दहशतगर्दों से जंग हम लड़ें, डॉलर इंडिया जाए! पाकिस्तान के एक्सपर्ट का फूटा गुस्सा”
इस्लामाबाद |पाकिस्तान में एक बार फिर अपनी ही हुकूमत और इंटरनेशनल पॉलिसी पर सवाल खड़े हो गए हैं। इस बार आवाज उठाई है देश के जाने-माने पॉलिटिकल एनालिस्ट कमर चीमा ने। उनका दर्द साफ झलकता है—“हम लड़ें तालिबान से, कुर्बानियां दें हम… और इनवेस्टर जाएं इंडिया? ये कैसी इंसाफ की दुनिया है?”
कमर चीमा ने अमेरिका समेत तमाम वेस्टर्न इनवेस्टर्स से सवाल पूछा है कि जब जंग की बात आती है तो पाकिस्तान याद आता है, और जब बिजनेस करना हो तो सीधा प्लेन दिल्ली लैंड करता है।
“हमने कुर्बानियां दीं, मुनाफा उन्हें मिला”
चीमा बोले, “पाकिस्तान ने दहशतगर्दी के खिलाफ जंग में अपने हजारों लोग खोए, मिलिट्री ऑपरेशन किए, सब कुछ झेला। मगर इनाम किसे मिला? इंडिया को। सारी इनवेस्टमेंट वहां जा रही है। फिर कहा जाता है कि पाकिस्तान जलता है इंडिया से… ये जलन नहीं, हक की बात है।”
चीन के चलते बदनाम हुआ पाकिस्तान?
कमर चीमा ने पाकिस्तान में निवेश न आने की एक बड़ी वजह चीन की घुसपैठ को बताया। उन्होंने कहा, “दुनिया को लगने लगा है कि पाकिस्तान अब चाइनीज कॉलोनी है। चीन खुद डील बनाता है, पैसा लाता है और फिर हम कट मारते हैं। हर लेवल पर कमीशनबाज़ी है।”
“यहां तो इनवेस्टरों को भी लूट लेते हैं!”
चीमा की बात यहीं नहीं रुकी। उन्होंने साफ कहा, “अगर कोई इनवेस्टर पाकिस्तान आ भी जाए तो हम उसे पहले लूटते हैं, फिर भत्ता मांगते हैं। हमारी पुलिस भी हिस्सेदार बनती है। ऐसे में कौन यहां इनवेस्ट करेगा?” उनका कहना है कि पाकिस्तान की आवाम खुद भी कन्फ्यूज है—“आधी अमेरिका को गालियां देती है, आधी अरब को। कोई KFC वालों से भिड़ रहा है तो कोई सोशल मीडिया पर गालियां बक रहा है।”
बलूचिस्तान बना नया फ्रंट?
कमर चीमा ने एक और चौंकाने वाला खुलासा किया। उन्होंने कहा, “अमेरिका अब बलूचिस्तान में मिनरल सेक्टर में निवेश पर बात कर रहा है। अगर ये होता है तो चीन और अमेरिका की जंग का अगला मैदान यही होगा। पाकिस्तान को अब बैलेंस बनाना होगा।”
चीमा ने तंज कसते हुए कहा, “चीन तो वैसे भी किसी मुद्दे पर पाकिस्तान के साथ खड़ा नहीं होता। अब वक्त है कि अमेरिका को भी मौका मिले, ताकि पाकिस्तान सिर्फ एक तरफा गेम का हिस्सा न बने।”
स्वतंत्र विश्लेषण:
कमर चीमा का बयान पाकिस्तान की उस हकीकत को सामने लाता है, जिसे वहां की सरकारें अक्सर नजरअंदाज कर देती हैं। विदेशी निवेशकों की बेरुखी, घरेलू भ्रष्टाचार और दोहरे रवैये की कीमत आज पाकिस्तान चुका रहा है।अब सवाल ये है, क्या पाकिस्तान खुद को सुधार पाएगा, या फिर सिर्फ गिला-शिकवा करता रह जाएगा?