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भारत में अब भी मुसलमान शिक्षा के मामले में पिछड़े हुए हैं

Indian Muslims are still excessively affected by low literacy and a lack of educational opportunities. Numerous policies and affirmative actions have been implemented to improve the educational backwardness of Indian Muslims, but the progress has been inadequate and slow.

–उषा रावत

भारत में मुस्लिम समुदाय की साक्षरता दर राष्ट्रीय औसत से कुछ कम रही है, जो कई ऐतिहासिक, आर्थिक और सामाजिक कारणों से प्रभावित होती है। हालांकि, हाल के वर्षों में सुधार के प्रयास किए गए हैं, फिर भी चुनौतियाँ बनी हुई हैं।

2001 की जनगणना के अनुसार, 7 वर्ष और उससे अधिक आयु के मुसलमानों में साक्षरता दर 59.1 प्रतिशत थी, जबकि इसी आयु वर्ग के लिए अखिल भारतीय साक्षरता दर 64.8 प्रतिशत थी। 2011 की जनगणना के अनुसार, 7 वर्ष और उससे अधिक आयु के मुसलमानों में साक्षरता दर 68.5 प्रतिशत थी, जबकि अखिल भारतीय साक्षरता दर 73.0 प्रतिशत थी। इस प्रकार, जनगणना 2001 की तुलना में जनगणना 2011 में मुसलमानों में साक्षरता दर 9.4 प्रतिशत अंकों से बढ़ी है। आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस), 2023-24 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, 7 वर्ष और उससे अधिक आयु के मुसलमानों में साक्षरता दर 79.5 प्रतिशत थी, जबकि इसी आयु वर्ग के लिए सभी धर्मों की साक्षरता दर 80.9 प्रतिशत थी।

साक्षरता दर विभिन्न राज्यों में अलग-अलग पाई गई:

  • केरल: मुस्लिम समुदाय की साक्षरता दर 90% से अधिक है, जो राज्य की समग्र उच्च साक्षरता दर के अनुरूप है।
  • उत्तर प्रदेश और बिहार: यहाँ मुस्लिम समुदाय की साक्षरता दर 65-75% के बीच है, जो राष्ट्रीय औसत से कम है।
  • पश्चिम बंगाल और असम: इन राज्यों में मुस्लिम साक्षरता दर 75-80% के बीच है।

महिलाओं की साक्षरता दर मुस्लिम समुदाय में पुरुषों की तुलना में कम पाई गई है।

  • राष्ट्रीय स्तर पर मुस्लिम महिलाओं की साक्षरता दर लगभग 70% है, जबकि पुरुषों की साक्षरता दर 85% के करीब है।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में यह अंतर और अधिक बढ़ जाता है, जहाँ मुस्लिम महिलाओं की साक्षरता दर कई स्थानों पर 60% से भी कम है।

अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय को छह अधिसूचित अल्पसंख्यक समुदायों अर्थात् बौद्ध, ईसाई, जैन, मुस्लिम, पारसी और सिखों के कल्याण और सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए नीतियों, योजनाओं और कार्यक्रमों के निर्माण का कार्य सौंपा गया है। मंत्रालय ने अल्पसंख्यक समुदायों के विकास के लिए बहुआयामी रणनीति अपनाई है, जिसमें शैक्षिक सशक्तिकरण, बुनियादी ढांचे के विकास, आर्थिक सशक्तिकरण, विशेष आवश्यकताओं की पूर्ति और अल्पसंख्यक संस्थानों को मजबूत बनाने पर विशेष ध्यान दिया गया है।

सरकार और गैर-सरकारी संगठनों द्वारा मुस्लिम समुदाय में साक्षरता बढ़ाने के लिए कई पहल की गई हैं:

  • मदरसों के आधुनिकीकरण की योजना: भारत सरकार ने मदरसों में विज्ञान, गणित और अंग्रेजी जैसे विषयों को जोड़ने की पहल की है।
  • शिक्षा के लिए छात्रवृत्ति योजनाएँ: मौलाना आज़ाद फाउंडेशन और अन्य संस्थाएँ मुस्लिम छात्रों के लिए वित्तीय सहायता प्रदान कर रही हैं।
  • बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना: इस योजना के तहत मुस्लिम लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देने के प्रयास किए जा रहे हैं।
  • साक्षरता अभियानों का विस्तार: एनजीओ और सामाजिक संगठन ग्रामीण क्षेत्रों में मुस्लिम समुदाय के लिए साक्षरता अभियान चला रहे हैं।

हालांकि भारतीय मुस्लिम समुदाय की साक्षरता दर में सुधार हुआ है, लेकिन अभी भी इसे राष्ट्रीय औसत तक पहुँचाने के लिए व्यापक प्रयासों की आवश्यकता है। सरकारी नीतियों, सामाजिक सुधारों और सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से शिक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाई जानी चाहिए, जिससे भारतीय मुस्लिम समाज को आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त बनाया जा सके।

(Note- The author of this article is admin and freelance journalist. She had been associated  with PTI Bhasha , Dainik Tribune and several other new  papers and magazines.)

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