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टांय-टांय फिस हो गयी मुख्यमंत्री घसियारी योजना ; संकट में पहाड़ के पशुपालक

-गौचर से दिग्पाल गुसांईं-
पशुपालन के क्षेत्र में श्वेत क्रांति को बढ़ावा देने व महिलाओं की जंगलों पर निर्भरता समाप्त करने के उद्देश्य से लागू की गई मुख्यमंत्री घस्यारी योजना पूरी तरह से टांय-टांय फिस होती नजर आ रही है। लोकसभा का प्रथम चरण का चुनाव समाप्त होने के बाद काश्तकारों हरा चारा न मिलने से वे संकट में फंस गए हैं।

पहाड़ी क्षेत्रों में दुग्ध उत्पादकता की क्षमता बढ़ाकर लोगों को श्वेत क्रांति के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने व महिलाओं की जंगलों पर निर्भरता समाप्त करने के लिए पिछले दो साल पहले केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह के हाथों देहरादून में मुख्यमंत्री घस्यारी योजना का शुभारंभ करवाया गया था। तब उम्मीद की जा रही थी कि दो रुपए किलो मिलने वाले इस हरी घास से लोगों की मुस्किलें काफी हद तक आसान हो जाएंगी। लेकिन कारण जो भी हो लोक सभा चुनाव का पहला चरण समाप्त होने के बाद कास्तकारों को इस योजना के तहत मिलने वाली हरी घास उपलब्ध न कराए जाने से उनके सामने दुग्ध उत्पादन के अलावा पशुओं के भर पोषण का भी संकट पैदा हो गया है। आग लगने से जंगलों में घास का तिनका भी शेष नहीं रह गया है। वर्ष 2013 में आई आपदा के बाद पशुओं की भूख से मौत न हो इसके लिए राहत के नाम से सस्ते दामों में सूखा भूसा उपलब्ध कराया जाता था। पशुपालन विभाग के माध्यम से मिलने वाला यह भूसा कुछ सालों तक नियमित रूप से उपलब्ध कराया जाता था। लेकिन पिछले दो तीन सालों से इस भूसे की कीमत चार गुनी बढ़ाने के बावजूद भी भूसा उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। ऐसी दशा में पहाड़ का पशुपालक गंभीर संकट में फंस गया है। नौबत यहां तक पहुंच गई है कि पशुपालक अपने दुधारू जानवरों को औने-पौने दामों में बेचने को मजबूर हो गया है। जानकारी के अनुसार साइलेज एंड एथनिक काउज प्राइवेट कंपनी ने सात हजार टन की जगह 18 हजार टन माल सरकार को उपलब्ध करा दिया है। लेकिन भुगतान न होने की वजह से माल की सप्लाई रोक दी गई है। कास्तकारों की इस गंभीर समस्या की गूंज बद्रीनाथ विधानसभा उप चुनाव में भी सुनाई देगी तो अचरज नहीं होगा।
प्रगतिशील कास्तकार विजया गुसाईं, कंचन कनवासी, जशदेई कनवासी, भागवत भंडारी , रमेश डिमरी,नंदा गौरा योजना के तहत दुगध उत्पादन के क्षेत्र में सम्मानित होने वाली नौटी की नीमा मैठाणी, आदिबद्री के हरीश रावत,बमोथ के पूर्व प्रधान प्रकाश रावत, क्वींठी के कमल रावत आदि पशुपालकों का कहना घस्यारी योजना के तहत हरी घास व भूसा न मिलने से उनके सामने पशुओं के भरण पोषण का भी संकट पैदा हो गया है।

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