भारत-अमरीका संयुक्त सैन्य प्रशिक्षण ‘युद्ध अभ्यास-2024’ राजस्थान में शुरू हुआ
The 20th edition of India-USA Joint Military Exercise YUDH ABHYAS-2024 commenced today, at Foreign Training Node in Mahajan Field Firing Ranges, Rajasthan. The exercise is scheduled to be conducted from 9th to 22nd September 2024. Exercise YUDH ABHYAS has been held annually since 2004, alternating between India and the USA. This edition marks a significant increase in the scope and complexity of the joint exercise in terms of troop strength and equipment. The Indian Army contingent comprising 600 personnel is being represented by a battalion of the RAJPUT Regiment along with personnel from other arms and services. The US contingent comprising of similar strength will be represented by the troops of 1-24 Battalion of the Alaska-based 11th Airborne Division of the US Army.
नयी दिल्ली, 9 सितम्बर। भारत-अमरीका संयुक्त सैन्य प्रशिक्षण ‘युद्ध अभ्यास-2024’ का 20वां संस्करण आज राजस्थान के महाजन फील्ड फायरिंग रेंज में विदेशी प्रशिक्षण केन्द्र में शुरू हुआ। यह युद्धाभ्यास 9 से 22 सितंबर 2024 तक चलेगा। यह युद्धाभ्यास वर्ष 2004 से प्रति वर्ष भारत और अमरीका के बीच बारी-बारी से आयोजित किया जाता रहा है।
इस संस्करण में सैन्य शक्ति और उपकरणों के संदर्भ में संयुक्त अभ्यास के दायरे में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। 600 कर्मियों वाली भारतीय सेना की टुकड़ी का प्रतिनिधित्व राजपूत रेजिमेंट की एक बटालियन के साथ-साथ अन्य शाखाओं और विभागों के कर्मी कर रहे हैं। समान शक्ति वाली अमरीकी टुकड़ी का प्रतिनिधित्व अमरीकी सेना की अलास्का स्थित 11वीं एयरबोर्न डिवीजन की 1-24 बटालियन के सैनिक कर रहे हैं।
इस संयुक्त अभ्यास का उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अध्याय VII के तहत उप-परंपरागत परिदृश्य में आतंकवाद विरोधी अभियान चलाने के लिए दोनों पक्षों की संयुक्त सैन्य क्षमता को बढ़ाना है। यह अभ्यास अर्ध-रेगिस्तानी वातावरण में संचालन पर केंद्रित है।
इस युद्ध प्रशिक्षण के दौरान किए जाने वाले सामरिक अभ्यासों में आतंकवादी कार्रवाई पर संयुक्त प्रतिक्रिया, संयुक्त योजना और संयुक्त क्षेत्र प्रशिक्षण अभ्यास शामिल हैं जिससे वास्तविक विश्व के आतंकवाद-रोधी मिशनों में मदद मिलेगी।
‘युद्ध अभ्यास’ से दोनों पक्षों को संयुक्त अभियान चलाने की रणनीति, तकनीक और प्रक्रियाओं में सर्वोत्तम अभ्यास साझा करने का अवसर मिलेगा। इससे दोनों सेनाओं के बीच अंतर-संचालन क्षमता और सौहार्द विकसित करने में मदद मिलेगी। संयुक्त अभ्यास से रक्षा सहयोग भी बढ़ेगा, जिससे दोनों मित्र देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों में और बढ़ोत्तरी होगी।