उत्तराखंड व उ0प्र0 में लॉकडाउन की अवधि के सम्बन्धित मुकदमें वापस होंगे
देहरादून, 17 मयी। उत्तराखंड शासन ने शासनादेश सं0 203 दिनांक 30 अगस्त 2023 जारी करके उत्तराखंड राज्य में उ0प्र0 के समान लॉकडाउन की अवधि में आपदा प्रबंधन अधिनियम एवं महामारी अधिनियम तथा भारतीय दण्ड संहिता की विभिन्न धाराओं में दर्ज मुुकदमें वापस लिये जाने की कार्यवाही के आदेश दिया है। यह जानकारी सूचना अधिकार के अन्तर्गत नदीम उद्दीन को उक्त शासनादेश की प्रति उपलब्ध होने से हुई है।
काशीपुर निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन (एडवोकेट) को सूचना के अधिकार के तहत उपलब्ध सूचना के अनुसार कोविड -19 के काल के दौरान लॉक डाउन की अवधि में आपदा प्रबधन अधिनियम, महामारी अधिनियम व भारतीय दण्ड विधान (आई.पी.सी.) की धारा 188, 269, 270 एवं 271 के अन्तर्गत दर्ज सभी मुकदमों को वापस लिये जाने की कार्यवाही करने को आदेशित किया है।
नदीम को उपलब्ध शासनादेश में उल्लेखित किया गया है कि उ0प्र0 के शासनादेश सं0 1042/डब्लू सी/सात न्याय-5-2021 डब्लू सी/2021 दिनांक 26-10-2021 द्वारा इसी प्रकार के मुकदमों की वापसी हेतु निर्गत शासनादेश में आपदा प्रबंधन अधिनियम, महामारी अधिनियम, भा0वि0 की धारा 188, 269, 270 एवं 271 तथा मामले से सम्बद्ध भारतीय दण्ड संहिता की अन्य अपराध की धारायें जिसमें अधिकतम 02 वर्ष की सजा और जुर्माने का प्रावधान है, से सम्बन्धित पूरे प्रदेश में जन सामान्य (वर्तमान तथा भूतपूर्व मा0 सांसद/विधायक/विधान परिषद सदस्य छोड़कर) के विरूद्ध पंजीकृत अभियोगों को वापस लिये जाने की लिखित अनुमति के निर्णय के साथ ही दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 321 में उल्लेखित प्रावधानों का अनुपालन करते हुये मुकदमें वापस लिये जाने सम्बन्धी आदेश जारी किया गया है।
नदीम ने बताया कि इन मुकदमों में लॉकडाउन उल्लंघन आदि व गाइडलाइन व आदेशों के उल्लंघन के अतिरिक्त भारतीय दण्ड संहिता की धारा 188 अन्तर्गत 6 माह तक की सजा से दण्डनीय लोक सेवक के आदेशों का पालन न करना, उसे बाधा या नुकसान पहुंचाने का अपराध, धारा 269 के अन्तर्गत दण्डनीय उपेक्षा से जीवन को खतरे में डालने वाला कार्य करने का 6 माह की सजा से दण्डनीय अपराध धारा 270 के अन्तर्गत जानबूझकर, जीवन के लिये संकटपूर्ण या रोग को फैलाने वाला कार्य करने के अपराध दो वर्ष तक की सजा से दण्डनीय अपराध तथा 271 के अन्तर्गत क्वांरटीन के नियम का जानबूझकर उल्लंघन का दो वर्ष तक की सजा से दण्डनीय अपराधों के मुकदमें शामिल है।