खेल/मनोरंजन

दून पुस्तकालय में सफ़दर हाशमी के नाटक औरत की प्रस्तुति

देहरादून 20 मार्च। दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र की ओर से भारतीय संविधान और संवैधानिक मूल्यों पर आज शाम को भारतीय संविधान के फिल्म की श्रंखला के नवें एपिसोड का प्रदर्शन सभागार में किया गया। ज्ञातव्य है कि इस लोकप्रिय धारावाहिक का निर्देशन सुपरिचित फिल्म निर्देशक श्याम बेनेगल द्वारा किया गया है।

जन संवाद समिति के सतीश धौलाखंडी नेे कार्यक्रम के उद्देश्यों पर जानकारी दी और कहा कि संविधान पर आधारित पहले के सभी एपिसोड सामान्य जनों के लिए ज्ञानवर्धक साबित रहे हैं। उन्होनें विकसित समाज की स्थापना में संविधान के महत्व और संविधान की मूल भावना व उसके उद्देश्य को आम लोगों तक पंहुचाये जाने की बात को नितांत आवश्यक बताया।

शुरुआत में कलाकारों ने जनगीत भी गाया. इसके बाद सफ़दर हाशमी द्वारा लिखित नाटक औरत नाटक का मंचन किया गया। कलाकारों द्धारा इस नाटक के माध्यम से इस बात को शानदार तरीके े के साथ दर्शाने का प्रयास किया गया कि महिलायएं आज समाज के हर क्षेत्र में आगे हैं पर फिर भी कुछ पुरुष प्रधान समाज कहीं न कहीं उनकी प्रगति में अवरोध पैदा करने का यत्न करता है। महिलाओं की मानसिक, शारीरिक, नैतिक और बौद्धिक क्षमता बहुत समृद्ध होने के बाद भी उनकी स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। आये दिन सुनने को मिलता है कि नारी, चाहे वह बच्ची हो, लड़की हो, पत्नी हो, मां हो, उसे जब-तब समाज में शोषण और उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है। उसे भाई की तुलना में अधिक काम करना पड़ता है। उसकी पढने-लिखने और आगे बढ़ने की आकांक्षाओं को सीमित किया जाता है। कारखानों में उसे कम वेतन और छंटनी का शिकार होना पड़ता है। ससुराल में दहेज के लिए प्रताड़ित किया जाता है। सड़कों पर अपमानित होना पड़ता है। समाज में अमूमन यह निरर्थक धारणा बनी रहती है कि उसका सौंदर्य और यौवन मात्र उपभोग के लिये ही है जबकि ऐसा कुछ भी नहीं है। इस नाटक में विभिन्न किरदारों की भूमिका में अमित बहुखंडी, मेघा विलसन,अंशिका,विनीता रितुजंया,सैयद इक्देदार अली, व सतीश धौलाखंडी आदि पात्रों ने उत्कृष्ट रूप से अभिनय किया ।

कार्यक्रम के आरम्भ में दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र के प्रोग्राम एसोसिएट चंद्रशेखर तिवारी ने उपस्थित सभी लोगों का स्वागत किया। इस कार्यक्रम का संचालन इप्टा के उत्तराखण्ड अध्यक्ष डॉ. वी. के. डोभाल ने किया।

इस अवसर पर एस एस रजवार, अभि नंदा, लक्ष्मी प्रसाद बडोनी, डी के कांडपाल, अरुण कुमार असफल, राजीव अग्रवाल, कल्याण सिंह बुटोला, जय भगवान गोयल, हरिओम पाली, सुंदर सिंह बिष्ट, हिमांशु आहूजा , योगेंद्र सिंह नेगी, जगदीश सिंह महर,राकेश कुमार, विनोद सकलानी सहित शहर के अनेक रंगकर्मी, सामाजिक कार्यकर्ता, लेखक, सहित दून पुस्तकालय के कुछ युवा पाठक उपस्थित रहे।

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