भारत में होम्योपैथी: परंपरा, विश्वास और भविष्य
Homoeopathy in India has grown into a robust and trusted system of healthcare, backed by strong infrastructure, legal support, and scientific research. With a large network of practitioners, institutions, hospitals, and research centers, India plays a leading role in promoting and advancing homeopathy globally. Celebrations like World Homoeopathy Day are a reminder of the country’s commitment to safe, evidence-based, and affordable healing. The coordinated efforts of the NCH, CCRH, and PCIM&H continue to modernize and strengthen homeopathy, ensuring its relevance in the 21st century.
सारांश:
- विश्व होम्योपैथी दिवस हर साल 10 अप्रैल को मनाया जाता है।
- होम्योपैथी दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी चिकित्सा प्रणाली है। 2025 में, विश्व होम्योपैथी दिवस के अवसर पर भारत गुजरात के गांधीनगर में अपनी विशालतम होम्योपैथिक संगोष्ठी का आयोजन कर रहा है।
- भारत में 3.45 लाख पंजीकृत होम्योपैथी डॉक्टर, 277 होम्योपैथी अस्पताल, 8,593 होम्योपैथी औषधालय और 277 होम्योपैथी शिक्षण संस्थान हैं।
- राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग (एनसीएच) पूर्ववर्ती 1973 अधिनियम को आधुनिक 2020 अधिनियम से बदलते हुए शिक्षा और प्रैक्टिस को नियंत्रित करता है है।
- केंद्रीय होम्योपैथी अनुसंधान परिषद (सीसीआरएच) द्वारा साक्ष्य-आधारित होम्योपैथी को आगे बढ़ाते हुए 35 से अधिक शोध केंद्रों और ओपीडी का संचालन किया जाता है।
- फार्माकोपिया आयोग (पीसीआईएम एंड एच) मानक फार्माकोपिया और परीक्षण प्रयोगशालाओं के माध्यम से उच्च गुणवत्ता वाली दवाएं सुनिश्चित करता है।
- होम्योपैथी केंद्रीय परिषद अधिनियम, 1973 को राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग अधिनियम, 2020 द्वारा प्रतिस्थापित किया गया ताकि पारदर्शी और वैज्ञानिक रूप से संचालित नियामक ढांचे के माध्यम से होम्योपैथिक शिक्षा, प्रैक्टिस और अनुसंधान को आधुनिक बनाया जा सके और उसमें सुधार किया जा सके।
-A PIB Feature-
होम्योपैथी “सम: समम् शमयति” के सिद्धांत पर आधारित उपचार का एक प्राकृतिक तरीका है, जिसका कहना है कि एक स्वस्थ व्यक्ति में बीमारी के लक्षण पैदा करने वाला पदार्थ बीमार व्यक्ति में भी उसी तरह के लक्षणों को ठीक कर सकता है दो शताब्दियों से भी अधिक समय से चली आ रही होम्योपैथी दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी चिकित्सा पद्धति है, इसके सुरक्षित और समग्र उपचार वाले दृष्टिकोण की बदौलत लाखों लोग इस पर भरोसा करते हैं। हर साल 10 अप्रैल को भारत दुनिया के साथ मिलकर विश्व होम्योपैथी दिवस मनाता है, जो होम्योपैथी के जनक डॉ. सैमुएल हैनिमैन की जयंती का प्रतीक है। भारत में, इस दिन का विशेष महत्व है, क्योंकि देश में 100 मिलियन से अधिक लोग इस उपचार पर निर्भर हैं।
2016 से, केंद्रीय होम्योपैथी अनुसंधान परिषद (सीसीआरएच) की ओर से विश्व होम्योपैथी दिवस को प्रभावशाली कार्यक्रमों की श्रृंखला के साथ मनाया जाता रहा है जो होम्योपैथी के वैश्विक विकास में अनुसंधान की भूमिका पर बल देते हैं। ये वार्षिक समारोह एक साझा लक्ष्य – उपचार की इस सौम्य प्रणाली की वैज्ञानिक ताकत और साक्ष्य-आधारित क्षमता को प्रदर्शित करना- के प्रति एकजुट होम्योपैथिक डॉक्टरों, वैज्ञानिकों, कैमिस्टों, भौतिकविदों, सूक्ष्म जीव विज्ञानियों और औषध विज्ञानियों को एक साथ लाते हैं।
