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उत्तराखंड के मुख्यमंत्री धामी बोले, सुखद, निरापद चारधाम यात्रा का खाका तैयार

-गोपेश्वर से महिपाल गुसाईं-

उत्तराखंड की आर्थिकी की रीढ़ चारधाम यात्रा को सुव्यवस्थित, निरापद, सुखद और स्मरणीय बनाने के लिए राज्य सरकार ठोस प्रबंध कर रही है और पिछले अनुभवों को आधार बना कर इसके लिए ऐसा मैकेनिज्म बनाया जा रहा है कि तीर्थ यात्रियों और स्थानीय लोगों को किसी तरह की असुविधा का सामना न करना पड़े।

यह कहना है मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का।  धामी बदरीनाथ विधानसभा सीट के लिए हो रहे उपचुनाव के सिलसिले में भाजपा प्रत्याशी राजेंद्र सिंह भंडारी के चुनाव प्रचार के लिए गोपेश्वर में रुके थे। यहां एक होटल में विशेष भेंट में  धामी ने कहा कि आला अधिकारी आनंद वर्धन के नेतृत्व में इस दिशा में काम हो रहा है और जल्दी ही योजना का क्रियान्वयन किया जायेगा। उन्होंने कहा कि वरिष्ठ अधिकारी आनंद वर्धन के नेतृत्व में तीर्थ पुरोहितों, हकहकूक, धारियों, घोड़ा- पालकी संचालकों, मोटर व्यवसायियों, होटल – ढाबा संचालकों यहां तक कि ग्रास रूट के हर स्टेक होल्डर की राय को शामिल कर ठोस व्यवस्था बनाने का काम चल रहा है और इसे जल्द ही धरातल पर उतार दिया जायेगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस बार मई माह में स्कूलों की छुट्टियां होने, गर्मी बढ़ने के साथ ही कतिपय अन्य कारणों से बड़ी संख्या में तीर्थयात्री चारधाम की धारण क्षमता से अधिक संख्या में पहुंचे। इस कारण शुरू में लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा, आने वाले समय में ऋषिकेश – कर्णप्रयाग रेल लाइन शुरू हो जाने के बाद तीर्थयात्रियों की संख्या और बढ़ेगी, इसलिए राज्य सरकार इस दिशा में गंभीरता से खाका तैयार कर रही है।

 

धामी ने कहा कि उनकी सरकार इस बात के लिए प्रतिबद्ध है कि उत्तराखंड में आने वाला कोई भी श्रद्धालु दर्शन पूजन से वंचित न रहे और न ही उसे किसी तरह की असुविधा का सामना करना पड़े। हमारी कोशिश है कि यहां आने वाला श्रद्धालु सुखद स्मृति लेकर जाए और इसके लिए हर संभव कदम उठाए जा रहे हैं।

एक सवाल के जवाब में श्री धामी ने कहा कि न जाने किस भ्रांति में कतिपय लोगों ने सोशल मीडिया पर चारधाम यात्रा का मार्ग परिवर्तन की बात कर डाली, उससे न सिर्फ व्यर्थ का वितंडावाद हुआ बल्कि राज्य की छवि पर भी असर पड़ा। उन्होंने जोर देकर कहा कि चारधाम यात्रा सदियों से चली आ रही है, उसे किसी भी कीमत पर रूपांतरित नहीं किया जा सकता है। अपितु तीर्थों की धारण क्षमता के दृष्टिगत यात्रा मार्ग तथा उसके आसपास के तीर्थों के साथ विस्तारित किया जा सकता है। हमारा प्रयास है कि पारंपरिक चारधाम यात्रा को व्यापक फलक दिया जाए। लोग सिर्फ भागदौड़ में चारधाम के तीर्थों तक सीमित न रहें, वे अन्य तीर्थों के दर्शन भी करें। वैसे भी उत्तराखंड के कण कण में शंकर हैं। यात्रा मार्गों के निकट ही अनेक ऐसे महत्वपूर्ण तथा सिद्ध तीर्थ हैं किंतु श्रद्धालु जानकारी के अभाव में उन स्थानों के दर्शन नहीं कर पाते। सरकार का प्रयास है कि इस दिशा में सम्यक व्यवस्था हो। इस पर हम गंभीरता से जुटे हैं।

श्री धामी ने कहा कि प्रदेश में चार धाम का शानदार सड़कों का नेटवर्क होने से यात्रा अब काफी आसान हो गई है। सरकार का भरसक प्रयास है कि इसमें नए आयाम जोड़े जाएं जिससे रोजगार के नित नए अवसर बढ़ें, साथ ही उत्तराखंड का मान सम्मान भी बढ़े।

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि केंद्र सरकार के सहयोग से सभी तीर्थों में बुनियादी सुविधाओं का तेजी से विस्तार किया जा रहा है। बदरीनाथ और केदारनाथ धाम का तो कायाकल्प किया जा रहा है। इससे आने वाले समय में तीर्थयात्रियों की संख्या में और इजाफा होगा, इसलिए सरकार इसे प्राथमिकता पर ले रही है। इसके साथ ही प्रदेश में साहसिक पर्यटन में भी उत्साहजनक वृद्धि हो रही है। उन्होंने कहा कि तीर्थों की गरिमा, मर्यादा और महत्व को अक्षुण्ण रखना हम सबकी जिम्मेदारी है। इस मामले में कोई समझौता नहीं हो सकता।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार अभी तक श्रद्धालुओं की पहुंच से दूर रहे धार्मिक स्थलों और नए पर्यटक स्थलों के विकास की दिशा में तेजी से काम कर रही है, ताकि हमारे नौजवानों को यहीं रोजगार मिले, उन्हें रोजगार के लिए बाहर न जाना पड़े बल्कि हमारे नौजवान दूसरों को रोजगार देने वाले बनें, यह हमारा संकल्प है और निश्चित रूप से हम इसमें सफल होकर दिखाएंगे। उन्होंने दोहराया कि तीर्थाटन और पर्यटन को राज्य की आर्थिकी की मजबूत रीढ़ बनाने का हमारा संकल्प है और इस दिशा में कोई कमी नहीं छोड़ी जायेगी।

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