उत्तराखंड के पहाड़ी भागों के पॉलिटेक्निक कॉलेजों को बंद करने की साजिश
उत्तराखंड सरकार के प्राविधिक शिक्षा विभाग यानी तकनीकी शिक्षा विभाग के निदेशक की ओर से 26 सितंबर 2024 को उत्तराखंड के विभिन्न जनपदों में चल रहे कई पॉलीटेक्नीक संस्थानों में ब्रांचों को बंद करने के संबंध में एक आदेश जारी किया है। इसमें विभिन्न पॉलीटेक्नीक संस्थानों में संबंधित ब्रांचों में छात्रों के प्रवेश कम होने के कारण ब्रांच को बंद करने की बात कही गई है। इन पॉलीटेक्नीक संस्थानों नें एनवायरमेटल इंजीनियरिंग और बिग डाटा, गेमिंग एंड एनीमेशन, क्लाउड कंप्यूटिंग जैसी ब्रांच को भी बंद किया जा रहा है जो आज के दौर की सबसे अधिक रोजगार और बेहतरीन भविष्य वाली ब्रांचेज हैं। इसके आलावा सिविल, कंप्यूटर साइंस , इलैक्ट्रॉनिक्स , इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, मैकेनिकल इंजीनियरिंग और सिविल इंजीनियरिंग जैसी ब्रांच भी बंद की जा रही हैं जो पहाड़ के बच्चों को आसानी से रोजगार दिला देते हैं। जो छात्र एडमिशन ले चुके हैं उनको किसी अन्य संस्थान या अन्य ब्रांच का विकल्प देने को कहा जा रहा है। इसमें मुख्यमंत्री पुष्कर धामी की विधानसभा चंपावत में स्थित पॉलीटेक्नीक और तकनीकी शिक्षा मंत्री सुबोध उनियाल की नरेन्द्र नगर का पॉलीटेक्नीक भी शामिल है। जहां चंपावत में इलेक्ट्रानिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजी. और क्लाउड कंप्यूटिंग एंड बिग डाटा की ब्रांच को बंद किया जा रहा है वहीं नरेन्द्रनगर में गेमिंग एंड एनीमेशन ब्रांच को बंद किया जा रहा है। कई पॉलीटेक्नीक संस्थानों की तो कोर ब्रांच ही बंद कर दी जा रही हैं, इन संस्थानों इन ब्रांचों से संबंधित जो करोड़ों रुपये लगाकर लैब बनाई गई होंगी उनका क्या होगा? सवाल उठता है कि यह दशक ‘टैकेड’ यानी तकनीक का दशक कहा जाता है और हमारे प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री कहते हैं कि आने वाला दशक उत्तराखंड का है,अब तकनीकी के युग में तकनीकी संस्थानों को बंद किया जाएगा तो फिर ये कैसे संभव हो सकता है कि आने वाला दशक उत्तराखंड का है? उत्तराखंड के जो थोड़े से भी समर्थ घरों के बच्चे हैं वे उच्च और तकनीकी शिक्षा के लिए बाहर जाने को बाध्य हैं, जो समर्थ नहीं हैं उनको ये संस्थान रोजगार लायक शिक्षा दे रहे हैं, अब जब ब्रांच बंद हो जाएंगी तो फिर इन पॉलीटेक्नीक संस्थानों की जरूरत क्या रह जाएगी?
बच्चों के कम आने के कारण ब्रांच बंद कर देना उपाय नहीं है, उपाय है इंटर कालेजों पॉलीटेक्नीक के अध्यापकों द्वारा वर्कशॉप करवाएं, बच्चों को पता तो लगे कि कहां क्या विषय है, उससे क्या रोजगार मिल सकता है। पहाड़ के बच्चों को क्या बिग डाटा, क्लाउड कंप्युटिंग , गेमिंग एंड एनीमेशन क्या होते हैं क्या यह पता होगा? संभावना है कि नहीं ही होगा, अब पता नहीं है तो इसे कौन बताएगा? इन संस्थानों के शिक्षक बता सकते हैं। ऐसा नहीं है कि जागरुक करने पर बच्चे नहीं आएंगे, लेकिन यह मेहनत का काम है, और मेहनत कौन करे?