रेल सुरंगों में विस्फोटक प्रयोग से बढ़े भूस्खलन, जनता ने कंपनियों पर लगाया आरोप

-गौचर से दिग्पाल गुसाईं-
ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन को आने वाले दिनों में भले ही विकास की धुरी माना जा सकता है, लेकिन सुरंगों के निर्माण में अंधाधुंध विस्फोटकों के प्रयोग का दुष्परिणाम अब क्षेत्र में लगातार हो रहे भूस्खलनों के रूप में सामने आ रहा है। गौचर पॉलिटेक्निक, कमेड़ा और क्वींठी कांडा के भूस्खलनों को सीधे-सीधे इसी से जोड़ा जा रहा है।
गौचर में रेल लाइन के लिए दो सुरंगों का निर्माण किया गया है—एक सुरंग नदी के पार क्वींठी कांडा के समीप रानौ से बमोथ होते हुए सिवाई तक और दूसरी गौचर मैदान के नीचे से अलकनंदा नदी के किनारे राष्ट्रीय राजमार्ग के पास कमेड़ा होते हुए गुजरती है। इन सुरंगों के निर्माण में दिन-रात किए गए विस्फोटकों के प्रयोग से स्थानीय लोगों के मकानों में दरारें आ गईं। भटनगर, रावलनगर, शैल, क्वींठी कांडा और गौचर मुख्य बाजार तक प्रभावित हुए।
स्थानीय जनता ने विरोध आंदोलन भी किया, मगर रेलवे अधिकारियों ने मुआवजे का आश्वासन देकर मामला शांत कराया। लेकिन दिया गया मुआवजा ऊंट के मुंह में जीरा साबित हुआ। सुप्रीम कोर्ट की रोक के बावजूद कंपनियों को विस्फोटक इस्तेमाल की अनुमति कैसे मिली, यह भी बड़ा सवाल है।
हाल ही में गौचर राजकीय पॉलिटेक्निक परिसर में हुए भूस्खलन पर संस्थान के प्रधानाचार्य राजकुमार ने सीधे तौर पर रेल निर्माण कार्य कर रही कंपनियों को जिम्मेदार ठहराया। पालिकाध्यक्ष संदीप नेगी ने भी मेघा कंपनी को कसूरवार बताया।
कमेड़ा में आईटीबीपी की आठवीं वाहिनी से पेट्रोल पंप तक लगभग पांच सौ मीटर सड़क पूरी तरह धंस गई है। जखेड़ गधेरा का भूस्खलन विकराल रूप ले चुका है। क्वींठी कांडा में स्कूल और कई मकान ढह गए हैं।
फेसबुक पर पालिकाध्यक्ष संदीप नेगी की पोस्ट के बाद कांग्रेस जिलाध्यक्ष मुकेश नेगी सहित सैकड़ों लोग भूस्खलनों के लिए कंपनियों को जिम्मेदार मान रहे हैं। शैल, बसंतपुर और भटनगर क्षेत्र के लोग भी सामने आए हैं। उन्होंने नए सिरे से सर्वे कराकर नुकसान का आकलन करने की मांग उठाई है। गौ सेवा आयोग के सदस्य अनिल नेगी ने भी कंपनियों के अधिकारियों से फोन पर वार्ता कर जांच की मांग की है।
