तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के एफओईसीएस में इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स पर ऑनलाइन सेमिनार
ख़ास बातें :-
- क्रिएटिविटी के संग प्रॉब्लम सॉल्विङ्ग स्किल्स विकसित करने की भी आवश्यकता: वीसी
- पेटेंट और कॉपी अधिकारों को लेकर जागरूकता पैदा करना अनिवार्य: प्रो. द्विवेदी
- यूनिक क्रिएशन और आइडियाज़ किसी भी व्यवसाय का अधिक से अधिक महत्वपूर्ण पहलू: प्रो.मंजुला
—उत्तराखंड हिमालय ब्यूरो–
मुरादाबाद, 23 अगस्त। भारतीय पेटेंट कार्यालय, दिल्ली के इग्ज़ामिनर पेटेंट्स एंड और डिजाइन्स श्री राज कुमार मीणा ने इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट पर कहा, विचार हमें विज्ञान में नवाचार देते हैं। विचार हमें दुनिया को सबके लिए बेहतर बनाने की प्रेरणा देते हैं। विचार ही हमें जीवन की चुनौतियों से पार पाने की शक्ति और साधन देते हैं। विचारों के बिना हम कहीं नहीं होते हैं। विचारों के बिना, हमारा अस्तित्व नहीं है। विचारों के बिना, हमारे पास कोई आविष्कार नहीं होगा। कोई नैतिकता नहीं, कोई विश्वास नहीं होगा।
तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद के फ़ैकल्टी ऑफ इंजीनियरिंग एंड कम्प्यूटिंग साइंसेज़-एफओईसीएस में इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स पर ऑनलाइन सेमिनार में बोल रहे थे। मुख्य अतिथि श्री मीणा बोले, बहुत सारे विचार हैं, जो हमें इंसान बनाते हैं। वे हमारे जीवन में रीढ़ की हड्डी की मानिंद हैं। कल्पना करें, हम अपनी रीढ़ के बिना कहाँ होंगे? हम मर चुके होंगे और/या गतिहीन होंगे। विचारों के बिना, मानवता या तो पहले ही मर चुकी होती है या गतिरोध में होती है। विचार, वास्तव में, काफी नशीले हो सकते हैं, चाहे वे अच्छे विचार हों या बुरे। श्री मीणा ने पेटेंट, पेटेंट ड्राफ्टिंग, पेटेंट फाइलिंग, उनके पब्लिकेशन की प्रक्रिया इत्यादि को लेकर भी विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कॉपी राइट्स और ट्रेड मार्क पर भी प्रकाश डाला।
इस ऑनलाइन संगोष्ठी का आयोजन शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार के इनोवेशन सेल- एमआईसी और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद-एआईसीटीई की पहल कलाम प्रोग्राम फॉर इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी लिटरेसी एंड अवेयरनेस-केएपीआईएलए और नेशनल इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी अवेयरनेस मिशन-एनआईपीएएम प्रोग्राम के तहत भारतीय पेटेंट कार्यालय और टीएमयू के फ़ैकल्टी ऑफ इंजीनियरिंग के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। इस ऑनलाइन सेमिनार का शुभारंभ एफओईसीएस के निदेशक एवं प्राचार्य प्रो. राकेश कुमार द्विवेदी और मुख्य अतिथि एवं कीनोट स्पीकर भारतीय पेटेंट कार्यालय, दिल्ली के इग्ज़ामिनर ऑफ पेटेंट्स एंड और डिजाइन्स श्री राज कुमार मीणा और एफओईसीएस के निदेशक प्रो. राकेश कुमार द्विवेदी ने टीएमयू के वाइस चांसलर प्रो. रघुवीर सिंह, एसोसिएट डीन-एकेडेमिक्स एवं इंस्टीट्यूशन इंनोवेशन काउंसिल की प्रेसीडेंट डॉ. मंजुला जैन और सेमिनार के कोऑनर्डिनेटर डॉ. विपिन कुमार की गरिमामयी मौजूदगी में माँ सरस्वती की वंदना के साथ किया। इस सेमिनार में भारत के विभिन्न राज्यों- दिल्ली, यूपी, हरियाणा, महाराष्ट्र, पंजाब और एमपी के कॉलेजों, विश्वविद्यालयों, अनुसंधान संस्थानों सहित अन्य विभागों के लगभग 100 से अधिक प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया। सेमिनार छात्रों, शिक्षकों और शोधार्थियों के लिए अत्याधिक जानकारीपूर्ण रहा, जिसमें प्रतिष्ठित वक्ताओं द्वारा आईपीआर के विभिन्न पहलुओं पर बहुमूल्य जागरूकता एवं अंतर्दृष्टि प्रदान की गयी। संचालन सुश्री नेहा आनंद ने किया।