इस वर्ष, गुजरात के गांधीनगर में महात्मा मंदिर सम्मेलन और प्रदर्शनी केंद्र में आयोजित यह उत्सव भारत की विशालतम होम्योपैथी संगोष्ठी के साथ नई ऊंचाइयों को छू रहा है। सीसीआरएच, राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग [एनसीएच] और राष्ट्रीय होम्योपैथी संस्थान [एनआईएच] द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित इस कार्यक्रम में अंतर्दृष्टिपूर्ण चर्चाएं, अभूतपूर्व शोध प्रस्तुतियां और देश में होम्योपैथी उद्योग की सबसे बड़ी प्रदर्शनी शामिल होगी। यह भारतीय होम्योपैथी के नवाचार, सहयोग और वैश्विक मान्यता के लिए एक जीवंत मंच भी प्रदान करेगा।
भारत में होम्योपैथी की झलक
होम्योपैथी ने धीरे–धीरे भारत में सबसे मजबूत स्वास्थ्य सेवा सहायता प्रणालियों में से एक का निर्माण किया है। इसके नरम दृष्टिकोण के पीछे डॉक्टरों, अस्पतालों, कॉलेजों और अनुसंधान का एक ठोस ढांचा है। 3.45 लाख से अधिक पंजीकृत होम्योपैथिक डॉक्टर लाखों लोगों को कोमल, किफायती चिकित्सा प्रदान करने के लिए देश भर में काम कर रहे हैं।
भारत में 277 होम्योपैथी अस्पताल भी हैं, जो इनपेशेंट केयर प्रदान करते हैं। ये अस्पताल उन रोगियों की मदद करते हैं, जिन्हें आपातकालीन उपचार की तो आवश्यकता नहीं होती, लेकिन सावधानीपूर्वक देखभाल की आवश्यकता होती है। इसके अलावा, शहरों और गांवों में फैले 8,593 होम्योपैथी औषधालय हैं जो बुनियादी स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। लंबे समय तक निगरानी और रिकवरी की आवश्यकता वाले लोगों के लिए भारत आयुष वेलनेस अस्पतालों में 8,697 होम्योपैथी बेड प्रदान करता है।
होम्योपैथी में शिक्षा भी उन्नति कर रही है। देश भर में 277 कॉलेज हैं। इनमें 197 स्नातक संस्थान, 3 स्टैंडअलोन स्नातकोत्तर कॉलेज और 77 संयुक्त यूजी/पीजी कॉलेज शामिल हैं। ये सभी आयुष मंत्रालय के राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग के अंतर्गत आते हैं। इन संस्थानों को 7,092 समर्पित शिक्षण संकाय सदस्यों द्वारा संचालित किया जाता है, जो बीएचएमएस (बैचलर ऑफ होम्योपैथिक मेडिसिन एंड सर्जरी) डॉक्टरों की अगली पीढ़ी को आकार देते हैं।
फार्मास्यूटिकल के मोर्चे पर, भारत में होम्योपैथिक दवाओं के उत्पादन में 384 उद्योग शामिल हैं। यह पूरे देश में उच्च गुणवत्ता वाले, मानकीकृत उपचारों की उपलब्धता सुनिश्चित करता है। गुणवत्ता में सहायता करने के लिए, होम्योपैथिक दवाओं के लिए 1,117 आधिकारिक फार्माकोपियल मोनोग्राफ प्रकाशित किए गए हैं – जो सुरक्षित और प्रभावी दवा तैयार करने के लिए एक विश्वसनीय संदर्भ प्रदान करते हैं।
केंद्रीय होम्योपैथी अनुसंधान परिषद (सीसीआरएच) के तहत 35 समर्पित अनुसंधान केंद्रों और ओपीडी के साथ, भारत आधुनिक दुनिया में इस प्राचीन प्रणाली की सीमाओं को आगे बढ़ा रहा है।
और सब कुछ सुचारू रूप से चलाने के लिए, 28 राज्य परिषदें और बोर्ड यह सुनिश्चित करते हैं कि डॉक्टर सुयोग्य और नैतिक रूप से पंजीकृत हों, जिससे इस स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में जनता का विश्वास बना रहे।
भारत में होम्योपैथी कानून
भारत में होम्योपैथी का विकास मजबूत कानूनी और संस्थागत ढांचे के आधार पर हुआ है, जिसकी शुरुआत होम्योपैथी केंद्रीय परिषद अधिनियम, 1973 से हुई थी। इस ऐतिहासिक कानून को पूरे देश में होम्योपैथिक शिक्षा और पेशेवर प्रैक्टिस को विनियमित करने के लिए बनाया गया था। भारतीय चिकित्सा परिषद अधिनियम 1956 की तर्ज पर, इसने होम्योपैथी को संस्थागत बनाने और पूरे देश में समान मानकों को सुनिश्चित करने में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
