लीडरशिप टॉक सीरीज के द्वितीय संस्करण में इमोशनल इंटेलिजेंस पर व्याख्यान,
तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के आॅडी में लीडरशिप टॉक सीरीज के द्वितीय संस्करण में इमोशनल इंटेलिजेंस पर व्याख्यान, बीबैटर एचआर साॅल्यूशन की फाउंडर श्रीमती अनुराधा चावला ने बतौर मुख्य वक्ता की शिरकत
ख़ास बातें :
- टीएमयू स्टुडेंट्स लिंकडेन पर बनाएं अपनी प्रोफाइल
- व्यक्तित्व विकास के लिए सेल्फ अवेयरनेस जरूरी
- विज़न की भूमिका अति महत्वपूर्ण, कमतर न आंकें
- अनसर्टेनिटी का सिर्फ इमोशनल इंटेलिजेंस ही निदान

मुरादाबाद, 24 जनवरी ( भाटिया )। बीबैटर एचआर साॅल्यूशन की फाउंडर श्रीमती अनुराधा चावला ने कहा, जिंदगी का सबसे बड़ा उद्देश्य मेंटल पीस है, जबकि यह इमोशनल इंटेलिजेंस के जरिए प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने इमोशनल इंटेलिजेंस क्या है? इमोशन्स क्या हैं? आदि पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा, सेल्फ अवेयरनेस एक बहुत बड़ा कदम है, जिसमें व्यक्ति अपने आप के बारे में ज्ञान प्राप्त करता है। महात्मा बुद्ध को कोट करते हुए बताया कि हमारे जीवन का लक्ष्य क्या होना चाहिए। जीवन में अपने लक्ष्य का निर्धारण करना और अपना एक विज़न सेट करना इमोशनल इंटेलिजेंस में सहायक होता है। श्रीमती चावला तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी की ओर से आॅडी में आयोजित लीडरशिप टॉक सीरीज के द्वितीय संस्करण में इमोशनल इंटेलिजेंस पर बतौर मुख्य वक्ता बोल रहीं थीं। इससे पूर्व मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित किया गया। इस मौके पर डीन प्रो. मंजुला जैन ने श्रीमती अनुराधा चावला का बतौर मुख्य वक्ता पुष्प गुच्छ देकर सम्मानित किया गया। संचालन असिस्टेंट डायरेक्टर एकेडमिक्स मिस नेहा आनन्द ने किया। लीडरशिप टाॅक सीरीज के दौरान रजिस्ट्रार डॉ. आदित्य शर्मा, टिमिट निदेशक प्रो. विपिन जैन, लाॅ काॅलेज के डीन प्रो. हरबंश दीक्षित, नर्सिंग काॅलेज की प्राचार्या डाॅ. पूनम शर्मा, सीटीएलटी के डयरेक्टर प्रो. आरएन कृष्णिया, डाॅ. नीलिमा जैन, फार्मेसी के प्राचार्य डाॅ. अनुराग वर्मा, आईआईसी की कन्वीनर डॉ. गीतान्शु डावर डाॅ. नवनीत कुमार, प्रो. जसलीन एम., डाॅ. रूचिकांत, प्रो. शिवानी एम. कौल, श्री नीरज मित्तल आदि की गरिमामयी मौजूदगी रही।

व्हील आॅफ इमोशन्स के छह मुख्य इमोशन्स- हैप्पीनेस, सैडनेस, एक्सपेक्टेशन, डिस्गस्ट, एंगर, फीअर, सरप्राइज, एंटीसिपीशन आदि के बारे में श्रीमती अनुराधा बोलीं, ये इमोशन्स हमारे जीवन में 34 हजार से अधिक रूपों में दिखते हैं। जीवन लगातार बदलने की प्रक्रिया है। इसे हमें समझना चाहिए। हमें हमेशा पाॅजीटिव रहना चाहिए। सेल्फ अवेयरनेस के बाद किसी के उकसाए जाने पर हमें 06 सेकेण्ड तक कोई रिएक्ट नहीं करना चाहिए। यह भी इमोशनल इंटेलिजेंस पैदा करने का एक टूल है। श्रीमती चावला ने व्हील आॅफ लाइफ के 10 मानकों-हैल्थ, फेंड, फेमली, फन, रिक्रिएशन, वैल्थ, रिलेशनशिप, पर्सनल ग्रोथ, पजेशन्स, करियर आदि के 0 से 10 के पैमाने पर रखकर इनमें सुधार करना चाहिए। यदि हम जीवन में पैशन को फाॅलो करें तो हमें हैप्पीनेस मिलती है। यह इमोशनल इंटेलिजेंस का आटोमैटिक रूट है। उन्होंने स्टुडेंट्स को लिंकडेन पर प्रोफाइल बनाने को कहा, जिससे हम सोशल मीडिया से जुड़ सकें और यह हमारी इमोशनल इंटेलिजेंस को बढ़ाने में मदद करता है। व्याख्यान की कन्वीनर एवम् डीन-एकेडिमिक्स प्रो. मंजुला जैन बोलीं, इस दशक में विशेष कर युवाओं को अनसर्टेनिटी, काॅम्पलेसिटी और एंजाइटी के वातावरण से जूझना पड़ रहा है। इसका सिर्फ और सिर्फ एक ही निदान है- इमोशनल इंटेलिजेंस। समारोह के दौरान सवाल-जवाब का दौर भी चला। छात्रों ने इमोशन इंटेलिजेंस से जुडे सवाल पूछे। उल्लेखनीय है, तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी में लीडरशिप टॉक सीरीज-एलटीएस के माध्यम से यूनिवर्सिटी का उद्देश्य उद्योग के विशेषज्ञों, अकादमिक जगत के दिग्गजों और उद्यमियों को उनके कठिन अनुभव को साझा करने के लिए आमंत्रित करके कक्षा में सीखने और व्यापार जगत की जमीनी वास्तविकताओं के बीच की खाई को पाटना है।