धर्म/संस्कृति/ चारधाम यात्रा

टीएमयू में पुष्पदंत भगवान के जन्मकल्याणक महोत्सव पर लाडू समर्पित

उत्तम शौच धर्म पर टीएमयू के रिद्धि-सिद्धि भवन में विधि-विधान से हुए
देवशास्त्र गुरु पूजन, श्री पुष्पदंत जिनपूजन, सोलहकारण पूजन, पंचमेरु पूजन और
दशलक्षण पूजन, श्रीजी की स्वर्णकलश से शांति धारा करने का सौभाग्य
एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर श्री अक्षत जैन और प्रथम स्वर्ण कलश से अभिषेक का
सौभाग्य कलश जैन को मिला

 

 

मुरादाबाद, 11  सितम्बर। पर्वाधिराज दशलक्षण महामहोत्सव के चतुर्थ दिवस उत्तम शौच धर्म पर श्री 1008 पुष्पदंत भगवान के जन्मकल्याणक महोत्सव पर लाडू समर्पित किया गया। प्रतिष्ठाचार्य श्री ऋषभ जैन शास्त्री के मार्गदर्शन में देवशास्त्र गुरु पूजन, श्री पुष्पदंत जिनपूजन, सोलहकारण पूजन, पंचमेरु पूजन और दशलक्षण पूजन विधि-विधान से हुए। स्वर्णकलश से श्रीजी की शांति धारा करने का सौभाग्य एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर श्री अक्षत जैन और रजत कलश से शांतिधारा करने का सौभाग्य श्री विपिन जैन को मिला। धर्ममय माहौल में संस्कृत के क्लिष्ट शब्दों वाली रचना तत्वार्थसूत्र के पंचम अध्याय का बीसीए की छात्रा इशिका जैन ने बड़े ही रोचक और भावपूर्ण तरीके से वाचन किया। सिद्धार्थ जैन एंड पार्टी ने संगीतमय प्रस्तुति से सबका मन मोह लिया। उनके गाए भजनों- नामोकर मंत्र, अमृत से गगरी भरो…, कि न्हवन प्रभु आज करेंगे…, भगवान मेरी नैया उस पार लगा देना…, पंखिड़ा ओ पंखिड़ा…, णमोकार णमोकार महामंत्र णमोकार…, होगी पूरी मनोकामना मेरी…, हे गुरुवार हे गुरुवर… आदि भजनों से सम्पूर्ण रिद्धि-सिद्धि भवन श्रीजी की भक्ति में झूम उठा। उत्तम शौच धर्म पर कुलाधिपति श्री सुरेश जैन, फर्स्ट लेडी श्रीमती वीना जैन, जीवीसी श्री मनीष जैन, श्रीमती ऋचा जैन, एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर श्री अक्षत जैन की उल्लेखनीय मौजूदगी रही।

 

श्री 1008 पुष्पदंत भगवान के जन्मकल्याणक महोत्सव पर प्रथम लाडू समर्पण का सौभाग्य आस्था जैन, ऋषिका जैन, अहिंसा जैन, डॉ. करुणा जैन, डॉ. अर्चना जैन, आरजू जैन, प्रीति जैन, स्वाति जैन, विनीता विपिन जैन, अस्मिता जैन, शालिनी जैन, निकिता जैन और ऋतु जैन, जबकि द्वितीय लाडू समर्पण का सौभाग्य अमित जैन, आराध्य जैन, अमन जैन, अनेकांत जैन, रिदम जैन, अनमोल जैन, अक्षत जैन, हर्षित जैन, तन्मय जैन, निर्जरा जैन, ओजस्वी जैन, और दीक्षा जैन ने प्राप्त किया। रिद्धि- सिद्धि में श्रीजी का प्रथम स्वर्ण कलश से कलश जैन, द्वितीय स्वर्ण कलश से रितेश जैन, तृतीय कलश से ध्रुव जैन और चतुर्थ स्वर्ण कलश से अक्षत जैन को अभिषेक करने का सौभाग्य मिला। साथ ही अष्ट प्रातिहार्य का सौभाग्य अष्ट कन्याओं- सान्या जैन, श्रद्धा, मानवी, सिद्धि, मान्या, और दीक्षा जैन ने प्राप्त किया। श्रावक-श्राविकाओं को दिए अपने आशीर्वचन में प्रतिष्ठाचार्य ऋषभ जैन शास्त्री बोले, उत्तम शौच के दिन वैचारिक शुचिता रखते हुए लोभ का त्याग करना चाहिए। शास्त्री जी ने तत्त्वार्थसूत्र की रचना के इतिहास पर भी प्रकाश डाला। उत्तम आर्जव की संध्या पर प्रतिष्ठाचार्य जी बोले, यदि हम मन, काय, और वचन पर ठीक हों
जाए तो हम अपने जीवन में आर्जव धर्म ला सकते हैं। सफलता के पैमाने पर उतरने के लिए पुरुषार्थ करना ही पड़ेगा।

 

दूसरी ओर कल्चरल ईवनिंग का शुभारम्भ मंगलाचरण के साथ हुआ। मंगलाचरण में ण्मोकार मंत्र की महिमा को बताया गया। ऑडी में टिमिट कॉलेज के स्टुडेंट्स ने पूजा का फल नाट्य की प्रस्तुति दी। नाटक में एक सेठानी को पूजा के महत्व का ज्ञान प्राप्त होता है। स्टुडेंट्स ने लोकनृत्य के माध्यम से तीर्थों की महिमा को जीवंत रूप में प्रदर्शित किया। एक विशेष स्किट और डांस के जरिए वृद्धाश्रम में अपने पुत्र की प्रतीक्षा करती महिला की कहानी को दिखाया, जिसने दर्शकों को भावुक कर दिया। अंत में छात्रों को मोमेंटो प्रदान किए गए और प्रतिभागियों को उपहार दिए गए। टीम में डॉ. अंकित कुमार बलियान, श्रीमती दीप्ति राज वर्मा, कु. श्रेया खरबंदा आदि शामिल रहे। स्टुडेंट्स- मुस्कान, विशाल जैन, प्राशु जैन, अनमोल जैन, श्रुत जैन, अक्षिता जैन, आगम जैन, यश जैन, अतिशय जैन और खुशी जैनआदि ने कार्यक्रम में प्रतिभाग किया।

 

सांस्कृतिक कार्यक्रम का समन्वय डॉ. विभोर जैन और उनकी टीम ने किया। नाट्य मंचन से पूर्व दिव्यघोष के संग जिनालय से
श्रीजी की आरती रिद्धि-सिद्धि भवन तक ले जाने का सौभाग्य टिमिट के निदेशक प्रो. विपिन जैन को मिला। दशलक्षण महामहोत्सव में वीसी प्रो. वीके जैन, ब्रहमचारिणी दीदी डॉ. कल्पना जैन, प्रो. विपिन जैन, डॉ. रवि जैन, डॉ. विनोद जैन, डॉ. एसके जैन, श्री आदित्य जैन, डॉ. अक्षय जैन, श्री रत्नेश जैन, श्रीमती अहिंसा जैन, श्रीमती शालिनी जैन, श्रीमती ऋतु जैन, डॉ. विनीता जैन, श्रीमती आरती जैन आदि उपस्थित रहे।

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