धर्म/संस्कृति/ चारधाम यात्राब्लॉग

आदि शंकराचार्य जी का कवित्व सौन्दर्य 

गोविंद प्रसाद बहुगुणा

आदि शंकराचार्य जी अद्भुत कवि थे । यदि एक बार आप थोड़ी देर के लिए यह भूल जाएँ कि वे धर्माचार्य थे, सन्यासी थे तब आप उनके द्वारा रचित सुन्दर श्लोकों को उनको कवि रूप में पढने का आनंद ले सकेंगे -देखिए उनकी कविता का सौन्दर्य इस एक पद में जिसको हम रोज ही पूजा के समय पढ़ते आये हैं –
“आयुर्नश्यति पश्यतां प्रतिदिनं याति क्षयं यौवनम् |
प्रत्ययन्ति गतः पुनर्न दिवसः कालो जगद्भक्तकः II
लक्ष्मीस्तोयतरङ्गभङ्गचपला विद्युच्चलम् जेवितं
तस्मान्मां शरणागतं करुणया त्वं रक्ष रक्षाधुना॥
(आदि शंकराचार्य द्वारा रचित शिवापराधक्षमापन स्तोत्रम् ) अब जरा इसका भावानुवाद हिन्दी और अंग्रेजी दोनों में देखिए –
“देखते देखते हमारी आयु नित्य नष्ट हो रही है, यौवन भी प्रतिदिन क्षीण होता जा रहा है, बीते हुए दिन फिर लौट कर नहीं आते ;यह काल सम्पूर्ण जगत को खा रहा है ,लक्ष्मी (धन-दौलत) भी जल की तरंगों के सामान चपल है ;जीवन बिजली के सामान चंचल है अतः हे शरणागतवत्सल भगवान शंकर आप मुझ शरणागत की रक्षा कीजिये ।” शंकराचार्य जी के उपरोक्त श्लोक को पढ़कर मुझे अंग्रेजी के रोमांटिक कवि John Keats की याद आ गई
Life is but a day;
A fragile dew-drop on its perilous way
From a tree’s summit.”….
My imagination is a monastery, and I am its monk”…
When old age shall this generation waste,
Thou shalt remain, in midst of other woe
Than ours, a friend to man, to whom thou say’st,
“Beauty is truth, truth beauty,—that is al
Ye know on earth, and all ye need to know.”
अब जरा शंकराचार्य जी के उपरोक्त श्लोक का अंग्रेजी भावानुवाद भी पढ़िए, जो मैने अपने स्वान्त:सुखाय किया है _
“Right before our eyes we see
That our life is getting decayed every day The glamour of our youth is also waning day by day,
The days spent in our enjoyment never return again –
Thus ‘Time’ is devouring the entire world. Wealth is but short-lived waves of water
And our Life is fleeting like flashes of thunder bolt ,
Therefore My Lord I seek your refuge
Pray grant me your protection now.”
GPB

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!