शरीर का मूक रक्षक यकृत : जो बिना थके निरंतर हमारे शरीर की रक्षा करता है
— उषा रावत
हर वर्ष 19 अप्रैल को ‘विश्व यकृत दिवस’ मनाया जाता है, लेकिन यह दिन अक्सर शोरगुल भरी स्वास्थ्य चर्चाओं के बीच कहीं खो जाता है। जबकि यकृत , यह खामोश, थकनाझेल अंग , हमारे शरीर का ऐसा योद्धा है जो बिना शिकायत किए लगातार हमारी रक्षा करता रहता है। वह तब तक कुछ नहीं कहता, जब तक बीमारी उसके अस्तित्व को डगमगाने न लगे। शरीर की इस रासायनिक प्रयोगशाला को हम कितना समझते हैं? या यूं कहें, हम उसे समझना ही नहीं चाहते जब तक वो हमें ज़बरदस्ती न रोक दे।
जब तक देर न हो जाए
यकृत शरीर का दूसरा सबसे बड़ा अंग है, जो सैकड़ों कार्यों में बिना शोर के भाग लेता है। वह पाचन में मदद करता है, विषैले तत्वों को निष्क्रिय करता है, रक्त में शर्करा का संतुलन बनाए रखता है और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मज़बूत करता है। लेकिन इसके रोग अक्सर चुपचाप बढ़ते हैं। अधिकांश लिवर रोग — चाहे वह फैटी लिवर हो, हेपेटाइटिस हो या सिरोसिस — तब तक सामने नहीं आते जब तक स्थिति गंभीर न हो जाए। यकृत की यह ‘चुप्पी’ ही उसकी सबसे बड़ी चुनौती है, और हमारा सबसे बड़ा भ्रम भी।
बदलती जीवनशैली और बढ़ता ख़तरा
आज के समय में यकृत पर सबसे बड़ा संकट हमारी जीवनशैली से है। बढ़ता मोटापा, अल्कोहल की बढ़ती खपत, जंक फूड की लत, और लगातार बैठकर काम करने की आदतें — ये सब यकृत को धीमा ज़हर दे रही हैं। भारत जैसे देश में जहाँ स्वच्छ पेयजल अब भी हर किसी की पहुँच में नहीं है, वहाँ हेपेटाइटिस A और E जैसे संक्रमण आम हैं। वहीं दूसरी ओर, हेपेटाइटिस B और C जैसी बीमारियाँ भी बड़ी संख्या में लोगों को अपनी चपेट में ले रही हैं। अफ़सोस इस बात का है कि बहुत से लोग न तो समय पर जांच कराते हैं और न ही टीकाकरण को गंभीरता से लेते हैं।
जागरूकता ही सबसे बड़ा इलाज
यकृत की रक्षा कोई असंभव कार्य नहीं है, लेकिन इसके लिए इच्छाशक्ति चाहिए। आवश्यकता है समय-समय पर स्वास्थ्य जांच की, खासकर लिवर फंक्शन टेस्ट की। हर व्यक्ति को हेपेटाइटिस B का टीका अवश्य लगवाना चाहिए। खाने में संतुलन और दिनचर्या में थोड़ी नियमितता ही लिवर को दीर्घायु बना सकती है। यदि स्वच्छ पानी और भोजन पर ध्यान न दिया जाए तो लिवर सबसे पहले उसकी कीमत चुकाता है। इस यंत्र की सेवा बिना शोर के चलती है — मगर जब यह रुकता है तो पूरे शरीर की व्यवस्था चरमरा जाती है।
यकृत की खामोश पुकार
विश्व यकृत दिवस हमें महज़ एक बीमारी के बारे में जागरूक करने का अवसर नहीं है, यह एक चेतावनी है — कि हमारे शरीर का यह निःशब्द रक्षक कब तक हमारी उपेक्षा झेलेगा? यकृत को स्वस्थ रखिए, केवल अपने शरीर के लिए नहीं, अपने पूरे जीवन के लिए। यह अंग जब तक स्वस्थ रहता है, जीवन का हर रंग सहज रूप से बहता है। मगर इसकी अनदेखी की कीमत बहुत बड़ी हो सकती है।
यकृत शोर नहीं करता, मगर उसकी ख़ामोशी में जो चेतावनी है, उसे सुनना हम सबकी ज़िम्मेदारी है।