धंसता हुआ जोशीमठ पिछले 17 महीनों से करता रहा ट्रीटमेंट, विस्थापन और पुनर्वास का इंतजार, मगर
— जोशीमठ से प्रकाश कपरुवाण —
जनवरी 2023 जोशीमठ भू- धंसाव आपदा के सत्रह महीने बीतने के बाद भी जोशीमठ के ट्रीटमेंट, विस्थापन, पुनर्वास “जैसा कि सरकार कहती रही “पर कोई कार्य न होना अपने आप मे देश दुनिया की आपदाओं की घटनाओं मे पहला उदाहरण होगा। जोशीमठ आपदा की घटना को भी मीडिया जगत ने देश दुनिया तक पहुंचाने मे कोई कसर नहीं छोड़ी, लेकिन सत्रह महीने बाद भी इसका असर धरातल पर नहीं दिख रहा, ब्यापक प्रचार प्रसार से जोशीमठ का पर्यटन व्यवसाय व बाज़ार ठप्प जरूर हुआ।
जोशीमठ भू -धंसाव आपदा एक ऐसी आपदा बनकर सामने आई जिस पर आदर्श चुनाव आचार संहिता भी प्रभावी रही, लोकसभा चुनाव मे भले ही जोशीमठ आपदा कोई मुद्दा नहीं बन सका हो, लेकिन सत्रह महीने पूर्व हुई जोशीमठ आपदा व उसके बाद जनमानस की सुरक्षा के लिए की गई घोषणाओं के अनुरूप सुरक्षात्मक कार्य शुरू कराने मे आखिर आचार संहिता कैसे आड़े आ गई?.
चुनाव से ठीक पहले राज्य के आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत सिन्हा जोशीमठ मे प्रभावितों की बैठक मे दो टूक कहते हैं कि जोशीमठ नगर के चिन्हित 14डेंजर जोन से बारह सौ परिवारों को हटाया जाना है और विस्थापन के लिए भूमि का चयन भी कर लिया गया है, उस बैठक मे वे आपदा प्रबंधन एक्ट लागू होने के बाद जोशीमठ नगर मे शुरू हुए निर्माण कार्यों पर पर भी हैरानी जताते हैं, पर स्थिति इसके ठीक विपरीत है।
भार वहन क्षमता का आंकलन किए बिना जोशीमठ नगर मे सभी प्रकार के निर्माण कार्यों पर रोक लगाने का दावा तो जरूर किया गया लेकिन न केवल सेना, आईटीबीपी, एनटीपीसी, हेलंग बाई पास के निर्माण कार्य हो रहे हैं बल्कि ब्यक्तिगत निर्माण कार्य भी जारी हैं,तो क्या इन निर्माणों से अब जोशीमठ की भार वहन क्षमता पर कोई असर नहीं पड़ रहा है?.
एक तरफ जोशीमठ के महत्वपूर्ण कार्यालयों तहसील, थाना व सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र आदि को नगर की सीमा से सटे सुरक्षित क्षेत्रों मे विस्थापित करने की योजना पर तेजी से काम हो रहा है वहीँ आपदा प्रभावितों का भविष्य क्या होगा इस पर अभी मंथन ही चल रहा है।
क्या किसी आपदा पर चुनाव आचार संहिता का इतना प्रभाव पड़ना चाहिए वो भी तब जब सत्रह महीने पूर्व आपदा घटित हुई हो और आपदा से लोगों को राहत दिए जाने की कार्यवाही गतिमान हो, लेकिन जोशीमठ आपदा के लिए यह भी एक उदाहरण बन गया।
अब आदर्श चुनाव आचार संहिता समाप्त हो गई है, इस दौरान जोशीमठ के भविष्य को लेकर क्या क्या होमवर्क हुए इसका खुलासा तो होगा ही, मुख्य मंत्री द्वारा प्रभावित सदस्यों को सम्मलित करते हुए कमेटी का गठन करने व उनकी राय व सुझाव को प्राथमिकता दिए जाने के आश्वासन पर कब तक फैसला होगा यह तो आने वाला समय बतायेगा लेकिन चुनाव प्रक्रिया समाप्त होते ही जोशीमठ के प्रभावित इस बात को लेकर चिंतित अवश्य हैं कि वैज्ञानिक संस्थाओं द्वारा चिन्हित 14डेंजर जोन क्या वास्तव मे खाली कराए जाएंगे?।
देश के साथ ही उत्तराखंड ने भी कई आपदाओं का दंश झेला है, लेकिन जोशीमठ भू धसाव एक ऐसी आपदा बनकर सामने है जिस पर आपदा के सत्रह महीनों के बाद भी ट्रीटमेंट कार्य शुरू नहीं हो सका और इस आपदा पर चुनाव आचार संहिता भी प्रभावी रही।
अब देखना होगा कि आचार संहिता समाप्ति की अधिकारिक घोषणा के बाद राज्य सरकार जोशीमठ को लेकर कब तक सक्रिय होगी इस पर सत्रह महीनों से असमंजस की स्थिति मे जी रहे आपदा प्रभावितों की नजरें रहेंगी।