भारत में लगभग 27.49 लोग तम्बाकू का सेवन करते हैं ! बेहद नुकसानदायक है यह लत
The number of people consuming tobacco has decreased across the world including India. Despite this, more than 27.49 crore people are still consuming it in the country. Of these, 79 percent are men while 21 percent are women. This means that in India, more than 19.8 crore men and 5.3 crore women are still victims of tobacco addiction. Smoking can cause lung disease by damaging your airways and the small air sacs (alveoli) found in your lungs. Lung diseases caused by smoking include COPD, which includes emphysema and chronic bronchitis. Cigarette smoking causes most cases of lung cancer.
–डॉ. संतोष जैन पस्सी
तम्बाकू सेवन – दुनिया भर में विकास के लाभों को क्षीण करने में प्रमुख बाधा है। यह समय से पहले की विकृति /मृत्यु दर का सबसे बड़ा कारण है। तम्बाकू के उत्पादों में लगभग 5000 से 7000 विषाक्त पदार्थ होते हैं, इनमें से सबसे खतरनाक निकोटीन, कार्बन मोनोऑक्साइड और टार है। आमतौर पर तम्बाकू का इस्तेमाल सिगरेट, बीडी, सिगार, हुक्का, शीशा, तम्बाकू चबाना, लौंग सिगरेट, तम्बाकू सूंघना और ई-सिगरेट के रूप में होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू एच ओ) की रिपोर्ट में बताया गया है कि प्रति वर्ष प्रत्यक्ष तम्बाकू के इस्तेमाल/तम्बाकू के धूएं से लगभग छह मिलियन लोगों की मृत्यु होती है और यह अधिकतर एनसीडी के लिए प्रमुख खतरे का कारक है। इसके अलावा संक्रमण की बीमारियों में से श्वसन संक्रमण और तपेदिक की वजह से लगभग 4 – 5 प्रतिशत मृत्यु दर का कारण तम्बाकू सेवन है। माना जाता है कि 2030 तक तम्बाकू से संबंधित बीमारियों के कारण मृत्यु दर लगभग 8 मिलियन होगी।
तम्बाकू से सभी व्यक्तियों को खतरा है, फिर चाहे वे किसी भी उम्र, लिंग, जाति और सांस्कृतिक/शैक्षिक पृष्ठभूमि का व्यक्ति क्यों न हो। प्रकार/रूप पर ध्यान दिए बिना तम्बाकू व्यक्ति के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालती है। दुनिया भर में अभी भी मृत्यु दर सबसे महत्वपूर्ण कारण धूम्रपान है, जिसे रोका जा सकता है। सिगरेट के धूएं में मौजूद विषाक्त पदार्थ से शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर पड़ जाती है और डीएनए को नुकसान पहुंचता है, जिससे कैंसर/ट्यूमर की बीमारी होती हैं। सिगरेट के धूएं से प्रभावित होने वाले अन्य लोगों के हृदयवाहिनी प्रणाली पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, जिससे उनमें कोरोनरी हृदय रोग/ स्ट्रोक हो जाते हैं। सिगरेट के धूएं के कारण शिशुओं/बच्चों को बार-बार/ गंभीर अस्थमा के दौरे पड़ते हैं, श्वसन/कान संक्रमण होता है और शिशु की अचानक मृत्यु हो सकती है।
भारत में लगभग 274.9 मिलियन लोग तम्बाकू का सेवन करते हैं। इनमें से 163.7 मिलियन लोग धुआं रहित तम्बाकू (एसएलटी), 68.9 मिलियन धूम्रपान करते हैं और 42.3 मिलियन दोनों का इस्तेमाल करते हैं। एसएलटी का इस्तेमाल विशेष रूप से असंगठित क्षेत्र (वैश्विक वयस्क तम्बाकू सर्वेक्षण, 2009-10) में अधिक किया जाता है। एनएफएचएस-3 (2005-06) की तुलना में एनएफएचएस-4 (2015-16) के आंकड़ों से वयस्कों में (पुरूषः 57 प्रतिशत से 44.5 प्रतिशत, महिलाः 10.8 प्रतिशत से 6.8 प्रतिशत) तम्बाकू के इस्तेमाल में कमी के संकेत मिलते हैं।