टीएमयू के वाइस चांसलर प्रो. रघुवीर सिंह ने इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स-सिग्निफ़िकेन्स फॉर करियर रिसर्चर विषय पर चर्चा करते हुए कहा, भारत में रिसर्च एंड डवलपमेंट के क्षेत्र में प्रगति के लिए आईपीआर-इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स के बारे में जानकारी रखना काफी महत्वपूर्ण है। आज के समय में आईपीआर की प्रासंगिकता और इसकी आवश्यकता अधिक है। प्रो. सिंह ने कहा, एक अच्छी चीज शुरू करने में कभी देरी नहीं होती है। बस आवश्यकता है दृढ़ संकल्पित रहने की। दुनिया में समस्याएं हैं, लेकिन ऐसी कोई समस्या नहीं है जिसका कोई समाधान न हो। इसके लिए, हमें क्रिएटिविटी के साथ-साथ प्रॉब्लम सॉल्विङ्ग स्किल्स विकसित करने की आवश्यकता है जो हमें इंनोवेशन की दिशा में ले जाती है।एफओईसीएस के निदेशक प्रो. द्विवेदी ने अपने उद्घाटन भाषण में सभी का वेलकम करते हुए कहा, इस सेमिनार का उद्देश्य फ़ैकल्टी मेम्बर्स, शोधकर्ताओं एवं आविष्कारकों के बीच इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स-आईपीआर, विशेष रूप से पेटेंट और कॉपी अधिकारों, के बारे में जागरूकता पैदा करना है जिससे उनके आविष्कारों के पेटेंट के संबंध में उनका मार्गदर्शन किया जा सके। पेटेंट ड्राफ्टिंग, पेटेंटबिलिटी सर्च, फ्रीडम टु ऑपरेट सर्च, वैलिडिटि/इनवैलिडिटि सर्च और एविडेन्स ऑफ यूज़ एनालिसिस, इत्यादि जैसे इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी-आईपी के व्यावहारिक अनुप्रयोगों में अंतर्दृष्टि प्रदान की जा सके। प्रो. द्विवेदी ने हाउ टु प्रेज़ेन्ट स्टार्ट-अप्स एंड टेक्नोलॉजी इंनोवेशन टु पोटैन्शियल फंडर्स विषय पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने इस विषय को समुद्र मंथन की कथा से जोड़कर समझाया। उन्होंने सबसे पहले व्हाइ प्रश्न पूछने के महत्व को विस्तार से बताया।
टीएमयू की एसोसिएट डीन-एकेडेमिक्स एवं इंस्टीट्यूशन इंनोवेशन काउंसिल की प्रेसीडेंट डॉ. मंजुला जैन ने एकेडमिया इंडस्ट्री कोलैबोरेशन के लिए इंनोवेशन मैनेजमेंट में आईपीआर की भूमिका विषय पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने शाही दरबारों और उनके नवरत्नों की कहानी सुनाई। उन्होंने उन नवरत्नों की बुद्धि का हवाला देते हुए इसे आईपीआर से जोड़ा। डॉ. जैन ने कहा, आधुनिक दुनिया में बौद्धिक संपदा अधिकारों-इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स का अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और प्रत्येक राष्ट्र के स्वदेशी व्यापार पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। डिजिटलीकरण के आगमन के साथ, किसी भी तीसरे पक्ष द्वारा बिना किसी पूर्व अनुमति के रचनात्मक विचारों के चोरी होने की उच्च संभावना है। बौद्धिक संपदा संरक्षण में दुनिया के एक अलग हिस्से में उतार-चढ़ाव होता रहता है। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर निर्भर लगभग हर देश अपने बौद्धिक संपदा अधिकारों की रक्षा के लिए कड़े कदम उठा रहा है। मजबूत इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी लॉ-आईपी कानून देश की समग्र अर्थव्यवस्था और उनके संबंधित राज्य दोनों में बहुत बड़ा योगदान देते हैं। इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स ने सभी प्रकार के उत्पादों के लिए आंतरिक मूल्य जोड़ा है, क्योंकि यूनिक क्रिएशन और आइडियाज़ किसी भी व्यवसाय का अधिक से अधिक महत्वपूर्ण पहलू बन रहे हैं। कार्यक्रम के अंत में सेमिनार के कोऑनर्डिनेटर डॉ. विपिन कुमार ने सभी का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर डॉ. गुलिस्ता ख़ान, डॉ. पंकज कुमार गोस्वामी, डॉ. गरिमा गोस्वामी, डॉ. अजीत कुमार, डॉ. अमित कुमार शर्मा, श्री अजय चक्रवर्ती, श्री प्रदीप कुमार वर्मा, श्री प्रशांत कुमार आदि मौजूद रहे