लाइट्स, कैमरा, ज़हर : जब साँप करता है वार !
High-speed video helped researchers to get close-ups of the attack strategies of three snake families.
Slow-motion videos of strikes by a mangrove snake, a puff adder, a blunt-nosed viper, a Cape coral snake and a Chinese moccasin.
लेखक: एरी डैनियल
23 अक्टूबर 2025
विषैले साँप हमारी दुनिया से बिल्कुल अलग संवेदनात्मक दुनिया में जीते हैं। ऑस्ट्रेलिया की मोनाश यूनिवर्सिटी के जीवविज्ञानी डॉ. ऐलिस्टर इवांस कहते हैं,
“स्तनधारी जीव के उन्हें पहचानने या हिलने-डुलने का मौका मिलने से पहले ही वे उस पर टूट पड़ते हैं।”
दरअसल, प्रतिक्रिया की गति की दौड़ में साँप लगभग हमेशा जीत जाता है। जहाँ किसी चूहे या इंसान को किसी खतरे को समझकर प्रतिक्रिया करने में आधे सेकंड से भी कम समय लगता है, वहीं एक विषैला साँप उससे भी बहुत कम समय में खुद को झोंककर अपने शिकार को डस सकता है।
“यह अविश्वसनीय रूप से तेज़ है,” डॉ. इवांस कहते हैं।
यह इतनी तेज़ गति से होता है कि अब तक वैज्ञानिकों के लिए इसे ठीक से देख पाना भी मुश्किल रहा है। लेकिन जर्नल ऑफ एक्सपेरिमेंटल बायोलॉजी में गुरुवार को प्रकाशित एक अध्ययन में डॉ. इवांस और उनके सहयोगियों ने उच्च गति वाले कैमरों का इस्तेमाल करके 36 विषैले साँपों की बिजली जैसी तेज़ और जटिल हरकतों को रिकॉर्ड किया और उनका पुनर्निर्माण किया।
इन वीडियो से यह साफ हुआ कि अलग-अलग प्रजातियों के साँप अपने शिकार को डसने के लिए कितने भिन्न और रोमांचक तरीके अपनाते हैं।
कैमरों के सामने साँप
इसके लिए डॉ. इवांस ने पेरिस के नेशनल म्यूज़ियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री के विकासवादी जीवविज्ञानी डॉ. एंथनी हेरल की मदद ली। हेरल VenomWorld नामक फ्रांसीसी कंपनी के साथ काम करते हैं, जो विष से एंटीवेनम (विषरोधी दवा) बनाती है।
VenomWorld की टीम और मोनाश की शोध छात्रा सिल्के क्ल्यूरन के साथ मिलकर उन्होंने 1000 फ्रेम प्रति सेकंड की गति से साँपों के वार को रिकॉर्ड किया।
सुरक्षा नियमों का कड़ाई से पालन करते हुए, उन्होंने एक लम्बे डंडे के सिरे पर स्तनधारियों के शरीर के तापमान के समान गर्म किया गया बैलिस्टिक जैल का सिलेंडर लगाया। इसे तीन अलग-अलग साँप परिवारों के सामने प्रस्तुत किया गया।
साँप कई बार निशाना चूक गए, लेकिन जब उनका वार सफल हुआ — नज़ारा दहला देने वाला था।
वाइपर: घात लगाकर वार करने वाले शिकारी
वाइपर वर्ग के साँप घात लगाकर शिकार करते हैं। वे किसी स्थान पर कुंडली मारकर बैठे रहते हैं, अपने बड़े दाँत छिपाए हुए। जैसे ही शिकार पास आता है, वे विस्फोटक गति से सिर झोंकते हैं और वार कर देते हैं।
डॉ. हेरल बताते हैं, “एक वीडियो में, शार्प-नोज़ वाइपर कुछ ही मिलीसेकंड में मुँह खोलता है और धड़ाम! — दाँत भीतर धँस जाते हैं।”