तम्बाकू के इस्तेमाल से जुड़े स्वास्थ्य संबंधी खतरों को उजागर करने और तम्बाकू के उपभोग को रोकने के लिये प्रभावी नीतियों की हिमायत करने के वास्ते प्रति वर्ष 31 मई को ‘विश्व तम्बाकू निषेध दिवस’ मनाया जाता है। इस वर्ष का विषय है- “तम्बाकू-विकास के लिए खतरा”, जो तम्बाकू के इस्तेमाल, तम्बाकू नियंत्रण और सतत् विकास के बीच के संबंध को रेखांकित करता है। सीवीडी, कैंसर और सीओपीडी सहित एनसीडी के कारण समय से पहले होने वाली मृत्यु में एक तिहाई कमी लाने के 3.4 एसडीजी के लक्ष्य को 2030 तक हासिल करने के लिए सतत् विकास एजेंडा में तम्बाकू पर नियंत्रण को सख्ती से शामिल किया गया है। तम्बाकू की खेती के लिए प्रति वर्ष 2-4 प्रतिशत वैश्विक वनों की कटाई की जाती है और इसके उत्पाद निर्माण से 2एमटी से अधिक का ठोस कचरा पैदा होता है। तम्बाकू की खेती के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले कीटनाशक/उर्वरक आमतौर पर जहरीले होते हैं और जलापूर्ति को प्रदूषित करते हैं।
तम्बाकू पर व्यापक नियंत्रण से तम्बाकू की खेती, उत्पादन, व्यापार और उपभोग से पर्यावरण पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव से निपटने के साथ ही गरीबी और भूख के दुष्चक्र को रोका जा सकता है। इसके अतिरिक्त इससे सतत कृषि/आर्थिक विकास को बढ़ावा दिया और जलवायु परिवर्तन के ज्वलंत मुद्दे से निपटा जा सकता है। तम्बाकू उत्पादों पर कर बढ़ाना व्यापक स्वास्थ्य कवरेज और अन्य विकास कार्यक्रमों के वित्त पोषण के लिये सहायक हो सकता है।
सतत तम्बाकू-मुक्त विश्व के लिए सरकारी प्रयासों के अलावा, व्यक्ति/समुदाय भी काफी योगदान दे सकते हैं। तम्बाकू एनसीडी के लिए प्रमुख निवारक खतरे का कारक होने का कारण, लगातार बढ़ती बीमारी के बोझ को कम करने और देशों का विकास को सुनिश्चित करने में सामूहिक तम्बाकू नियंत्रण प्रयासों की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। तंबाकू की महामारी से निपटने के लिए तंबाकू नियंत्रण पर डब्ल्यूएचओ फ्रेमवर्क कन्वेंशन में विश्व बैंक ने तम्बाकू उत्पादों को अवहनीय बनाने के लिए कर नीति में सुधार का प्रस्ताव किया, जिससे तम्बाकू का इस्तेमाल कम और लोगों के स्वास्थ्य में सुधार होगा।
एमएचएफडब्ल्यू (भारत सरकार) द्वारा शुरू किया गया राष्ट्रीय तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम (2007-08) का उद्देश्य तम्बाकू नियंत्रण कानूनों के प्रभावी कार्यान्वयन के साथ ही तम्बाकू के हानिकारक प्रभावों के संबंध में जागरूकता फैलाना है। इस कार्यक्रम के तहत समग्र नीति तैयार करने, योजना बनाने, निगरानी करने और विभिन्न गतिविधियों का मूल्यांकन करने की जिम्मेदारी राष्ट्रीय तम्बाकू नियंत्रण इकाई की है।
तम्बाकू पर कर बढ़ाकर इसकी कीमत में बढ़ोत्तरी एक प्रभावी रणनीति है, देश में सिगरेट और बड़े पैमाने पर बीडी उत्पादन (लघु/ कुटीर उद्योगों को छोड़कर) उद्योग पर उत्पाद शुल्क लागू है। तम्बाकू के इस्तेमाल को रोकने के अऩ्य प्रयासों में स्वास्थ्य पर विपरित प्रभाव के बारे में जागरूकता बढ़ाना, तम्बाकू रोधी अभियान, तम्बाकू का सेवन करने वालों के लिए व्यसन से बचाव/पुनर्वास के कार्यक्रम बढ़ाना, अन्य लोगों का धूम्रपान के संपर्क को कम करना, तम्बाकू के विज्ञापनों, प्रसार और प्रायोजन पर प्रतिबंध लगाना शामिल है। इसके अतिरिक्त एम तम्बाकू समाप्ति कार्यक्रम भी चल रहे हैं।
