राजीव गांधी की पुण्यतिथि पर याद आ गये उनके गुरू और संरक्षक हरिदत्त भट्ट ‘शैलेश’
गुरु -शिष्य में यह सहज आत्मीयता थी
–गोविंद प्रसाद बहुगुणा-
आज राजीव गाँधी की पुण्य तिथि पर मुझे दून स्कूल देहरादून में उनके अध्यापक ,हाउस मास्टर और लोकल गार्जियन रहे चुके डॉ० हरिदत्त भट्ट शैलेश याद आ रहे हैं जो लगभग ३३ वर्षों तक दून स्कूल में हिंदी और संस्कृत विषय पढाते रहे लेकिन उनका परिचय सिर्फ इतना ही नहीं है वह एक जाने माने कहानीकार ,लेखक और कवि होने के साथ बेहद विनम्र और आत्मीय सज्जन पुरुष थे I वे एक जाने माने भाषाविद थे उन्होंने गढ़वाली भाषा का शब्दकोष भी रचा था लेकिन उनकी दखल अंग्रेजी भाषा में भी उतनी ही पुख्ता थी जितनी हिंदी और संस्कृत में I
मैंने उनके कई लेख अंग्रेजी के अखबारों में पढ़े थे I उन्हीं के द्वारा लिखित एक लेख में मैंने पढ़ा था कि एक बार राजीव गाँधी पुराने विद्यार्थी होने के नाते दून स्कूल के एक सम्मेलन में भाग लेने आये थे तो स्कूल के नियमानुसार उन्हें स्कूल ड्रेस पहिनकर भाग लेना अनिवार्य था , लेकिन उनके पास उसी रंग और साजसज्जा का कोट नहीं था तो भट्ट जी ने अपना कोट उनको पहनने के लिए दे दिया कि अगर यह फिट बैठता है तो इसको पहन लो -राजीव गाँधी ने उसी कोट को पहनकर स्कूल फंक्शन में भाग लिया इससे अंदाज लगता है कि भट्ट जी और उनकी निकटता कितनी गहरी रही होगी लेकिन डॉ भट्ट ने कभी उनकी निकटता का लाभ नहीं उठाया वे उनके गुरु ही बने रहे सदैव I डॉ भट्ट ने हिंदी और अंग्रेजी कहानियों का बिपुल संसार रचा लगभग ४०० से अधिक रचनाएं उनकी देंन है उनका अंग्रेजी उपन्यास Himalayas My heaven और कहानी संग्रह Call of the mounts विशेष पसंद किये गए I
भट्ट जी का सारा परिवार कला और साहित्य के क्षेत्र में विशिष्ट स्थान रखता है उनकी सुपुत्री हिमानी शिवपुरी सिने जगत की जानी मानी तारिका है और दूरदर्शन के सीरिअल्स की भी नायिका हैं I
भट्ट जी का जन्म उत्तराखंड के जनपद रुद्रप्रयाग में स्थित अगस्तमुनि के निकट एक भटवाड़ी नामक गांव में हुआ था और लगभग ८५ वर्ष की आयु प्राप्त कर वह २०११ में दिवंगत हो गए थे । एक दो बार मैं भी मिला हूं उनसे ,वे बड़े सहज और आडम्बर हीन व्यक्ति थे ,संभाषण में धाराप्रवाह अंग्रेजी और गढ़वाली मिला कर बोलते थे तो अच्छा लगता था ।
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