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लीला के अन्दर लीला : राम ने कभी लीला नहीं की

-गोविंद प्रसाद बहुगुणा

राम ने कभी लीला नहीं की लीलाधर तो क्रांतिकारी कृष्ण थे ,जन के उद्धार के लिए उन्होने कई उपक्रम किए लेकिन जीवन शैली उन्होंने ने भी नहीं बनाया अपनी लीला को -लीला का मतलब he performed many roles of Saviour to protect his people but never to establish himself as their Ruler.He was basically a leader of the masses.

लीलायें तो हम करते हैं अपने मनोरंजन के लिए। रुद्रप्रयाग के अद्भुत कलाकार याद आते हैं- उनका नाम ही लीलान्द जी भट्ट*मालदार *था जो स्टेज पर परशुराम का रोल करते समय दर्शकों और स्टेज पर बिराजमान हारमोनियम बजाने वाले सज्जन मनसाराम जी काला को अपनी कड़क आवाज में निर्देश देते-ऐ काला जी जरा उस रागिनी कीधुन बजाओ तो ……एक दिन उनके अभिनय के दौरान एक पगली औरत जिसको *लूली *बोलते थे पता नहीं कैसे स्टेज पर पहुंच गई, उन्होंने उसको वहां से भगाया और स्टेज से बाहर खड़े छोकरों को भी डांट दिया-“साले दांत निपोर रहे हो ,इसको भगा नहीं सकते थे ?” तो इसको कहते थे लीला के अन्दर लीला ।
GPB

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