टीएमयू में जापानी प्रतिनिधि ने तोड़े लैप्रोसी के मिथक

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कॉलेज ऑफ पैरामेडिकल साइंसेज की ओर से लैप्रोसी को लेकर हुए गेस्ट लेक्चर में जापानी ऑर्गेनाइजेशन- शाशाकावा इंडिया लैप्रोसी फाउंडेशन के प्रतिनिधि श्री तंजील खान ने की शिरकत

मुरादाबाद, 9  जनवरी  ( भाटिया )।जापानी ऑर्गेनाइजेशन- शाशाकावा इंडिया लैप्रोसी फाउंडेशन के प्रतिनिधि श्री तंजील खान ने लैप्रोसी के मिथकों को तोड़ते हुए कहा, 2005 में भले ही भारत को कुष्ठ रोग मुक्त घोषित कर दिया गया, लेकिन आज भी भारत में कुष्ठ रोगी मिलते हैं। उल्लेखनीय है, कुष्ठ रोग का कारक माइको बैक्टीरियम लैप्रे पूर्णतः समाप्त नहीं हुआ है। लैप्रोसी के लक्षणों को कभी नज़रअंदाज नहीं करना चाहिए। यदि किसी में लक्षण हैं तो उसका सामाजिक बहिष्कार भी नहीं करना चाहिए। कुष्ठ रोग के लक्षण हैं तो उसका तत्काल इलाज कराना चाहिए। तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के  कॉलेज ऑफ पैरामेडिकल साइंसेज की ओर से लैप्रोसी को लेकर आयोजित गेस्ट लेक्चर में जापानी ऑर्गेनाइजेशन- शाशाकावा इंडिया लैप्रोसी फाउंडेशन के प्रतिनिधि श्री तंजील खान बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे।

शाशाकावा इंडिया लैप्रोसी फाउंडेशन के प्रतिनिधि श्री तंजील ने कुष्ठ के इलाज में मल्टी ड्रग थैरेपी पर भी प्रकाश डाला। यदि लक्षणों की अनदेखी करते हैं तो इसके घातक परिणाम होते हैं। यह शरीर की संवेदनशीलता को नष्ट कर देता है। साथ ही साथ सुंदर शरीर को कुरूप बना कर देता है। इस बैक्टीरिया से तीन तरह के धब्बे होते हैं। उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के एक किस्से को कोट करते हुए बताया, जिस तरह से बापू ने अपने कुष्ठ रोग पीडित गुरू की सेवा की, वैसे ही हमें भी कुष्ठ रोगियों की सेवा करनी चाहिए। इससे पूर्व एलटी में आयोजित इस कार्यक्रम का शुभारम्भ कॉलेज को वाइस प्रिंसिपल प्रो. नवनीत कुमार, बीआईसी के मैनेजर श्री नीरज मित्तल ने दीप प्रज्ज्वलित करके किया। इस अवसर पर बीएमएलटी की एचओडी डॉ. रूचि कांत, फॉरेंसिक के एचओडी श्री रवि कुमार, बीआरआईटी की एचओडी श्रीमती प्रियंका सिंह, ऑप्टोमेट्री के एचओडी श्री राकेश कुमार के संग-संग मिस प्रीति लाठर, मिस शिखा पालीवाल, श्री सागर देवनाथ भी मौजूद रहे। संचालन बीएमएलटी प्रथम वर्ष की छात्रा काव्या अग्रवाल ने किया।

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