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56 साल के अंतराल के बाद शहीद नारायण सिंह का हुआ पैतृक घाट पर सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार

-हरेंद्र बिष्ट की रिपोर्ट-

थराली, 3 अक्टूबर। सन 1968 में शहीद हुए सैनिक नारायण सिंह बिष्ट का उनके पैतृक घाट में 56 वर्षों के लंबे समयांतराल बाद सैनिक एवं राजकीय सम्मान के साथ गंमगीन माहौल के बीच अंतिम संस्कार कर दिया गया।इस दौरान सेना की टुकड़ी ने उन्हें अंतिम सलामी दी।

दरअसल 7 फरवरी 1968 को भारतीय वायुसेना का एएन-12 विमान ने चंडीगढ़ से उड़ान भरी यह विमान छह क्रू सदस्यों के साथ लेह पहुंचा। जहां से भारतीय सेना के लोगो को लेह से चंडीगढ़ वापस लाया जा सके, विमान ने लेह से उड़ान भरी विमान में चालक दल सहित कुल 102यात्री सवार थे, लेकिन चंडीगढ़ की ओर आते समय खराब मौसम की वजह से हिमाचल प्रदेश के ढाका ग्लेशियर के क्षेत्र में विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था।

विगत महिनों सेना एवं डोगरा स्काउट की खोज में उन्हें 4 शव मिलें थें, इन शवों में थराली विकासखंड के सोल क्षेत्र में स्थित कोलपुड़ी गांव निवासी एवं सेना के मेडिकल कोर में तैनात नारायण सिंह के रूप में की गई, शव की शिनाख्त होने के बाद गुरुवार को शहीद के शव को सेना का एक विशेष दस्ता लेकर कोलपुड़ी स्थित शहीद के घर पहुंचा।

जहां पर ताबूत में तिरंगे में लिपटें सैनिक के शव को 56 वर्षों के लंबे समयांतराल में देख कर उनके भाई हीरा सिंह व जय सिंह,भतीजे प्रधान जयवीर सिंह, सुजान सिंह सहित शहीद की भतीजीयां और अन्य सगे-संबंधियों की आंखें छलछला उठी।

परिजनों ने घर पर शहीद के अंतिम दर्शन किए, यहां पर सेना के द्वारा शहीद को शस्त्र सलामी दी। इसके बाद जब तक सूरज चांद रहेगा नारायण तेरा नाम रहेगा, सैनिक के सम्मान में स्वागत है,भाई स्वागत है।भारत माता की जय, बंदे मातरम जैसे नारों के बीच दोपहर करीब साढ़े 12 बजे दोपहर में शवयात्रा शुरू हुई।

करीब डेढ़ बजे शव यात्रा शहीद के पैतृक घाट प्राणमती नदी के सिलौटबगड़ स्थित श्मशान घाट पहुंचा, जहां पर सेना की विशेष टुकड़ी ने शस्त्र सलामी के साथ ही फायर कर शहीद को अंतिम सलामी दी। इसके बाद शहीद के परिजनों ने शहीद की चिता को गमगीन माहौल के बीच मुखाग्नि दी।
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उत्तराखंड सरकार की ओर से

हरेंद्र बिष्ट की रिपोर्ट।

थराली। 1968 में शहीद हुए सैनिक नारायण सिंह बिष्ट का उनके पैतृक घाट में 56 वर्षों के लंबे समयांतराल बाद सैनिक एवं राजकीय सम्मान के साथ गंमगीन माहौल के बीच अंतिम संस्कार कर दिया गया हैं।इस दौरान सेना की टुकड़ी ने उन्हें अंतिम सलामी दी।
दरअसल 7 फरवरी 1968 को भारतीय वायुसेना का एएन-12 विमान ने चंडीगढ़ से उड़ान भरी यह विमान छह क्रू सदस्यों के साथ लेह पहुंचा। जहां से भारतीय सेना के लोगो को लेह से चंडीगढ़ वापस लाया जा सके, विमान ने लेह से उड़ान भरी विमान में चालक दल सहित कुल 102यात्री सवार थे, लेकिन चंडीगढ़ की ओर आते समय खराब मौसम की वजह से हिमाचल प्रदेश के ढाका ग्लेशियर के क्षेत्र में विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था।विगत महिनों सेना एवं डोगरा स्काउट की खोज में उन्हें 4 शव मिलें थें, इन शवों में थराली विकासखंड के सोल क्षेत्र में स्थित कोलपुड़ी गांव निवासी एवं सेना के मेडिकल कोर में तैनात नारायण सिंह के रूप में की गई, शव की शिनाख्त होने के बाद गुरुवार को शहीद के शव को सेना का एक विशेष दस्ता लेकर कोलपुड़ी स्थित शहीद के घर पहुंचा।जहां पर ताबूत में तिरंगे में लिपटें सैनिक के शव को 56 वर्षों के लंबे समयांतराल में देख कर उनके भाई हीरा सिंह व जय सिंह,भतीजे प्रधान जयवीर सिंह, सुजान सिंह सहित शहीद की भतीजीयां और अन्य सगे-संबंधियों की आंखें छलछला उठी। परिजनों ने घर पर शहीद के अंतिम दर्शन किए, यहां पर सेना के द्वारा शहीद को शस्त्र सलामी दी। इसके बाद जब तक सूरज चांद रहेगा नारायण तेरा नाम रहेगा, सैनिक के सम्मान में स्वागत है,भाई स्वागत है।भारत माता की जय, बंदे मातरम जैसे नारों के बीच दोपहर करीब साढ़े 12 बजे दोपहर में शवयात्रा शुरू हुई। करीब डेढ़ बजें शव यात्रा शहीद के पैतृक घाट प्राणमती नदी के सिलौटबगड़ स्थित श्मशान घाट पहुंचा, जहां पर सेना की विशेष टुकड़ी ने शस्त्र सलामी के साथ ही फायर कर शहीद को अंतिम सलामी दी। इसके बाद शहीद के परिजनों ने शहीद की चिता को गमगीन माहौल के बीच मुखाग्नि दी।

