मुख्यमंत्री के आदेश पर 700 से अधिक मदरसों की जांच: चौंकाने वाला खुलासा!
काशीपुर, 29 अगस्त : उत्तराखंड में एक बड़ी कार्रवाई के तहत मुख्यमंत्री के आदेश पर 2025 में 700 से अधिक मदरसों की जांच हुई, लेकिन इसकी शुरुआत एक समाचार से हुई! यह खुलासा सूचना अधिकार के तहत वकील नदीम उद्दीन को मिली जानकारी से सामने आया है। हैरानी की बात यह है कि उत्तराखंड मदरसा बोर्ड, अल्पसंख्यक कल्याण विभाग, और जिला प्रशासन के अधिकारी इस जांच के लिए कोई नियम-कानून पेश नहीं कर सके।
सूचना के मुताबिक, 19 दिसंबर 2024 को एक दैनिक समाचार पत्र में ‘पंजीकरण के बगैर चल रहे मदरसों की जांच’ शीर्षक से खबर छपी थी। इस पर मुख्यमंत्री ने तुरंत कार्रवाई का आदेश दिया। प्रमुख सचिव शैलेश बगोली ने 19 दिसंबर को पत्र संख्या 1002 के जरिए अल्पसंख्यक कल्याण विभाग को जांच की जिम्मेदारी सौंपी। इसके बाद 23 दिसंबर को प्रमुख सचिव एल फैनई ने सभी जिलाधिकारियों को 10 दिन के भीतर जांच पूरी करने और रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया।
जिलाधिकारियों ने तेजी से काम करते हुए 8 जिलों में 680 मदरसों की जांच की। नतीजे चौंकाने वाले हैं: 410 मदरसे पंजीकृत/मान्यता प्राप्त मिले, जबकि 270 अपंजीकृत/अमान्यता प्राप्त पाए गए। अच्छी बात यह कि किसी भी मदरसे में संदिग्ध या गैरकानूनी गतिविधि का कोई सुराग नहीं मिला।
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देहरादून: 93 मदरसों में 36 मान्यता प्राप्त, 57 अमान्य।
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उधमसिंह नगर: 237 में 112 मान्य, 125 अमान्य।
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हरिद्वार: 328 में 259 मान्य, 69 अमान्य।
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पिथौरागढ़: 3 में 1 मान्य, 2 अमान्य।
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अल्मोड़ा: 16 सभी अमान्य।
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टिहरी गढ़वाल: 3 में 2 मान्य, 1 अमान्य।
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रुद्रप्रयाग और चमोली: कोई मदरसा संचालित नहीं।
नदीम उद्दीन, जो काशीपुर के एक सक्रिय सूचना अधिकार कार्यकर्ता हैं, ने इस जांच की पूरी प्रक्रिया को सामने लाकर सवाल उठाए हैं। क्या यह कार्रवाई नियमों के दायरे में थी? आने वाले दिनों में इस पर और चर्चा हो सकती है!