हालाँकि, समय के साथ, इस प्रणाली को चुनौतियों का सामना करना पड़ा। शासन में खामियों, शिक्षा की गुणवत्ता में विसंगतियों और पारदर्शिता की कमी ने व्यापक सुधारों की आवश्यकता को रेखांकित किया। इन मुद्दों को हल करने और नियामक ढांचे को आधुनिक बनाने के लिए, आयुष मंत्रालय ने 5 जुलाई 2021 की अधिसूचना के माध्यम से राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग (एनसीएच) की स्थापना की। इस कदम ने 1973 के अधिनियम को निरस्त कर दिया और राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग अधिनियम, 2020 को लागू किया।
आयुष मंत्रालय के तहत एक वैधानिक निकाय के रूप में, एनसीएच अब इस प्रणाली को आधुनिक और पारदर्शी तरीके से विनियमित करने के लिए उत्तरदायी है। इस विजन के अनुरूप, आयोग ने होम्योपैथी राष्ट्रीय आयोग (होम्योपैथी में चिकित्सा अनुसंधान) विनियमन, 2023 पेश किया, जो इस क्षेत्र में अनुसंधान करने के लिए स्पष्ट दिशा–निर्देश देता है – यह सुनिश्चित करते हुए कि यह वैज्ञानिक रूप से ठोस, नैतिक और साक्ष्य–आधारित है।
भारत में होम्योपैथी का बुनियादी ढांचा
भारत के होम्योपैथी क्षेत्र को परस्पर मिल–जुलकर कार्य करने वाले कई विशेषज्ञ निकायों द्वारा विनियमित किया जाता है:
· राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग (एनसीएच) – राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग (एनसीएच) की स्थापना राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग अधिनियम, 2020 के तहत की गई थी, जो 5 जुलाई 2021 को एक राजपत्र अधिसूचना के माध्यम से लागू हुआ।इसके साथ ही होम्योपैथी केंद्रीय परिषद अधिनियम, 1973 के तहत गठित बोर्ड ऑफ गवर्नर्स और केंद्रीय होम्योपैथी परिषद को भंग कर दिया गया।
· केंद्रीय होम्योपैथी अनुसंधान परिषद (सीसीआरएच) – केंद्रीय होम्योपैथी अनुसंधान परिषद (सीसीआरएच) आयुष मंत्रालय के तहत एक शीर्ष अनुसंधान संगठन है, जो 27 अनुसंधान संस्थानोंइकाइयों और 07 होम्योपैथिक उपचार केंद्रों के अपने नेटवर्क के माध्यम से होम्योपैथी में वैज्ञानिक अनुसंधान का समन्वय, विकास, प्रसार और संवर्धन करता है और उत्कृष्टता संस्थानों के साथ सहयोग करने, होम्योपैथी को बढ़ावा देने और उपरोक्त संस्थानों/इकाइयों और उपचार केंद्रों के ओपीडी/आईपीडी के माध्यम से स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने सहित आंतरिक अनुसंधान कर रहा है।
· भारतीय चिकित्सा एवं होम्योपैथी भेषजसंहिता आयोग (पीसीआईएम एंड एच) – यह आयुष मंत्रालय का एक अधीनस्थ कार्यालय है, जो भेषजकोश और सूत्रों को विकसित करने तथा भारतीय चिकित्सा एवं होम्योपैथी प्रणालियों के लिए केंद्रीय औषधि परीक्षण सह अपीलीय प्रयोगशाला के रूप में कार्य करने के लिए उत्तरदायी है। प्रारंभ में यह 18 अगस्त 2010 को पीसीआईएम के रूप में स्थापित और सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत पंजीकृत था, होम्योपैथी को शामिल करने के बाद 20 मार्च 2014 को इसका नाम बदलकर पीसीआईएमएंडएच कर दिया गया।
निष्कर्ष
भारत में होम्योपैथी स्वास्थ्य सेवा मजबूत बुनियादी ढांचे, कानूनी सहायता और वैज्ञानिक अनुसंधान द्वारा समर्थित एक मजबूत और विश्वसनीय प्रणाली के रूप में विकसित हुई है। चिकित्सकों, संस्थानों, अस्पतालों और अनुसंधान केंद्रों के विशाल नेटवर्क के साथ भारत वैश्विक स्तर पर होम्योपैथी को बढ़ावा देने और आगे बढ़ाने में अग्रणी भूमिका निभाता है। विश्व होम्योपैथी दिवस जैसे समारोह सुरक्षित, साक्ष्य–आधारित और किफायती उपचार के प्रति देश की प्रतिबद्धता की याद दिलाते हैं। 21वीं सदी में होम्योपैथी की प्रासंगिकता सुनिश्चित करते हुए इसको आधुनिक और मजबूत बनाने की दिशा में एनसीएच, सीसीआरएच और पीसीआईएमएंडएच के समन्वित प्रयास जारी हैं।