भारतीय वैज्ञानिकों ने लचीली, सुरक्षित और पर्यावरण-अनुकूल बैटरी विकसित की
Although aluminum has great potential because it can store and release energy efficiently, scientists faced problems in practically using it due to its complicated chemistry. The Bengaluru scientists solved these problems by tweaking materials at the microscopic level. They designed a unique cathode (positive part) from a special material called copper hexacyanoferrate (CuHCFe), pre-filled with aluminum ions. They paired this with an anode (negative part) made from molybdenum trioxide (MoO₃), creating a powerful battery that’s not just effective but also flexible enough to bend without breaking.

By- Jyoti Rawat
वैज्ञानिकों ने एक नवीन बैटरी प्रौद्योगिकी विकसित की है। यह बैटरी इतनी लचीली बनती है कि उसे कागज के टुकड़े की तरह मोड़ा जा सकता है। इतना ही नहीं, यह इतनी सुरक्षित भी है कि इसे बिना किसी चिंता के छुआ जा सकता है।
आमतौर पर इस्तेमाल की जाने वाली लिथियम-आयन बैटरियों में अत्यधिक गर्म होने और विस्फोट होने की संभावना रहती हैं।
भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के तहत एक स्वायत्त संस्थान, नैनो और मृदु पदार्थ विज्ञान केंद्र (सीईएनएस) के बेंगलुरु स्थित अनुसंधानकर्ताओं ने भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) के नैनो विज्ञान और इंजीनियरिंग केंद्र (सीईएनएसई) के सहयोग से एक नई बैटरी तकनीक विकसित की है। यह आमतौर पर फोन, लैपटॉप, इलेक्ट्रिक वाहनों और पहनने योग्य उपकरणों में उपयोग की जाने वाली पारंपरिक लिथियम-आयन बैटरियों के विकल्प के रूप में काम कर सकती है।
इस नई बैटरी में पृथ्वी पर सबसे प्रचुर धातुओं में से एक – एल्युमीनियम और एक जल-आधारित घोल का उपयोग किया गया है। यह संयोजन इसे सुरक्षित, सस्ता और हमारे पर्यावरण के लिए अधिक अनुकूल बनाता है। यह बैटरी विस्फोटों और पर्यावरणीय खतरों से सुरक्षा प्रदान कर सकता है, और हमारे उपकरणों की बिजली की आवश्यकता को भी कम कर सकता है।
यद्यपि एल्युमीनियम में अपार क्षमता है क्योंकि यह ऊर्जा को कुशलतापूर्वक संग्रहीत और मुक्त कर सकता है, फिर भी वैज्ञानिकों को इसके जटिल रसायन विज्ञान के कारण व्यावहारिक रूप से इसका उपयोग करने में समस्याओं का सामना करना पड़ा। बेंगलुरु के वैज्ञानिकों ने सूक्ष्म स्तर पर पदार्थों में फेरबदल करके इन समस्याओं का समाधान किया। उन्होंने कॉपर हेक्सासायनोफेरेट नामक एक विशेष पदार्थ से एक अनोखा कैथोड (धनात्मक भाग) डिजाइन किया, जो पहले से ही एल्युमीनियम आयनों से भरा हुआ था। उन्होंने इसे मोलिब्डेनम ट्राइऑक्साइड से बने एक एनोड (ऋणात्मक भाग) के साथ जोड़ा, जिससे एक शक्तिशाली बैटरी बनी जो न केवल प्रभावी है, बल्कि बिना टूटे मुड़ने के लिए पर्याप्त लचीली भी है।
यह अभिनव बैटरी कुशलतापूर्वक और विश्वसनीय रूप से ऊर्जा का भंडारण करती है, तथा 150 चार्ज-डिस्चार्ज चक्र के बाद अपनी शक्ति का 96.77 प्रतिशत बनाए रखती है, जिससे दैनिक उपयोग के बाद बैटरी के जीवनकाल में कमी नहीं आती है।
यह बैटरी मुड़ी हुई या पूरी तरह से आधी होने पर भी काम करती रहती है। इसे प्रदर्शित करने के लिए, वैज्ञानिकों ने एक एलसीडी डिस्प्ले को लगातार चालू रखा, भले ही बैटरी बहुत अधिक कोणों पर मुड़ी हुई हो। इससे भविष्य में ऐसे गैजेट विकसित करने में मदद मिल सकती है जिन्हें मोड़कर कपड़ों में आसानी से फिट होने वाले पहनने योग्य उपकरण बनाए जा सकें।
वैज्ञानिकों ने इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप और स्पेक्ट्रोस्कोपिक तकनीकों सहित उन्नत सूक्ष्म उपकरणों का उपयोग करके यह सुनिश्चित किया कि बैटरी के घटक उच्च प्रदर्शन के लिए पूरी तरह से संतुलित हों। उन्होंने बैटरी की दक्षता, स्थायित्व और लचीलेपन की पुष्टि करने के लिए इसका गहन परीक्षण किया, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि यह वास्तविक दुनिया में भी इस्तेमाल की जा सकती है। इस नई खोज के दैनिक इस्तेमाल के लिए आशाजनक परिणाम हैं। संभावित बदलावों में लचीले स्मार्टफोन, सुरक्षित इलेक्ट्रिक वाहन और कपड़ों में एकीकृत पहनने योग्य उपकरण शामिल हो सकते हैं। इसके अलावा, प्रचुर मात्रा में उपलब्ध और पर्यावरण के अनुकूल संसाधन, एल्युमीनियम का उपयोग व्यापक स्थिरता लक्ष्यों का समर्थन करता है।
यह कार्य बहुसंयोजी आयन बैटरी तकनीक में एक महत्वपूर्ण प्रगति का प्रतिनिधित्व करता है। निरंतर सुधारों के साथ, ऐसी बैटरियां जल्द ही हमारे दैनिक जीवन के कई पहलुओं में मानक बन सकती हैं और देश को वैश्विक पर्यावरणीय लक्ष्यों के अनुरूप सुरक्षित, टिकाऊ और अगली पीढ़ी के ऊर्जा भंडारण से जुड़े समाधान विकसित करने में अग्रणी स्थान दिला सकती हैं।
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