विष डालने के बाद साँप तुरंत सिलेंडर को छोड़ देता है।
प्रकृति में यह “बाइट एंड रिलीज़” तकनीक इसलिए उपयोगी होती है क्योंकि इससे साँप अपने शिकार को डसने के बाद पीछे हट सकता है, ताकि कोई पलटवार न हो। शिकार भले भाग जाए, विष अंततः उसे मार देता है। फिर साँप अपनी जीभ की मदद से मृत शिकार की गंध का पीछा करता है और उसे आसानी से ढूँढ लेता है।
शोधकर्ताओं ने यह भी देखा कि वाइपर अपने दाँतों की स्थिति बदलते रहते हैं ताकि विष बेहतर ढंग से अंदर जा सके। यह जानकारी भविष्य में सुरक्षात्मक कपड़ों के डिज़ाइन में काम आ सकती है।
डॉ. हेरल यह भी कहते हैं, “ज्यादातर साँप यदि उन्हें परेशान न किया जाएँ, तो वास्तव में इतने खतरनाक नहीं होते।”
एक वीडियो में एक ब्लंट–नोज़ वाइपर ने वार करते हुए अपना दाहिना दाँत तोड़ लिया — और वह दाँत हवा में घूमता हुआ दिखाई दिया। डॉ. इवांस के शब्दों में, “ऐसा दृश्य पहले कभी कैमरे में नहीं आया।” (चिंता की बात नहीं — साँप अपने दाँत समय-समय पर पुनः उगा लेते हैं।)

एलैपिड्स: धीमे लेकिन घातक
दूसरा समूह एलैपिड्स का था — इसमें कोबरा, मंबा और टाइपान जैसे साँप आते हैं। टीम द्वारा अध्ययन किए गए चार प्रकार के एलैपिड्स अपने शिकार के ज़्यादा पास पहुँचते हैं, वाइपरों की तुलना में धीरे वार करते हैं और जबड़े को बार-बार दबाते हैं।
हर बार जबड़े की मांसपेशियाँ संकुचित होतीं, तो विष दाँतों में प्रवाहित होकर शिकार के शरीर में पंप होता।
कोलुब्रिड्स: पीछे के दाँतों से वार
तीसरा समूह कोलुब्रिड्स का था, जिनमें से बहुत कम प्रजातियाँ मनुष्यों के लिए विषैली होती हैं। शोधकर्ताओं ने दो ऐसी प्रजातियों का अध्ययन किया जिनके दाँत वाइपर और एलैपिड्स के विपरीत, मुँह के पिछले हिस्से में होते हैं।
ये साँप शिकार से संपर्क बनाने के बाद अपने दाँतों को रगड़ते हैं, जिससे घाव बनता है और पीछे के दाँतों से निकला विष उन खुले घावों में समा जाता है।
ब्राउन यूनिवर्सिटी की जीवविज्ञानी जेसिका टिंगल, जो इस अध्ययन से जुड़ी नहीं थीं, कहती हैं,
“यह डेटा सेट वाकई प्रभावशाली है, क्योंकि जानवर अक्सर आपकी इच्छा के अनुसार व्यवहार नहीं करते। यह विविधता ही हमें प्रकृति की गहराई समझने में मदद करती है।”
उनका एक सुझाव यह था कि अधिकांश अध्ययन वाइपरों पर केंद्रित था, इसलिए परिणामों को पायथन या बोआ जैसे साँपों पर सामान्यीकृत करने में सावधानी बरतनी चाहिए।
साँप: पहले से कहीं अधिक लचीले जीव
डॉ. हेरल कहते हैं, “पहले हम सोचते थे कि साँपों का वार एक तयशुदा पैटर्न में होता है, जैसे कोई रोबोट हर बार एक जैसी हरकत करता हो। लेकिन इन वीडियो ने यह धारणा बदल दी।” उन्होंने बताया, “ये जीव वास्तव में बहुत लचीले हैं — और वे हमारी कल्पना से कहीं ज़्यादा विविध तरीके से वार कर सकते हैं।”
