भू कानून पर मुख्यमंत्री की घोषणा को माहरा ने अधूरा और विलंबित फैसला बताया
देहरादून, 1 जनवरी । नए साल में बाहरी लोगों के द्वारा कृषि भूमि खरीदने पर अस्थायी रोक लगाने की मुख्यमंत्री की घोषणा पर उत्तराखंड कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन महारा ने बहुत देर से उठाया गया अधूरा कदम बताया है। माहरा के अनुसार सन 2018 से लेकर 2023 दिसंबर तक उत्तराखंड की प्राइम लैंड बिक चुकी है।
महारा ने कहा कि राज्य गठन के बाद नारायण दत्त तिवारी के नेतृत्व वाली पहली निर्वाचित कांग्रेस की सरकार ने राज्य हित
में व्यापक चर्चा के बाद भू कानून के मसले को हल कर दिया था जिसके अनुसार कोई भी आकृषक आवासीय उद्देश्य के लुए राज्य में केवल 500 वर्ग मीटर ही जमीन खरीद सकता था और इसे खण्डूरी सरकार ने 250 वर्ग मीटर कर दिया था । परन्तु भाजपा की त्रिवेन्द्र रावत सरकार ने 2018 में उत्तराखण्ड जमींदारी विनाश अधिनियम में संशोधन कर भूमि की लूट की खुली छूट दे दी जिसका जमकर दुरूपयोग हुआ।
महारा ने कहा की 2018 में त्रिवेन्द्र सरकार ने तथा स्वयं धामी की अपनी सरकार ने ज़मींदारी बिनाश एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम में जो संशोधन किये हैं उसे धामी सरकार को तत्काल निरस्त करना चाहिए था। उन्होंने कहा कि भाजपा ने हमेशा झूठ का रास्ता अपनाया है। महारा ने कहा की 2000 से लेकर 2017 तक राज्य में जिसकी भी सरकार रही उसने राज्य की प्रस्तावित राजधानी गैरसेैण/ भराड़ीसैंण में भूमि खरीद पर सख्त रोक लगा रखी थी, परंतु 2017 के बाद चुनी हुई भाजपा की सरकारों ने उसको तक नहीं बख्शा और नगरीय क्षेत्रों में भू कानून में छूट का दुरूपयोग करने के लिए अनावश्यक रूप से नगर निकायों के क्षेत्रों में विस्तार कर डाला।
महारा ने कहा भू काननू पर कमेटी पर कमेटी बनाकर राज्य की जनता को गुमराह करने की कोशिश कर रही है। यदि मुख्यमंत्री की मंशा साफ है तो पहले जमींदारी विनाश अधिनियम में जो संशोधन किए गए हैं उन्हें हटाना जरूरी है।
2018 के संशोधन में व्यवस्था की गई थी कि खरीदी गई भूमि का इस्तेमाल निर्धारित उद्देश्य के लिए नहीं किया जाता या किसी अन्य को बेचा जाता है तो वह राज्य सरकार में निहित हो जाएगी। लेकिन मौजूदा धामी सरकार ने एक्ट में संशोधन कर उसकी धारा 14 क और ख को ही हटा दिया ताकि उद्योग के नाम पर ली गयी ज़मीन का मनमाना उपयोग किया जा सके या बेचा जा सके। इसके बाद अब खरीदी गई कृषि भूमि को गैर कृषि घोषित करने के बाद वह राज्य सरकार में निहित नहीं की जा सकेगी।
महारा ने कहा की धामी सरकार ने भी एक तरफ कानून में ढील दी, वहीं भू-सुधार के लिए एक समिति भी गठित की । इस समिति ने वर्ष 2022 में अपनी रिपोर्ट सौंपी। जिसमें सख्त भू कानून लाने के लिए सुझाव दिए गए। लेकिन इस रिपोर्ट के बाद अब तक कुछ बदला नहीं है।
महारा ने कहा की देश के अलग अलग राज्यो में जमीनों के अलग अलग नियम है,जम्मू कश्मीर से लेकर पूर्वोत्तर तक हिमालयी राज्यों ने अपनी जमीनें सुरक्षित की हैं, सिर्फ उत्तराखंड ही एकमात्र राज्य है जहां कोई भी आकर जमीन खरीद सकता है। महारा ने कहा कि धामी सरकार का यह फैसला ऐसे वक्त पर आया है जब बचाने के लिए उत्तराखंड में कुछ बचा नहीं है और ज्यादातर कृषि भूमि भूमाफियाओं के द्वारा खुर्द बुर्द की जा चुकी है, ऐसे में यह घोषणा आगामी होने वाले आम चुनाव के मध्य नजर सिर्फ चुनावी पुलाव ही नजर आती है।