पानी पहुंचाने का काम। अब लगभग 90 प्रतिशत आबादी के पास नल से जल की सुविधा है। डबल इंजन सरकार का यही लाभ होता है। केंद्र सरकार का एक इंजन जिस योजना को शुरू करता है, राज्य सरकार का दूसरा इंजन उस योजना को तेज गति से आगे ले जाता है। अब जैसे आयुष्मान भारत योजना का उदाहरण है। इस योजना को आगे बढ़ाते हुए राज्य सरकार ने हिमकेयर योजना शुरू की और ज्यादा लोगों को 5 लाख रुपए तक के मुफ्त इलाज के दायरे में लाई। इन योजनाओं में हिमाचल के लगभग सवा लाख मरीज़ों को फ्री इलाज मिल चुका है। इसी प्रकार यहां की सरकार ने उज्जवला योजना के लाभार्थियों का विस्तार गृहणी सुविधा योजना से किया, जिससे लाखों बहनों को एक नई मदद मिली। केंद्र सरकार इस मुश्किल समय में जो मुफ्त राशन पहुंचा रही है, उसको तेज़ी से हर लाभार्थी तक पहुंचाने का काम भी राज्य सरकार यहां कर रही है।

साथियों,

हिमाचल वीरों की धरती है, हिमाचल अनुशासन की धरती है, देश की आन-बान और शान को बढ़ाने वाली धरती है। यहां के घर-घर में देश की रक्षा करने वाले वीर बेटे-बेटियां हैं। हमारी सरकार ने बीते सात वर्षों में देश की सुरक्षा बढ़ाने के लिए जो काम किए हैं, फौजियों, पूर्व फौजियों के लिए जो निर्णय लिए हैं, उसका भी बहुत बड़ा लाभ हिमाचल के लोगों को हुआ है। वन रैंक वन पेंशन का दशकों से अटका हुआ फैसला, विलम्ब वाली नीति, वो अटका हुआ फैसला हो या फिर सेना को आधुनिक हथियार और बुलेट प्रूफ जैकेट देने का काम, ठंड में परेशानी कम करने करने के लिए जरूरी साधन-संसाधन देना हो या फिर आने-जाने के लिए बेहतर कनेक्टिविटी, सरकार के प्रयासों का लाभ हिमाचल के हर घर तक पहुंच रहा है।

साथियों,

भारत में पर्यटन और तीर्थाटन आपस में जुड़ते चले जा रहे हैं। तीर्थाटन में हिमाचल का जो सामर्थ्य है, उसका कोई मुकाबला नहीं है। ये शिव और शक्ति का स्थान है। पंच कैलाश में से 3 कैलाश हिमाचल प्रदेश में हैं। इसी प्रकार हिमाचल में कई शक्तिपीठ भी हैं। बौद्ध आस्था और संस्कृति का भी अहम स्थान यहां मौजूद हैं। डबल इंजन की सरकार हिमाचल की इस ताकत को कई गुणा बढ़ाने वाली है।

मंडी में शिवधाम का निर्माण भी इसी प्रतिबद्धता का परिणाम है।

भाइयों और बहनों,

आज जब भारत आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, तब हिमाचल भी पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने की स्वर्ण जयंती वर्ष मना रहा है। यानि ये हिमाचल के लिए नई संभावनाओं पर काम करने का भी समय है। हिमाचल ने हर राष्ट्रीय संकल्प की सिद्धि में अग्रणी भूमिका निभाई है। आने वाले समय में भी ये उत्साह जारी रहेगा। एक बार फिर विकास और विश्वास के 5वें वर्ष की और नववर्ष की मंगलकामनाएं। आपको अनेक – अनेक शुभकामनाएं इतना प्यार देने के लिए, इतने आर्शीवाद देने के लिए। मैं फिर एक बाद इस देवभूमि को प्रणाम करता हूं।

मेरे साथ बोलिये,

भारत माता की जय !

भारत माता की जय !

भारत माता की जय !

बहुत – बहुत धन्यवाद।

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