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न्यायमूर्ति भूषण गवई बने भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश, राष्ट्रपति भवन में शपथ ग्रहण समारोह सम्पन्न

The President, Smt. Droupadi Murmu administers the oath of office to Shri Justice Bhushan Ramkrishna Gavai as the Chief Justice of India at Rashtrapati Bhavan, in New Delhi on May 14, 2025.

नई दिल्ली, 14 मई। भारत के न्यायिक इतिहास में आज एक नया अध्याय जुड़ गया जब न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई ने देश के 51वें मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of India – CJI) के रूप में शपथ ली। यह शपथग्रहण समारोह राजधानी दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन के गणतंत्र मंडप में सुबह 10 बजे आयोजित किया गया, जहाँ भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई।

इस महत्वपूर्ण अवसर पर सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश, केंद्रीय मंत्री, शीर्ष अधिवक्ता, और अन्य गणमान्य अतिथि उपस्थित थे।


मुख्य न्यायाधीश के रूप में न्यायमूर्ति गवई की नियुक्ति का महत्व

न्यायमूर्ति गवई ने न्यायमूर्ति संजीव खन्ना से कार्यभार ग्रहण किया, जो पूर्व मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ के सेवानिवृत्त होने के बाद अंतरिम रूप से पद पर थे।

न्यायमूर्ति गवई भारत के दूसरे दलित मुख्य न्यायाधीश हैं। इससे पहले न्यायमूर्ति के. जी. बालकृष्णन ने 2007 में यह पद संभाला था। गवई की नियुक्ति को भारतीय न्यायपालिका में सामाजिक समावेशन और विविधता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।


शिक्षा और प्रारंभिक जीवन

  • न्यायमूर्ति गवई का जन्म 24 नवंबर 1960 को नागपुर, महाराष्ट्र में हुआ था।

  • उन्होंने नागपुर विश्वविद्यालय से स्नातक (B.A.) और विधि (LL.B.) की शिक्षा प्राप्त की।

  • उनके पिता रमेश गवई महाराष्ट्र के प्रमुख दलित नेता और समाजसेवी थे, जो राजनीतिक रूप से भी सक्रिय रहे।


The President, Smt. Droupadi Murmu administers the oath of office to Shri Justice Bhushan Ramkrishna Gavai as the Chief Justice of India at Rashtrapati Bhavan, in New Delhi on May 14, 2025.

विधिक करियर और न्यायिक यात्रा

  • 1985 में उन्होंने वकालत की शुरुआत की और बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में सक्रिय रहे।

  • उन्होंने महाराष्ट्र सरकार के लिए अतिरिक्त महाधिवक्ता (Additional Advocate General) के रूप में भी कार्य किया।

  • 14 नवंबर 2003 को उन्हें बॉम्बे हाईकोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त किया गया।

  • उन्होंने मुंबई, औरंगाबाद और नागपुर पीठों में कई महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई की।

  • 24 मई 2019 को वे सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश नियुक्त हुए।

  • उन्होंने कई संवैधानिक पीठों में भाग लिया और अनेक ऐतिहासिक निर्णय दिए।


प्रमुख निर्णय और न्यायिक टिप्पणियाँ

  1. पेगासस जासूसी प्रकरण (2021):
    न्यायमूर्ति गवई उस पीठ का हिस्सा थे जिसने निजता के अधिकार की रक्षा करते हुए पेगासस सॉफ्टवेयर की जांच के लिए विशेषज्ञ समिति गठित की थी।

  2. मीडिया और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता:
    उन्होंने कहा था कि “स्वतंत्र प्रेस लोकतंत्र की आत्मा है, और न्यायपालिका को उसका संरक्षक बनकर कार्य करना चाहिए।”

  3. सामाजिक न्याय और आरक्षण:
    उन्होंने दलितों और पिछड़े वर्गों के आरक्षण पर विचार व्यक्त करते हुए कहा था कि “आरक्षण केवल सुविधा नहीं, बल्कि ऐतिहासिक अन्याय के विरुद्ध न्याय का साधन है।”

  4. धार्मिक स्वतंत्रता:
    एक फैसले में उन्होंने कहा था कि “भारत की बहुलतावादी परंपरा को कमजोर करने वाले किसी भी प्रयास को न्यायपालिका स्वीकार नहीं करेगी।”


व्यक्तित्व और दृष्टिकोण

न्यायमूर्ति गवई को एक शांत, विनम्र और संवेदनशील न्यायाधीश के रूप में जाना जाता है। उन्होंने हमेशा न्यायिक मर्यादा का पालन करते हुए संविधान के मूल्यों को सर्वोपरि रखा है। उनकी नियुक्ति से न्यायपालिका में सामाजिक विविधता का और अधिक प्रतिनिधित्व हुआ है।


आगे की दिशा

मुख्य न्यायाधीश के रूप में न्यायमूर्ति गवई का कार्यकाल छह महीने से कुछ अधिक का रहेगा। इस दौरान उनसे अपेक्षा की जा रही है कि वे:

  • लंबित मामलों की संख्या कम करने के लिए प्रयास करेंगे।

  • न्यायिक नियुक्तियों और पारदर्शिता के मुद्दों पर सुधारों की दिशा में कदम उठाएंगे।

  • संवैधानिक मामलों में शीघ्र सुनवाई को प्राथमिकता देंगे।


न्यायमूर्ति भूषण गवई का मुख्य न्यायाधीश बनना केवल एक प्रशासनिक नियुक्ति नहीं, बल्कि भारतीय लोकतंत्र की सामाजिक न्याय प्रणाली का प्रतीक भी है। यह घटना हमें यह याद दिलाती है कि संविधान का “हम भारत के लोग” का आदर्श आज भी जीवित और प्रासंगिक है।

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