गंगा नदी के संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण सीवरेज अवसंरचना परियोजनाओं को दी गई मंजूरी
In a major step towards tackling pollution, the committee approved the interception and diversion of the Durga Drain and the construction of a 60 MLD capacity sewage treatment plant (STP) in Varanasi, Uttar Pradesh, at a cost of ₹274.31 crore.
नई दिल्ली, 13 फरबरी। एनएमसीजी के महानिदेशक की अध्यक्षता में राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) की 60वीं कार्यकारी समिति की बैठक में गंगा नदी के संरक्षण एवं पुनर्जीवन के उद्देश्य से विभिन्न महत्वपूर्ण परियोजनाओं को मंजूरी दी गई। इन पहलों का उद्देश्य स्वच्छता को बढ़ाना, सतत विकास को प्रोत्साहित करना और नदी की पर्यावरणीय एवं सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करना है।
प्रदूषण से निपटने की दिशा में एक बड़े कदम के तहत, समिति ने 274.31 करोड़ रुपये की लागत से दुर्गा ड्रेन के अवरोधन एवं डायवर्जन और उत्तर प्रदेश के वाराणसी में 60 एमएलडी क्षमता वाले सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) के निर्माण को मंजूरी दे दी। हाइब्रिड वार्षिकी मॉडल पर आधारित इस परियोजना में 75 एमएलडी क्षमता का मुख्य पंपिंग स्टेशन और अन्य आवश्यक संरचनाएं शामिल हैं, जो दीर्घकालिक स्तर पर अपशिष्ट जल प्रबंधन और प्रदूषण नियंत्रण को सुनिश्चित करेंगी।
इसके अलावा, भदोही में गंगा की एक प्रमुख सहायक नदी वरुणा में अनुपचारित सीवेज के प्रवाह को रोकने हेतु एक महत्वपूर्ण परियोजना को मंजूरी दी गई। कुल 127.26 करोड़ रुपये के निवेश के साथ, यह पहल 17 एमएलडी, 5 एमएलडी व 3 एमएलडी की क्षमता वाले तीन एसटीपी स्थापित करेगी और साथ ही चार प्रमुख नालों की साफ-सफाई करने और प्रदूषण को रोकने हेतु एक व्यापक सीवर नेटवर्क भी स्थापित करेगी। यह परियोजना डिज़ाइन-बिल्ड-ऑपरेट-ट्रांसफर (डीबीओटी) मॉडल का अनुसरण करेगी, जो अगले 15 वर्षों के दौरान टिकाऊ संचालन और रखरखाव सुनिश्चित करेगी।
एनएमसीजी की कार्यकारी समिति (ईसी) ने साहित्य, शिक्षा और सामुदायिक सहभागिता के माध्यम से गंगा संरक्षण में सार्वजनिक भागीदारी को बढ़ावा देने के उद्देश्य से डिज़ाइन की गई एक अभिनव परियोजना “गंगा थ्रू द एजेस – ए लिटरेरी बायोस्कोप” की मंजूरी के साथ एक महत्वपूर्ण पहल की है। नेशनल बुक ट्रस्ट के सहयोग से कार्यान्वित की जाने वाली यह पहल गंगा नदी के ऐतिहासिक, आध्यात्मिक और पारिस्थितिक महत्व को रेखांकित करेगी। गंगा मोबाइल परिक्रमा, चौपाल गंगा किनारे, गंगा जागरूकता सप्ताह और गंगा राजदूत कार्यक्रम जैसे कार्यक्रम शुरू किए जायेंगे। इन कार्यक्रमों में मोबाइल लाइब्रेरी, डिजिटल तरीके से कहानी सुनाने, स्कूल कार्यशालाएं और नदी के किनारे साहित्यिक सत्र जैसी गतिविधियां शामिल होंगी। इन प्रयासों का उद्देश्य व्यवहारगत परिवर्तन को प्रेरित करना और संरक्षण के प्रयासों में गहरी सामुदायिक भागीदारी को प्रोत्साहित करना है।
वैज्ञानिक प्रगति को आगे बढ़ाते हुए, समिति ने नमामि गंगे मिशन-II के तहत वृक्षारोपण पर नज़र रखने के लिए पश्चिम बंगाल में एक ड्रोन-आधारित निगरानी परियोजना को भी मंजूरी दी। यह पहल पेड़ों के स्वास्थ्य का आकलन करेगी, एक डिजिटल डेटाबेस विकसित करेगी और नदी के किनारे वनीकरण के प्रभावी प्रयासों को सुनिश्चित करेगी।
एनएमसीजी की 60वीं कार्यकारी समिति की बैठक के दौरान स्वीकृत परियोजनाएं अवसंरचनात्मक प्रगति, प्रदूषण नियंत्रण और सार्वजनिक भागीदारी के माध्यम से गंगा संरक्षण के प्रति मिशन की प्रतिबद्धता की पुष्टि करती हैं। प्रमुख पहलों में नदी संरक्षण के प्रयासों में जागरूकता और भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए “गंगा थ्रू द एजेस – ए लिटरेरी बायोस्कोप” जैसी रचनात्मक परियोजना के साथ-साथ सीवेज शोधन संयंत्र और वनीकरण शामिल हैं।
इस बैठक में जल शक्ति मंत्रालय के जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग की संयुक्त सचिव एवं वित्तीय सलाहकार श्रीमती ऋचा मिश्रा, एनएमसीजी के उप-महानिदेशक श्री नलिन कुमार श्रीवास्तव, कार्यकारी निदेशक (परियोजनाएं) श्री बृजेंद्र स्वरूप, कार्यकारी निदेशक (तकनीकी) श्री अनुप कुमार श्रीवास्तव, कार्यकारी निदेशक (प्रशासन) श्री एस. पी. वशिष्ठ, कार्यकारी निदेशक (वित्त) श्री भास्कर दासगुप्ता तथा पश्चिम बंगाल एसपीएमजी की परियोजना निदेशक श्रीमती नंदिनी घोष, बिहार बीयूआईडीसीओ के प्रबंध निदेशक श्री योगेश कुमार सागर और उत्तर प्रदेश एसएमसीजी के अतिरिक्त परियोजना निदेशक श्री प्रभाष कुमार सहित वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।