जनता के स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए 2003 में भारत सरकार ने सिगरेट और अन्य तम्बाकू उत्पाद (विज्ञापन पर प्रतिबंध और व्यापार तथा वाणिज्य, उत्पादन, आपूर्ति तथा वितरण का नियमन) अधिनियम लागू किया था, जिसमें (सीओपीटीए) 2014 में संशोधन किया गया। इसमें सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान करने पर प्रतिबंध, विज्ञापन और नाबालिगों/शैक्षिक संस्थानों के नजदीक तम्बाकू उत्पादों की बिक्री पर रोक, तम्बाकू उत्पादों के पैकेट पर सचित्र स्वास्थ्य चेतावनी तथा उत्पाद में टार/निकोटीन के भाग को नियंत्रित करने का प्रावधान है। सीओटीपीए को लागू करने में राज्यों के अधिकार बढ़ाने तथा तम्बाकू के सेवन से स्वास्थ्य पर विपरित प्रभाव और अन्य लोगों पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए 2007 में भारत सरकार ने पायलट राष्ट्रीय तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम (एनटीसीपी) का शुभारंभ किया था। 2012-17 के दौरान सभी 36 राज्यों/ 672 जिलों को चरणबद्ध रूप से कवर करने के लिए 700 करोड़ रुपये के बजटीय आवंटन के साथ एनटीपीसी का विस्तार किया जा रहा है।
डॉ. मार्गरेट चैन (महानिदेशक, डब्ल्यूएचओ) ने तम्बाकू नियंत्रण उपायों एमपीओडब्ल्यूईआर के तुरंत कार्यान्वयन पर बल दिया है। जिसमें तम्बाकू के इस्तेमाल की निगरानी/रोकथाम नीतियां, लोगों की धूम्रपान के धूएं से सुरक्षा, तम्बाकू का सेवन बंद करने में मदद करना, तम्बाकू के खतरों के बारे में चेतावनी देना, तम्बाकू के विज्ञापन/प्रसार/प्रायोजन पर पाबंदी लगाना और तम्बाकू उत्पादों पर कर बढ़ाना शामिल है।
मई 2016 में एमएचएफडब्ल्यू, डब्ल्यूएचओ-भारत कार्यालय और हृदय ने संयुक्त रूप से भारत में तम्बाकू नियंत्रण उपायों के लिए तकनीकी चर्चा आयोजित की थी। बच्चों और किशोरों के बीच तम्बाकू के इस्तेमाल को रोकने के लिए युवा उत्प्रेरक के रूप में अपने साथियों, परिवारों और समाज में तम्बाकू का इस्तेमाल न करने की वकालत कर सकते हैं। इसलिए तम्बाकू के सेवन के दुष्प्रभावों को उजागर करने के लिए स्कूल आधारित कार्यक्रमों के जरिए उनमें जागरूकता फैलाना अति आवश्यक है। इसके अलावा डब्ल्यूएचओ ने सभी राष्ट्रों को तम्बाकू उत्पादों की सादी पैकेजिंग करने का निर्देश दिया है।
राष्ट्रीय कैंसर रोकथाम और अनुसंधान संस्थान में “वैश्विक धूआं रहित तम्बाकू ज्ञान केंद्र” की स्थापना की गई है। तम्बाकू या निकोटीन वाले गुटखा/पान मसाला के उत्पादन और बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है। “स्वस्थ्य रहें, गतिशील रहें, पहल” के अंतर्गत भारत सरकार ने टोलफ्री टोबैको सेसेशन क्वीटलाइन और एम सेसेशन सर्विस का शुभारंभ किया है। तम्बाकू का उपभोग दर्शाने वाली फिल्मों में तम्बाकू रोधी स्वास्थ्य स्थलों, चेतावनी और संदेश प्रदर्शित करना अनिवार्य है।
मार्च, 2017 में हमारी सरकार ने सभी तम्बाकू उत्पादों के लिए निर्दिष्ट स्वास्थ्य चेतावनी के 2 चित्र को शामिल करने के लिए सिगरेट और अन्य तम्बाकू उत्पाद (पैकेजिंग/लैबलिंग) नियम 2008 में, संशोधन किया जो एक अप्रैल, 2017 से प्रभावी है।
तम्बाकू उत्पादों के विज्ञापन पर प्रतिबंध के बावजूद एसएलटी निर्माता अपनी बिक्री बढ़ाने के लिए भ्रामक ब्रांड साझा करने की रणनीतियों और मशहूर हस्तियों द्वारा विज्ञापन करवाने जैसे अन्य उपायों का इस्तेमाल करते हैं। हालांकि सरकार पर्यावरण, खाद्य सुरक्षा और अन्य विनियमों के जरिए एसएलटी उत्पादों को सख्ती से नियमित करती है। खाद्य सुरक्षा अधिनियम में पैक किए गए एसएलटी उत्पादों का उत्पादन, बिक्री, परिवहन और भंडारण पर रोक का प्रावधान है। इसके अलावा एसएलटी के बारे में जन जागरूकता संदेश और प्रभावी /व्यवस्थित निगरानी प्रणाली व्यापक तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम के आवश्यक अंग है।
हमें सामूहिक रूप से रोके जा सकने वाले विकृति/मृत्यु दर के इस प्रमुख कारण का मुकाबला करना होगा। तम्बाकू के उपभोग/तम्बाकू के धूएं के संपर्क के विनाशकारी परिणामों से हमारी वर्तमान और भविष्य की पीढ़ी के स्वास्थ्य/ सामाजिक/पर्यावरणीय/आर्थिक सुरक्षा की तुरंत आवश्यकता है।