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महान परमाणु वैज्ञानिक होमी भाभा की रहस्यमय मृत्यु

 

-उषा रावत

पुण्यतिथि पर कृतज्ञ राष्ट्र आज अपने परमाणु मिशन के जनक महान वैज्ञानिक होमी जहांगीर भाभा का स्मरण कर रहा है। होमी जहांगीर भाभा के प्रयासों के चलते ही भारत ने ट्रांबे में एशिया के पहले परमाणु रिएक्टर की स्थापना की. साल 1967 में इस रिएक्टर का नाम बदलकर भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र कर दिया गया. भारतीय परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम में उनके योगदान के चलते उन्हें ‘आर्किटेक्ट ऑफ इंडियन एटॉमिक एनर्जी प्रोग्राम’  कहा जाता है। भाभा ने यह भी महसूस किया था  कि भारत को एक परमाणु हथियार संपन्न देश बनाने की जरूरत है।

24 जनवरी 1966 को होमी जहांगीर भाभा एयर इंडिया के फ्लाइट नंबर 101 से सफर कर रहे थे. मुंबई से न्‍यूयॉर्क जा रहा एयर इंडिया का बोइंग 707 विमान माउंट ब्‍लैंक पहाड़ियों के पास हादसे का शिकार हो गया. इस हादसे में होमी जहांगीर भाभा समेत विमान में सवार सभी 117 यात्रियों की मौत हो गई थी। लेकिन उनकी मौत पर सदैव रहस्य का पर्दा पड़ा रहा।

घटना के बाद प्लेन क्रैश की वजह विमान के पायलटों और जिनेवा एयरपोर्ट के बीच मिसकम्युनिकेशन बताई गई. हालांकि, इस प्लेन क्रैश में होमी भाभा की मौत को लेकर कई ऐसे खुलासे और दावे किए गए, जिन्होंने पूरे देश को चौंका दिया।

साल 2008 में छपी एक किताब में इस क्रैश को अमेरिका की खुफिया एजेंसी सीआईए की साजिश बताया गया. हालांकि, यह कभी साबित नहीं हो पाया लेकिन इन आरोपों के बाद से होमी भाभा की मौत का रहस्य और ज्यादा गहरा  गया।



दावा किया गया है कि अगर होमी जहांगीर भाभा की विमान दुर्घटना में मौत नहीं हुई होती तो शायद भारत नाभिकीय  विज्ञान के क्षेत्र में दुनिया में बड़ी उपलब्धियां हासिल कर पाता। कई विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि भारत 1960 के दशक में ही परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र बन गया था।

उनकी मृत्यु के बाद, उनके सम्मान में मुंबई में परमाणु ऊर्जा प्रतिष्ठान का नाम बदलकर भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र कर दिया गया । 1967 में, टीआईएफआर ने रॉयल सोसाइटी में भाभा के जीवन की एक प्रदर्शनी प्रदर्शित की, जिसे बाद में टीआईएफआर के सभागार फ़ोयर में स्थानांतरित कर दिया गया।

होमी भाभा का जन्म 30 अक्टूबर 1909 को मुंबई के एक अमीर पारसी परिवार में हुआ था। भाभा न केवल वैज्ञानिक थे, बल्कि बहुमुखी प्रतिभा संपन्न भी थे। भाभा की शख्सियत ऐसी थी कि नोबेल पुरस्कार विजेता सीवी रमन उन्हें भारत का लियोनार्दो द विंची कहकर बुलाते थे।

 

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