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उत्तराखंड सरकार की ओर से थराली विधायक भूपाल राम टम्टा, चमोली जिला प्रशासन की ओर से थराली के उपजिलाधिकारी अबरार अहमद, नायब तहसीलदार अक्षय पंकज, राजस्व निरीक्षक जगदीश प्रसाद गौरोला, पुलिस की प्रभारी थानाध्यक्ष संपूर्णानंद जुयाल, विकास विभाग की ओर से थराली के खंड विकास अधिकारी मोहन जोशी, एसडीओ प्रकाश जोशी, जिपंस देवी जोशी, पूर्व जिपंस महेश त्रिकोटी, जेष्ठ प्रमुख महावीर शाह,थराली भाजपा मंडल अध्यक्ष नंदू बहुगुणा, यूकेडी नेता भुपाल गुसाईं,सोल विकास समिति के अध्यक्ष चरण सिंह रावत, थराली प्रधान संघ अध्यक्ष जगमोहन सिंह रावत,प्रधान रतगांव महिपाल फर्स्वाण सहित तमाम क्षेत्रीय जनता एवं जनप्रतिनिधियों ने शहीद को पुष्प चक्र एवं फूल अर्पित कर श्रद्धांजलि अर्पित की।

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 रूद्रप्रयाग स्थित सैन्य यूनिट के मेजर केबी चैंग (सेना मैडिल) एवं 1842 पाईनयर यूनिट जोशीमठ के कर्नल एस श्रीधर,5 जेसीओ के साथ ही 40 जवानों के दस्ते ने शहीद जवान को सेना की ओर से अंतिम विदाई दी।

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जब 56 साल पहले शहीद हुए सैनिक नारायण सिंह बिष्ट के पार्थिक शरीर को लेकर सेना के वाहनों के अलावा प्रशासन, जनप्रतिनिधियों के वाहनों का काफिला सोल डुंग्री, बूंगा,गेरूड़ होते हुए कोलपुड़ी पहुंचा तो पूरे मार्ग में देश के लाल के तिरंगे में लिपटें पार्थिव शरीर पर फूलों की बरसा कर सैनिक के सम्मान में जोरदार नारेबाजी की
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सोल डुंग्री क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों ने थराली -घाट मोटर सड़क का नाम शहीद नारायण सिंह बिष्ट के नाम से रखें जाने की थराली विधायक भूपाल राम टम्टा एवं थराली के उपजिलाधिकारी अबरार अहमद के सामने उठाया जिस पर दोनों ने ही आवश्यक कार्रवाई का आश्वासन दिया।

थराली विधायक भूपाल राम टम्टा, चमोली जिला प्रशासन की ओर से थराली के उपजिलाधिकारी अबरार अहमद, नायब तहसीलदार अक्षय पंकज, राजस्व निरीक्षक जगदीश प्रसाद गौरोला, पुलिस की प्रभारी थानाध्यक्ष संपूर्णानंद जुयाल, विकास विभाग की ओर से थराली के खंड विकास अधिकारी मोहन जोशी, एसडीओ प्रकाश जोशी, जिपंस देवी जोशी, पूर्व जिपंस महेश त्रिकोटी, जेष्ठ प्रमुख महावीर शाह,थराली भाजपा मंडल अध्यक्ष नंदू बहुगुणा, यूकेडी नेता भुपाल गुसाईं,सोल विकास समिति के अध्यक्ष चरण सिंह रावत, थराली प्रधान संघ अध्यक्ष जगमोहन सिंह रावत,प्रधान रतगांव महिपाल फर्स्वाण सहित तमाम क्षेत्रीय जनता एवं जनप्रतिनिधियों ने शहीद को पुष्प चक्र एवं फूल अर्पित कर श्रद्धांजलि अर्पित की।
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