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गौचर में बंदरों, लंगूरों के बाद अब सुअरों का आतंक शुरु

By – Digpal Gusain

नगर पालिका क्षेत्र गौचर में बंदरों, लंगूरों के बाद अब सुअरों ने भी कास्तकारों की फसलों को नुक़सान पहुंचाना शुरू कर दिया है। इससे कास्तकार भारी चिंता में पड़ गए है।

क्षेत्र में बंदरों व लंगूरों का आतंक किसी से छिपा हुआ नहीं है। कास्तकार इनसे निजात दिलाने के लिए कई बार वन विभाग व नगर पालिका से गुहार लगा चुके हैं लेकिन ताजुब तो इस बात का है कि वन विभाग व नगर पालिका शासनादेश का हवाला देकर एक दूसरे की जबावदारी बताकर पल्ला झाड़ने में लगे हुए हैं। कुछ दिन पहले बंदरों व लंगूरों के आतंक से परेशान महिलाओं ने वन विभाग व नगर पालिका का घेराव कर गुस्से का इजहार किया था।

स्थिति इस कदर खराब हो गई है कि बंदर व लंगूर झुंड की शक्ल में फसलों पर धावा बोल रहे हैं। पालिका ने कुछ दिन पहले मात्र 24 बंदरों को पकड़कर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर ली है।

अब जंगली सुअरों ने कास्तकारों के सामने नई मुसीबत खड़ी कर दी है। पिछले दो दिनों से जंगली सुअरों ने फसलों को नुक़सान पहुंचाना शुरू कर दिया है। इससे कास्तकार भारी चिंता में पड़ गए हैं।

महिला संगठन की पूर्व अध्यक्ष विजया गुसाईं, कंचन कनवासी,जशुंदरा कनवासी, आदि का कहना है कि जंगली सुअरों ने रात में बंदरखंड गांव के समीप खेतों में खड़ी फसलों को नुक़सान पहुंचाना शुरू कर दिया है। इन कास्तकारी महिलाओं ने बंदरों, सुअरों व जंगली सुअरों से निजात दिलाने की मांग की है।

वन क्षेत्राधिकारी शिवांगी डिमरी का कहना है कि वन विभाग के पास जंगली सुअरों की समस्या से निपटने के लिए मात्र सुअरों को मारने के लिए सर्त़ों के आधार पर लाइसेंस देने का प्रावधान है। बंदरों को पकड़ने के लिए नगर पालिका को लिखा जा चुका है।

व्यापार संघ अध्यक्ष राकेश लिंगवाल का कहना है कि सरकार कास्तकारों व्यापारियों का हितैषी बनने का ढोंग करती है। इन जंगली से निजात दिलाने के लिए कई बार मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत की जा चुकी है लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं है।

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