एनआईए बनी भारत की सबसे मजबूत आतंकरोधी एजेंसी, 92.44% दोषसिद्धि दर से दुनिया चौंकी

— उषा रावत
देश में आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ने वाली राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA) तेजी से दुनिया की अग्रणी आतंकरोधी एजेंसियों में शामिल हो गई है। 26/11 हमले के बाद गठित यह केंद्रीय एजेंसी आज 92.44% दोषसिद्धि दर के साथ दुनिया की सबसे प्रभावी जांच एजेंसियों में गिनी जा रही है।
ताजा आंकड़ों के मुताबिक एनआईए अब तक कुल 692 मामलों में जांच कर चुकी है, जिनमें आए 172 फैसलों में अपराधियों को सजा दिलाने में 92.44% सफलता मिली है। विशेषज्ञों के अनुसार यह दर किसी भी जांच एजेंसी के लिए “असाधारण और विश्व स्तरीय” मानी जाती है।
विदेशों में भी जांच का अधिकार, आतंक पर वैश्विक प्रहार
2019 में हुए महत्वपूर्ण संशोधन के बाद एनआईए को विदेशों में हुए उन अपराधों की जांच का अधिकार दिया गया है, जो भारतीय नागरिकों या भारत के हितों से जुड़े हों। इससे भारत आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में वैश्विक स्तर पर और मजबूत हुआ है।
आज एनआईए का नेटवर्क दिल्ली मुख्यालय के साथ 21 उप–कार्यालयों और गुवाहाटी व जम्मू में दो क्षेत्रीय केंद्रों तक फैला है।

साइबर, फाइनेंशियल और मानव तस्करी अपराध भी अब दायरे में
पिछले वर्षों में एजेंसी को कई नई शक्तियाँ दी गई हैं। अब एनआईए की जांच सिर्फ आतंकी हमलों तक सीमित न होकर—
साइबर आतंकवाद,
मानव तस्करी,
*फर्जी नोट,
शस्त्र तस्करी,
विस्फोटक पदार्थ अधिनियम
जैसे मामलों तक विस्तृत है।
एनआईए ने आतंकवादी वित्तपोषण पर काबू पाने के लिए विशेष प्रकोष्ठ गठित किए हैं और कई वैश्विक नेटवर्कों का भंडाफोड़ किया है।
डिजिटल युग की तैयारी—‘राष्ट्रीय आतंकवाद डेटा सेंटर’
एनआईए का नया Data Fusion & Analytics Center डिजिटल आतंकवाद से लड़ने का शक्तिशाली हथियार बनकर उभरा है। यह केंद्र आतंकवाद से जुड़े पैटर्न, नेटवर्क, सोशल मीडिया गतिविधियों और वित्तीय लेन–देन का सूक्ष्म विश्लेषण करता है।
एजेंसी ने ISIS जैसे वैश्विक संगठनों तक की डिजिटल गतिविधियों पर विशेष अध्ययन शुरू कर दिए हैं।
न्याय प्रक्रिया को गति — 52 विशेष NIA अदालतें
देशभर में 52 विशेष एनआईए अदालतें स्थापित की गई हैं, जिससे आतंकवाद से जुड़े मामलों का निपटारा तेज गति से हो रहा है। कई राज्यों में ये अदालतें रिकॉर्ड समय में फैसले सुनाने के लिए जानी जा रही हैं।
विदेशी एजेंसियों के साथ तालमेल—‘नो मनी फॉर टेरर’ सम्मेलन में 78 देश शामिल
आतंकी फंडिंग पर लगाम लगाने के लिए भारत ने 2022 में ‘नो मनी फॉर टेरर’ सम्मेलन की मेजबानी की, जिसमें 78 देशों के प्रतिनिधि शामिल हुए। विशेषज्ञों के अनुसार भारत इस सम्मेलन के बाद आतंकवाद विरोधी वैश्विक अभियानों के केंद्र में आ गया है।
सख्त नीति: 23 संगठनों और कई आतंकी नेटवर्कों पर प्रतिबंध
पिछले पांच वर्षों में भारत सरकार ने एनआईए की सिफारिश पर 23 संगठनों को गैरकानूनी घोषित किया है।
इनमें सिमी, पीएफआई, उल्फा, एनएलएफटी, जेकेएलएफ-वाई और एसएफजे जैसे संगठन शामिल हैं।
सरकार की स्पष्ट नीति है—
“आतंकवाद के प्रति शून्य सहनशीलता”।
आज पहले से कहीं अधिक सुरक्षित है भारत
एनआईए की संरचना, अधिकार, तकनीकी क्षमता और अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क बताता है कि भारत अब आतंकवाद के किसी भी स्वरूप से निपटने को तैयार है। 92.44% दोषसिद्धि दर और देश–विदेश में बढ़ती कार्रवाई यह साबित करती है कि एनआईए भारत की सुरक्षा का नया, सशक्त और भरोसेमंद प्रहरी बन चुका है।
