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रत्न और आभूषण क्षेत्र में भारत विश्व में अग्रणी

The country is ranked first in diamonds jewellery, silver jewellery and lab-grown diamonds & Synthetic stones with 29.0%, 22.0% and 32.7% share of the total world’s exports respectively. The overall gross exports of gems & jewellery stood at US$ 20.58 billion in FY23 (until September 2022).

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भारतीय रत्न और आभूषण उद्योग देश की अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण योगदान देता है। ये 5 मिलियन लोगों को रोजगार देता है और भारत के कुल मर्चेंडाइज निर्यात में इसका 10 प्रतिशत हिस्सा है। 1 मिलियन से ज्यादा रत्न और आभूषण निर्माण इकाइयों के साथ 390 जिलों की पहचान जीएंडजे क्लस्टर के रूप में की गई है। भारत के पास एक फलता-फूलता निर्यात क्षेत्र है, जिसका आकार सालाना 40 बिलियन अमेरिकी डॉलर का है। हमारा देश अमेरिका, यूरोप, मिडिल ईस्ट, एशिया और कई अन्य देशों सहित दुनिया भर के देशों को आभूषण निर्यात करता है.

रत्न एवं आभूषण निर्यात विकास परिषद ( जीजेईपीसी ) के अध्यक्ष श्री विपुल शाह ने कहा, “दुनिया के जौहरी – भारत के पास आभूषण बनाने की 5000 वर्षों की समृद्ध विरासत है। ये स्किल्स और विशेषज्ञता पीढ़ी दर पीढ़ी प्रदान की जाती रही है और आज हमारे कुशल कारीगर अपने असाधारण शिल्प कौशल, उत्कृष्ट डिजाइनों के लिए मशहूर हैं और उन्होंने दुनिया भर में पहचान पाई है। भारत का आभूषण उद्योग संस्कृतियों, देशों और लोगों के बीच एक सेतु का काम करता है, और दुनिया भर के लाखों उपभोक्ताओं को खुशी और आनंद देता है।”

रत्न और आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद (जीजेईपीसी):

भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय ने 1966 में रत्न और आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद (जीजेईपीसी) की स्थापना की थी। यह भारत सरकार के विभिन्न निर्यात संवर्धन परिषदों (ईपीसी) में से एक है। जीजेईपीसी रत्न और आभूषण उद्योग की शीर्ष संस्था है और आज इस क्षेत्र के 9000 सदस्यों का प्रतिनिधित्व करती है। इसका मुख्यालय मुंबई में है। इसके साथ ही जीजेईपीसी के नई दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई, सूरत और जयपुर में क्षेत्रीय कार्यालय हैं जो उद्योग के लिए प्रमुख केंद्र का काम करते हैं। पिछले कुछ दशकों में जीजेईपीसी सबसे सक्रिय ईपीसी में से एक बनकर उभरा है। प्रचार के जरिए यह अपनी पहुंच को बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है। साथ ही अपने सदस्यों तक सेवाओं के विस्तार और दायरे को बढ़ाने की दिशा में भी प्रयासरत है।

मुंबई हीरा व्यापारी संघ:

मुंबई हीरा व्यापारी संघ (एमडीएमए) की स्थापना 1906 में हुई थी और यह हीरा व्यापार संगठन जगत में एक कीमती रत्न की तरह चमक रहा है। यह महत्वपूर्ण संस्था उद्यमिता को बढ़ावा देने के साथ ही अपने सदस्यों का सहयोग करने के लिए काम करती है, जो सच मायने में उद्योग के लिए हीरे हैं।

 

भारत हीरा कारोबार केंद्र (आईडीटीसी):

भारत हीरा कारोबार केंद्र (आईडीटीसी- विशेष अधिसूचित क्षेत्र (एसएनजेड) का उद्घाटन 20 दिसंबर 2015 को हुआ था। आईडीटीसी की लगातार कोशिश वैश्विक माइनिंग कंपनियों को एक उपयुक्त मंच प्रदान करने की है, जिससे वे अपने सामानों को प्रदर्शित कर सकें और व्यापक स्तर पर ग्राहक मिलने में भी मदद हो। इसके बदले में निर्यात बढ़ने और जीडीपी को बढ़ावा मिलने से अर्थव्यवस्था को लाभ होता है।

 

जेमोलॉजिकल इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया:

रत्न और आभूषण निर्यात संघ, मुंबई के अंतर्गत जेमोलॉजिकल इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (जीआईआई) की स्थापना की गई थी। यह संस्थान एक गैर-लाभकारी पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट के रूप में पंजीकृत किया गया है। यह भारत में रत्न के क्षेत्र में पहली अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला है, जिसे विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार की ओर से एसआईआरओ के रूप में मान्यता प्राप्त है। यह रत्न और हीरे के लिए राष्ट्रीय अनुसंधान केंद्र है। इसकी प्रयोगशाला विश्वस्तरीय है और अत्याधुनिक उपकरणों से लैस है।

 

कीमती कार्गो सीमा शुल्क क्लीयरेंस केंद्र (भारतीय सीमा शुल्क):

1985 से ओपेरा हाउस में हीरा प्लाजा कस्टम्स क्लीयरेंस (डीपीसीसी) केंद्र ने काम करना शुरू किया। 2010 में यह सुविधा केंद्र भारत डायमंड बोर्स, बांद्रा कुर्ला के परिसर में शिफ्ट कर दिया गया और इसका नाम कीमती कार्गो कस्टम्स क्लीयरेंस केंद्र (पीसीसीसीसी) रखा गया। 35 सीमा शुल्क कर्मचारी यहां पीसीसीसीसी में तैनात हैं। यह केंद्र हीरे, कीमती पत्थरों, मोती, सोने या दूसरे कीमती धातुओं से बने आभूषणों के आयात और निर्यात से संबंधित कामकाज देखता है। रोजाना 600-700 निर्यात पार्सल और 100-150 आयात पार्सल कस्टम्स द्वारा फाइनल किए जाते हैं। पीसीसीसीसी के जरिए कुल करीब 98 प्रतिशत कट और पॉलिश हीरों का निर्यात 52 देशों में किया जाता है। इसमें अमेरिका, हॉन्ग कॉन्ग, संयुक्त अरब अमीरात, इजरायल और बेल्जियम प्रमुख हैं।

 

सुरक्षा कमान और नियंत्रण केंद्र (एससी3)

सुरक्षा कमान और नियंत्रण केंद्र एक ऐसी सुविधा है, जिसे वास्तविक समय में निगरानी और सुरक्षा संबंधी गतिविधियों पर नियंत्रण प्रदान करने के लिए शुरू किया गया। एससी3 का मुख्य उद्देश्य एक ऐसा केंद्र तैयार करना है, जहां सुरक्षाकर्मी निगरानी के साथ ही सुरक्षा से संबंधित घटनाओं पर जल्द से जल्द और कुशलतापूर्वक प्रतिक्रिया दे सकें। इसमें वीडियो निगरानी प्रणाली, एक्सेस कंट्रोल सिस्टम, अलार्म प्रणाली, आग का पता लगाने संबंधी जैसी सुरक्षा प्रणालियां शामिल हैं।

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