पर्यावरण

विलुप्तप्राय हिमालयी जड़ी-बूटियों के संरक्षण हेतु हैप्रेक और उद्योगिनी में एमओयू

 

श्रीनगर (गढ़वाल), 1 दिसम्बर। हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के उच्च शिखरीय पादप कार्यिकी शोध केंद्र (हैप्रेक) और उद्योगिनी संस्था ने उत्तराखंड की विलुप्तप्राय हिमालयी जड़ी-बूटियों के संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। यह एमओयू ऊँचाई वाले क्षेत्रों से तेजी से गायब हो रही दुर्लभ जड़ी-बूटियों के संरक्षण एवं संवर्धन पर केंद्रित है।

विशेषज्ञों के अनुसार उत्तराखंड के बुग्याल विश्व की अद्वितीय जैव-विविधता वाले क्षेत्र हैं, लेकिन जलवायु परिवर्तन, मानव दखल और अवैज्ञानिक दोहन के कारण ये क्षेत्र गंभीर संकट से गुजर रहे हैं। ऐसे में संकटग्रस्त औषधीय पौधों के संरक्षण के लिए हैप्रेक और उद्योगिनी का संयुक्त प्रयास अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

एमओयू हस्ताक्षर के दौरान हैप्रेक के निदेशक डॉ. विजयकांत पुरोहित ने कहा कि उच्च हिमालयी क्षेत्र अनेक महत्वपूर्ण औषधीय एवं सुगंधित पादपों का प्राकृतिक आवास है, लेकिन बदलती जलवायु, बाहरी हस्तक्षेप और अवैध दोहन के कारण कई प्रजातियाँ विलुप्ति के कगार पर हैं। ऐसे में वैज्ञानिक संरक्षण और पुनर्स्थापन की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक बढ़ गई है।

उद्योगिनी के प्रोजेक्ट मैनेजर शिवम पंत ने बताया कि स्थानीय लोग बताते हैं कि पहले बुग्याल ‘हाथजड़ी’, ‘अतीस’, ‘चोरा’ और ‘मीठा’ जैसी औषधीय प्रजातियों से भरे रहते थे, लेकिन अवैज्ञानिक और अत्यधिक दोहन के कारण अब ये प्रजातियाँ बेहद दुर्लभ हो गई हैं। यह साझेदारी उस क्षति की भरपाई की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने बताया कि एमओयू का उद्देश्य केवल पौधे रोपण नहीं, बल्कि वैज्ञानिक निगरानी और समुदाय सहभागिता के माध्यम से दीर्घकालिक पारिस्थितिक स्थिरता सुनिश्चित करना है।

समझौते के अनुसार हैप्रेक संस्थान तकनीकी मार्गदर्शन देगा और स्थानिक औषधीय प्रजातियों के पौधे तैयार करेगा। ये पौधे चमोली जिले के वाण, घूनी, पड़ैर नंदानगर, भर्की उर्गम, पाणा दशोली, चामी (थराली) तथा खैनोली नारायणबागड़ के बुग्याल क्षेत्रों में रोपे जाएंगे।

वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी डॉ. सुदीप चंद्र सेमवाल के नेतृत्व में वैज्ञानिक मार्गदर्शन, पौध सामग्री की आपूर्ति और प्रशिक्षण ढांचे की जिम्मेदारी संभाली जाएगी। अभियान में उद्योगिनी के मनीष पंवार, सुनील कुमार, वीरेंद्र, राकेश बिष्ट, महावीर सिंह रावत, लक्ष्मण सिंह, दीपक मिश्रा और हैप्रेक के डॉ. जयदेव चौहान, कैलाश कांडपाल सहित अनेक विशेषज्ञ सक्रिय भूमिका निभाएंगे।

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