पर्यावरण

देश की सबसे महंगी मियावाकी परियोजना पर IFS अधिकारी ने उठाए सवाल

 

देहरादून, 20 जुन। देहरादून वन प्रभाग द्वारा प्रस्तावित मियावाकी वृक्षारोपण योजना, जिसमें प्रति हेक्टेयर अनुमानित लागत ₹52 लाख रखी गई है, पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। इंडियन फॉरेस्ट सर्विस (IFS) के वरिष्ठ और व्हिसलब्लोअर अधिकारी संजीव चतुर्वेदी ने इस अत्यधिक लागत वाली योजना की जांच की मांग की है।

अप्रैल 2025 में प्रमुख वन बल अधिकारी धनंजय मोहन को भेजे पत्र में, वर्तमान में वन अनुसंधान शाखा के प्रमुख वन संरक्षक चतुर्वेदी ने इस लागत को “देश में इस प्रकार की परियोजनाओं में संभवतः सबसे अधिक” बताया। उन्होंने इस परियोजना में तीन वर्षों के लिए 18,333 पौधे प्रति ₹100 की दर से खरीदने के प्रस्ताव को चिन्हित किया, जबकि विभाग की नर्सरियों में उगाए जाने वाले पौधों की मानक दर ₹10 है।

चतुर्वेदी की देहरादून के कालसी क्षेत्र में मियावाकी तकनीक पर आधारित पूर्व परियोजना को 2023 में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तत्कालीन महानिदेशक सीपी गोयल द्वारा सराहना मिली थी। उस परियोजना में, जो मृदा क्षरण की समस्या को ध्यान में रखते हुए बनाई गई थी, 70 देशी प्रजातियों के 9,000 पौधे एक हेक्टेयर भूमि पर लगाए गए थे, जिसकी कुल लागत करीब ₹14 लाख थी।

चतुर्वेदी ने मसूरी वन प्रभाग की एक और समान परियोजना को भी चिन्हित किया, जिसमें 7-8 फीट ऊंचे पौधे ₹100 से ₹400 प्रति पौधा के हिसाब से लगाने की योजना बनाई गई थी। इस पांच वर्षीय परियोजना की अनुमानित लागत ₹4.25 करोड़ आंकी गई थी, जिसे उन्होंने “वैज्ञानिक रूप से त्रुटिपूर्ण और वित्तीय दृष्टिकोण से अत्यधिक” बताया। उन्होंने इस परियोजना को केवल दो हेक्टेयर तक सीमित रखने और मसूरी में एक-एक हेक्टेयर के छह वैकल्पिक स्थलों का सुझाव दिया।

इस मामले में प्रतिक्रिया देते हुए उत्तराखंड के वन मंत्री सुबोध उनियाल ने वरिष्ठ अधिकारी कपिल लाल को जांच सौंपी है। उन्होंने गुरुवार को बताया, “देहरादून में गड्ढे खोदने और खाद डालने जैसे प्रारंभिक कार्य किए गए थे। मसूरी में 31 मार्च तक फंड सरेंडर कर दिया गया और पौधों की खरीद नहीं हुई। जांच चल रही है।”

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