बिहार में बाचाल युवा नेता कन्हैया होंगे कांग्रेस का चेहरा, राहुल गांधी का साथ पक्का
-उषा रावत-
कन्हैया कुमार, जो जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) से छात्र राजनीति में उभरकर राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित हुए, वर्तमान में कांग्रेस पार्टी के प्रमुख युवा नेताओं में से एक माने जाते हैं। उनकी वाकपटुता, जनसंवाद की क्षमता और बिहार की सामाजिक-राजनीतिक समझ उन्हें एक प्रभावशाली नेता बनाती है। आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए नया चेहरा तलाशने की आवश्यकता को देखते हुए कन्हैया कुमार का नाम संभावित रूप से उभर रहा है, विशेषकर युवा और वामपंथी पृष्ठभूमि वाले मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए। हालांकि, यह निर्णय पूरी तरह पार्टी नेतृत्व पर निर्भर करेगा कि क्या वे पारंपरिक जातिगत समीकरणों से आगे बढ़कर एक विचारधारात्मक और युवा नेतृत्व को सामने लाना चाहेंगे।
राजनीतिक पंडितों के अनुसार कांग्रेस के लिए आज वही स्थिति हो गई जो भाजपा की थी। कन्हैया के पीछे ठीक वैसे नेता दिखाए जाएंगे जैसे सुदर्शन चक्र लिए कृष्ण के पीछे देवताओं के चेहरे दिखाए जाते हैं। सो, कई नेता आएंगे और कई आए भी।
राहुल गांधी इफेक्ट
कन्हैया की पदयात्रा में लोक सभा में प्रतिपक्ष के नेता और कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी का बेगूसराय आना कोई परोक्ष रूप से वोट बढ़ोत्तरी का भले रहा हो पर अपरोक्ष रूप से कांग्रेस के उन कद्दावर नेताओं को संदेश देना था जो कन्हैया कुमार को रास्ते में रोड़े बन रहे हैं। और राहुल गांधी ने कन्हैया कुमार के साथ दोस्ताना व्यवहार का जेस्चर दिखा कर अपना काम कर दिया।
कन्हैया पर रहेगा ध्यान!
माना जा रहा है कि राष्ट्रीय कांग्रेस के अन्य वरिष्ठ नेता भी कन्हैया के साथ खड़े रहेंगे। ताकि साठ से ऊपर के कांग्रेसी नेता ये मान चलें कि ये भविष्य में कांग्रेस के चिंतन की चाबी कन्हैया के पास है। इस बात के समर्थन में खुद राहुल गांधी ने युवाओं से कहा कि पैदल यात्रा की अगुवाई कर रहे कन्हैया कुमार के कंधे से कंधा मिलाकर चलें। इस यात्रा की अगुवाई पार्टी के युवा नेता कन्हैया कुमार कर रहे हैं। साथ ही राहुल गांधी ने पार्टी के युवा साथियों से इस पदयात्रा में शामिल होने की अपील की है।
पायलट और कन्हैया
कांग्रेस के युवा नेता सचिन पायलट ने भी राहुल गांधी की शैली को एयरपोर्ट से ही फॉलो करने लगे। पलायन रोको और नौकरी दो के समर्थन में नीतीश सरकार पर जमकर हमला बोला। पिछले 11 साल से केंद्र और 25 वर्षों बिहार की सत्ता पर काबिज एनडीए नीत सरकार ने बिहार के नौजवानों को ठगने का काम किया। पेपर लीक में तो बिहार का बुरा हाल है। बीपीएससी से भी प्रश्न पत्र समय से पहले लीक हो गए। इन सब के कारण नीतीश सरकार की असमर्थता ने युवाओं के लिए पलायन के लिए भटकने को मजबूर किया।
क्यों है यह पदयात्रा ?
दरअसल इस पदयात्रा का मकसद 19 से 45 वर्ष के युवा हैं। और इनका वोट प्रतिशत 40 प्रतिशत है। और ये 40 प्रतिशत वोट पर निशाना साध कर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, द्रीय मंत्री चिराग पासवान और कन्हैया कुमार सब अपने अपने तरीके से रिझाने में लगे हैं। तेजस्वी भी युवाओं को ले कर इसके पहले भी यात्रा पर निकले थे।
कांग्रेस का ग्राउंड वर्क
राजद और कांग्रेस अपने कंबाइंड एफर्ट से यह संदेश अपने समर्थकों तक पहुंचाने में लगे हैं । ऐसे में बिहार के वे बच्चे जो पलायन के शिकार हुए ,जिन्हें नौकरियां नहीं मिल रही है ,40 प्रतिशत समेटे यह बड़ा वर्ग जिस करवट बैठेगा, किला फतह भी उसी का होने वाला है। दूसरा मकसद इस पदयात्रा के जरिए कांग्रेस ने ग्राउंड लेवल पर अपने आधार को फिर से दुरुस्त करने का काम किया है। इस आधार का स्वरूप संभव हो कि उस अनुपात में नहीं निकले जो कांग्रेस अनुमान लगा रही है, पर 2029 लोकसभा में यह मेहनत कोई गुल खिला जाए तो आश्चर्य नहीं माना जाना चाहिए।