मृत्यु के 56 साल बाद ताबूत में लौटे नारायण सिंह ने ला दिया कोल्पुड़ी गांव को सुर्खियों में
-हरेंद्र बिष्ट की रिपोर्ट-
थराली, 4 अक्टूबर। विकासखंड थराली के सोल डुंग्री क्षेत्र के कोलपुड़ी गांव अचानक से पूरे राज्य में सुर्खियों में आ गया।जिसके बाद सोल क्षेत्र के विकास के नऐ द्वारा खुलने की क्षेत्रीय जनता में आस जग गई हैं।
दरअसल 7 फरवरी 1968 को भारतीय वायुसेना का एएन-12 विमान ने चंडीगढ़ से उड़ान भरी यह विमान छह क्रू सदस्यों के साथ लेह पहुंचा। जहां से भारतीय सेना के लोगो को लेह से चंडीगढ़ वापस लाया जा सके, विमान ने लेह से उड़ान भरी विमान में चालक दल सहित कुल 102यात्री सवार थे, लेकिन चंडीगढ़ की ओर आते समय खराब मौसम की वजह से विमान हिमाचल प्रदेश के ढाका ग्लेशियरों में घटक कर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। जिसकी लंबी तलाश के बाद 2003 में विमान का मलवा ढाका ग्लेशियर में मिला तो सेना ने कई बार इस क्षेत्र में सर्च आप्रेशन चलाएं।
इसी का नतीजा रहा कि इस वर्ष इन ग्लेशियरों में चार वीर सैनिकों के शव बरामद किए गए। इनमें से एक शव थराली विकासखंड के सोल क्षेत्र में स्थित कोलपुड़ी गांव निवासी एवं सेना के मेडिकल कोर में तैनात नारायण सिंह बिष्ट के रूप में पहचान की गई।

शव की शिनाख्त के बाद अचानक सोल डुंग्री क्षेत्र एवं कोलपुड़ी गांव पूरे राज्य ही नही देश में सुर्खियों में आ गया।जिस तरह से गुरुवार को 56 वर्षों के बाद सेना के दो बड़े आफिसर्स, पांच जेसीओ एवं 40 जवानों की एक बड़ी टुकड़ी शहीद को अंतिम सलामी देने के लिए कोलपुड़ी गांव पहुंची उससे साफ जाहिर हो गया कि सेना ने उनकी शहादत को काफी अधिक महत्व दिया है। सेना के अलावा उत्तराखंड शासन एवं प्रशासन ने भी उनकी शहादत को काफी अधिक महत्व दिया। शहीद को श्रद्धांजलि अर्पित करने से पहले जिस तरह से थराली -घाट मोटर सड़क का नाम शहीद नारायण सिंह बिष्ट के नाम पर रखने के अलावा उनकी स्मृति में तमाम अन्य योजनाओं को क्षेत्र में बनाने की क्षेत्रीय जनता ने मांग उठाई, उसे साफ जाहिर हैं की शहीद की शहादत के बाद उन्हें भी सोल क्षेत्र के विकास की आश जग गई हैं।
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सोल क्षेत्र के 16 गांवों के ग्राम प्रधानों में सामिल कोलपुड़ी के जयवीर सिंह बिष्ट,रतगांव के महिपाल सिंह फर्स्वाण,बुरसोल के सुंदर लाल,गेरूड़ के जगमोहन सिंह रावत, रूईसाण की पार्वती देवी,डुंग्री की दीपा मिश्रा, बूंगा की प्रेमा देवी,मैन के प्रधान प्रताप सिंह बिष्ट के अलावा इस क्षेत्र के क्षेपंस एवं थराली के कनिष्ठ प्रमुख राजेंद्र बिष्ट, क्षेपंस दिलीप सिंह गुसाईं, दिगम्बर प्रसाद देवराड़ी,पूनम देवी, मंजू देवी के साथ ही सोल विकास समिति के अध्यक्ष चरण सिंह रावत ने आशा जताई कि निश्चित ही सरकार शहीद की स्मृति में सोल डुंग्री क्षेत्र के विकास के लिए नए आयाम स्थापित करेगी, निश्चित ही 56 वर्षों के बाद शहीद का शव मिलना और उसके पार्थिव शरीर को उनके पैतृक गांव में लाना क्षेत्र में विकास की ओर इशारा कर रहा है।
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थराली विधानसभा क्षेत्र के विधायक भूपाल राम टम्टा ने शहीद की शहादत को सलाम करते हुए कहा कि सोल डुंग्री क्षेत्र के ग्रामीण की पहली मांग थराली -घाट मोटर सड़क का नाम शहीद नारायण सिंह बिष्ट के नाम पर किए जाने का वें भी समर्थन करते हैं।इस संबंध में वें शासन स्तर पर तत्काल पत्राचार शुरू करेंगे। इसके अलावा शहीद की स्मृति में सोल क्षेत्र में और क्या किया जा सकता हैं उस पर भी ग्रामीणों के साथ विचार-विमर्श कर उस पर गंभीरता से कार्यवाही की जाएगी।