शिक्षा/साहित्य

कश्मीरी संत-कवियित्री लल देद के वाख़ दून पुस्तकालय में गूंजे

देहरादून, 16 मार्च। दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र कि ओर से आज सांय कश्मीरी संत-कवियित्री लल देद पर एक विशेष आयोजन किया गया. इसमें कवियत्री लल देद के जीवन और कालजयी शब्दों पर एकल अभिनय (एकांकी) द्वारा शर्मिष्ठा ने शानदार प्रस्तुति दी. उल्लेखनीय है कि पूर्व में इनकी एक काव्य संग्रह पुस्तक ‘एक हलफनामा’ का लोकार्पण भी 24 दिसंबर 2024 को इसी परिसर में हुआ था। लल देद के काव्य वचनों को कश्मीरी के साथ-साथ हिंदी में प्रस्तुत कर प्रस्तुतकर्ता दर्शकों को एक भावपूर्ण यात्रा पर ले गईं।

उल्लेखनीय है कि 14वीं शताब्दी की कश्मीरी कवयित्री लाल देद, को लल्लेश्वरी या लल्ला के नाम से भी जाना जाता है. यह एक प्रसिद्ध रहस्यवादी व संत थीं, जिन्होंने अपनी कविताओं (वाख) के माध्यम से कश्मीरी साहित्य में अमूल्य योगदान दिया. उनकी कविताओं में शिव भक्ति और रहस्यवाद के विचार दिखाई देते हैं.

लाल देद ने ईश्वर की खोज में सामाजिक रूढ़ियों को चुनौती भी दी और उनकी कविताएँ धार्मिक और सामाजिक बाधाओं को पार करती हैं.

कश्मीर में उन्हें लगभग सात शताब्दियों से हिंदुओं व मुसलमानों दोनों द्वारा बराबर सम्मान दिया जाता रहा है.
लल देद कश्मीरी भाषा की सबसे शुरुआती और सबसे प्रसिद्ध कवयित्री के रूप में जानी जाती रही हैं .

शर्मिंष्ठा के एकल अभिनय के बाद इस विषय पर एक सार्थक चर्चा भी हुई. बातचीत कस संचालन श्री मनोज बर्थवाल ने किया।इस विशेष प्रस्तुति और चर्चा से दर्शक मंत्रमुग्ध हो गये। मंच संचालन शेहान द्वारा किया गया।

कार्यक्रम से पूर्व दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र के प्रोग्राम एसोसिएट चंद्रशेखर तिवारी ने शर्मिंष्ठा जी व उपस्थित लोगों का स्वागत व अभिनंदन किया. प्रस्तुति के दौरान निकोलस हॉफलैंड, के बी नैथानी, प्रहलाद सिंह, डॉ अतुल शर्मा, गीता गैरोला, मनमोहन सिंह चौहान, शैलेन्द्र नौटियाल,, सुंदर सिंह बिष्ट, अरुण कुमार असफल, मेघा विलसन, मधन सिंह बिष्ट,आलोक सरीन,रेखा शर्मा, रंगकर्मी, लेखक,साहित्य प्रेमी, पाठक सहित शहर के कई प्रबुद्ध लोग उपस्थित रहे ।

————————————–
_दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र,लैंसडाउन चौक,9410919938_

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!