डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के निजी कागजात राष्ट्रीय अभिलेखागार को सौंपे गए
विरासत संरक्षण के क्रम में राष्ट्रीय अभिलेखागार (एनएआई) को आज स्वर्गीय डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के निजी कागजात सौंपे गए। इनमें डॉ. कलाम के मूल पत्र-व्यवहार, पासपोर्ट, आधार कार्ड, पैन कार्ड, यात्रा रिपोर्ट और विभिन्न विश्वविद्यालयों तथा संगठनों में दिए गए उनके व्याख्यान शामिल हैं। इस संग्रह में कई मौलिक तस्वीरें भी शामिल हैं। राष्ट्रीय अभिलेखागार को डॉ. कलाम की भतीजी डॉ. एपीजेएम नजमा मरैकयार और डॉ. कलाम के पोते श्री एपीजेएमजे शेख सलीम ने यह संग्रह दान किया। राष्ट्रीय अभिलेखागार के महानिदेशक श्री अरुण सिंघल (आईएएस) ने डॉ. एपीजेएम नजमा मरैकयार के साथ संबंधित समझौते पर हस्ताक्षर किए। समारोह में पूर्व राष्ट्रपति डॉ. कलाम के भतीजे श्री एपीजेएम जैनुलाब्दीन और पोते श्री एपीजेएमजे शेख दाऊद भी शामिल हुए।
डॉ. अवुल पाकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम (1931-2015) को व्यापक रूप से “भारत के मिसाइल मैन” के रूप में जाना जाता है। वे प्रख्यात वैज्ञानिक और भारत के 11वें राष्ट्रपति (2002-2007) रहे। 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में एक साधारण परिवार में जन्मे डॉ. कलाम ने कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्पता से यह मुकाम हासिल किया। भौतिकी और एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के उपरांत उन्होंने भारत के मिसाइल विकास कार्यक्रम में महत्वपूर्ण योगदान दिया और 1998 के द्वितीय पोखरण परमाणु परीक्षणों में अहम भूमिका निभाई। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) जैसे संगठनों में काम करते हुए, उन्होंने भारत की रक्षा और अंतरिक्ष क्षमताओं को सुदृढ़ बनाने में मदद की। उनकी उपलब्धियों को सम्मान देते हुए भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न सहित कई पुरस्कारों से उन्हें नवाजा गया।
वैज्ञानिक योगदान के अलावा डॉ. कलाम भारत के युवाओं को प्रेरित करने में जुनून से भरे थे। उन्होंने “विंग्स ऑफ़ फ़ायर”, “इग्नाइटेड माइंड्स” और “इंडिया 2020” जैसी कई प्रेरणादायक किताबें लिखीं, जो सभी बड़े स्वप्न देखने और एक मज़बूत राष्ट्र बनाने पर केंद्रित थीं। अपने विनम्र और मिलनसार स्वभाव के लिए “पीपुल्स प्रेसिडेंट” के तौर पर डॉ. कलाम ने राष्ट्रपति पद के कार्यकाल के बाद के वर्षों को शिक्षा और युवाओं को प्रेरित करने में समर्पित कर दिया। उनका जीवन सादगी, दृढ़ता और दूरदर्शी नेतृत्व का प्रतीक है। डॉ. कलाम का देहावसान 27 जुलाई 2015 को हुआ लेकिन उससे पहले वे अपने सबसे प्रिय काम अध्यापन द्वारा एक ऐसी विरासत छोड़ गए जो पीढ़ियों तक प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा।