पहलगाम आतंकी हमला: भारत ने पाकिस्तान पर कसा शिकंजा, सिंधु जल संधि निलंबित, वाघा सीमा बंद
नई दिल्ली, 24 अप्रैल। पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़े और निर्णायक कदम उठाए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंगलवार को कैबिनेट सुरक्षा समिति (CCS) की उच्चस्तरीय बैठक में यह निर्णय लिया गया कि आतंकवाद को बढ़ावा देने की पाकिस्तान की नीति का जवाब अब कूटनीतिक और रणनीतिक स्तर पर दिया जाएगा।
CCS बैठक में लिए गए प्रमुख निर्णय:
1. सिंधु जल संधि निलंबित:
1960 की ऐतिहासिक सिंधु जल संधि को भारत ने तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। सरकार ने स्पष्ट किया है कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई नहीं करता, भारत इस संधि को प्रभावी नहीं मानेगा।
2. वाघा-अटारी सीमा बंद:
भारत-पाकिस्तान के बीच एकमात्र सड़क मार्ग वाघा-अटारी को भी बंद कर दिया गया है। यह निर्णय दोनों देशों के बीच सीमित व्यापार और आवाजाही पर बड़ा असर डालेगा।
3. राजनयिक संबंधों में कटौती:
भारत ने पाकिस्तान के रक्षा, सैन्य, नौसेना और वायु सलाहकारों को ‘अवांछित व्यक्ति’ घोषित कर एक सप्ताह के भीतर भारत छोड़ने का आदेश दिया है। साथ ही, इस्लामाबाद स्थित भारतीय सैन्य सलाहकारों को भी वापिस बुलाया गया है।
4. SAARC वीज़ा छूट योजना समाप्त:
भारत में रह रहे सभी पाकिस्तानी नागरिकों को 48 घंटे के भीतर देश छोड़ने को कहा गया है। SAARC वीज़ा माफी योजना को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।
5. उच्चायोगों में स्टाफ कटौती:
भारत और पाकिस्तान के उच्चायोगों में राजनयिक कर्मचारियों की संख्या को 55 से घटाकर 30 कर दिया गया है। यह निर्णय 1 मई 2025 से लागू होगा।
6. आतंकियों तक पहुंचने का संकल्प:
गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने इस हमले को “निर्मम और अमानवीय” बताते हुए कहा कि भारत आतंकवाद के खिलाफ शून्य सहनशीलता की नीति पर अडिग है। उन्होंने कहा, “हम साजिशकर्ताओं तक पहुंचेंगे और उन्हें दंडित करेंगे।”
हमला और उसकी जिम्मेदारी:
23 अप्रैल को पहलगाम में हुए इस हमले में 26 पर्यटकों की मौत और 17 अन्य घायल हो गए थे। हमले की जिम्मेदारी ‘कश्मीर रेजिस्टेंस’ नामक संगठन ने ली है, जिसे भारतीय सुरक्षा एजेंसियां पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का एक नया चेहरा मान रही हैं।
यह हमला 2008 के मुंबई आतंकी हमलों के बाद भारत में नागरिकों पर सबसे बड़ा आतंकी हमला माना जा रहा है। यह घटना न केवल कश्मीर में बल्कि समूचे देश की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करती है।
भारत का संदेश स्पष्ट:
भारत सरकार के इन निर्णयों से यह स्पष्ट संकेत गया है कि अब शब्दों से नहीं, बल्कि ठोस कूटनीतिक और रणनीतिक कदमों से आतंकवाद को जवाब दिया जाएगा।