आपदा में अवसर ….!
By- Milind Khandekar
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दुनिया भर के देशों पर टैरिफ़ लगाकर आर्थिक आपदा ला दी है. शेयर बाज़ार में लगातार गिरावट हो रही है. अमेरिका पर मंदी का ख़तरा मंडरा रहा है. ट्रंप ने ये जो आफ़त खड़ी की है उसका नतीजा क्या होगा किसी को नहीं पता. हिसाब किताब में चर्चा करेंगे कि भारत पर इसका क्या असर होगा? इस आपदा में भी कोई अवसर है क्या?
सबसे पहले तो यह समझ लेते हैं कि ट्रंप ने घोषणा क्या की है? चुनाव से पहले वो अमेरिका में आने वाले सामान पर टैक्स यानी टैरिफ़ लगाने की धमकी दे रहे थे. उनका तर्क है कि बाक़ी देश अमेरिका में सामान भेज रहे हैं. टैरिफ़ कम है इसलिए कंपनियाँ अमेरिका में सामान नहीं बनाती है. इससे अमेरिका में रोज़गार कम हो रहा है. यही देश जब अमेरिका से सामान लेते हैं तो ज़्यादा टैरिफ़ लगाते हैं. इस कारण अमेरिकी सामान इन देशों में बिकता नहीं है. अमेरिका सामान ख़रीदता ज़्यादा है, बेचता कम है. इस कारण व्यापार घाटा है.एक लाइन में कहें तो वो अमेरिका को ‘आत्मनिर्भर’ बनाना चाहते हैं. उन्होंने दो अप्रैल को टैरिफ़ की लिस्ट जारी कर दी. इस दिन को उन्होंने Liberation Day यानी मुक्ति दिवस का नाम दिया है. 9 अप्रैल से अमेरिका में आने वाले सभी सामान पर नया टैरिफ़ लग जाएगा.भारत के सामान पर 26% टैरिफ़ लगेगा.
भारत पर कितना असर?
शेयर बाज़ार में गिरावट हो रही है लेकिन टैरिफ़ का भारत की अर्थव्यवस्था पर सीधा असर पड़ने की आशंका कम है.अमेरिका में भारत का एक्सपोर्ट GDP का 2.4% है. भारत की GDP यानी कुल उत्पाद ₹100 है तो अमेरिका में सामान बेचने की हिस्सेदारी ₹2.40 . ऐसा तो है नहीं कि टैरिफ़ लगने से वहाँ भारत का एक्सपोर्ट ज़ीरो हो जाएगा बल्कि दवाइयों को फ़िलहाल छूट मिलने से भारत को राहत मिली है. इसका ग्रोथ पर असर 0.2% से लेकर 0.6% तक पड़ने की आशंका है यानी इतनी ग्रोथ कम हो सकती है.
टैरिफ़ में भी मौक़ा
टैरिफ़ अकेले भारत पर तो लगा नहीं है. आसपास के सभी देशों पर लगा है जो भारत की तरह अमेरिका को सामान बेचते हैं. भारत पर टैरिफ़ इन देशों से कम है. अमेरिका में भारत में बने कपड़े, इलेक्ट्रॉनिक सामान चीन, वियतनाम, बांग्लादेश जैसे देशों ख़रीदना सस्ता पड़ेगा.आपदा में यह बड़ा अवसर है.
दूसरा बड़ा मौक़ा है अमेरिका के साथ व्यापार समझौता. ट्रंप ने कहा है कि जो देश अमेरिका के सामान पर टैरिफ़ कम करेंगे उन्हें वो छूट दे देंगे. अमेरिका और भारत के बीच बातचीत चल रही है. अमेरिका चाहता है कि भारत टैरिफ़ कम करें. इसमें कृषि उत्पादों पर टैरिफ़ कम करने में दिक़्क़त है क्योंकि इससे किसान दिक़्क़त में आ सकते हैं. बाक़ी सामान पर टैरिफ़ कम करने में दिक़्क़त नहीं होना चाहिए. कॉमर्स मंत्री पीयूष गोयल ने इंडस्ट्री को पहले ही चेतावनी दी है कि सब्सिडी और इंपोर्ट ड्यूटी की आड़ से बाहर निकलना होगा. भारतीय कंपनियों को बचाने के लिए सरकार ने टैरिफ़ बढ़ा रखा है. टैरिफ़ कम होने पर भारतीय कंपनियों को विदेशी कंपनियों से मुक़ाबला करना होगा ख़ासतौर पर क्वालिटी में.सरकार संकेत दे रही है कि वो टैरिफ़ कम करने के तैयार है. यहाँ टैरिफ़ कम होगा तो अमेरिका भी टैरिफ़ कम करेगा.
टैरिफ़ से उतना बड़ा ख़तरा नहीं है जितना इसके कारण अमेरिका में मंदी आने की आशंका से है. वहाँ मंदी आयी तो उसका असर भारत पर पड़ सकता है . जानकार लगातार कह रहे हैं कि टैरिफ़ से अमेरिका में महंगाई बढ़ सकती हैं, ग्रोथ कम हो सकती है. अमेरिका इस दुश्चक्र में फँसा तो भारत ही नहीं पूरी दुनिया में संकट आ सकता है.